अंतरजातीय विवाह योजना के तहत एक लाख रूपए की राशि दो जोड़ों को प्रदान की गई
सिरसा,26 जुलाई। राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही अंतरजातीय विवाह योजना के तहत वर्ष 2009-10 के दौरान एक लाख रूपए की राशि दो जोड़ों को प्रदान की गई।
यह जानकारी देते हुए जिला उपायुक्त श्री सी.जी रजिनीकांथन ने बताया कि उक्त योजना के तहत अनुसूचित जाति के लड़के/लड़कियों को प्रोत्साहन के रुप में 50 हजार रुपए की राशि दी जाती है, जिसमें से 20 हजार रुपए की राशि नकद तथा शेष राशि 30 हजार रुपए दोनों के संयुक्त नाम से फिक्स डिपोजिट में जमा किए जाते है। उन्होंने बताया कि यह अनुदान राशि आवेदक को विवाह पर ही प्रदान की जाती है। इस योजना के अंतर्गत लड़का-लड़की दोनों में से एक अनुसूचित जाति से संबंध रखता हो और आवेदक व्यक्ति संबंधित जिले का निवासी हो। उन्होंने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य जाति प्रथा को जड़ से समाप्त करना है।
उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग से संबंधित योग्य जोड़ों का समाचार पत्रों तथा ऑल इंडिया रेडियो द्वारा प्रचार किया जाता है। आवेदन पत्र जिला मैजिस्ट्रेट के द्वारा प्रमाणित होने चाहिए, चाहे शादी व्यक्तिगत तौर पर, धार्मिक स्थान पर या सामाजिक तौर पर हुई हो, उसका प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए। आवेदक विवाह के एक साल के अंदर-अंदर आवेदन कर सकता है। जिला कल्याण अधिकारियों द्वारा दस्तावेजों की जांच पड़ताल की जाती है। उसके बाद इन दस्तावेजों को जिला उपायुक्त के पास भेजा जाता है तथा आवेदन पत्र को स्वीकृति मिलने पर आवेदक के लिए अनुदान राशि की मंजूरी मिल जाती है।
यह जानकारी देते हुए जिला उपायुक्त श्री सी.जी रजिनीकांथन ने बताया कि उक्त योजना के तहत अनुसूचित जाति के लड़के/लड़कियों को प्रोत्साहन के रुप में 50 हजार रुपए की राशि दी जाती है, जिसमें से 20 हजार रुपए की राशि नकद तथा शेष राशि 30 हजार रुपए दोनों के संयुक्त नाम से फिक्स डिपोजिट में जमा किए जाते है। उन्होंने बताया कि यह अनुदान राशि आवेदक को विवाह पर ही प्रदान की जाती है। इस योजना के अंतर्गत लड़का-लड़की दोनों में से एक अनुसूचित जाति से संबंध रखता हो और आवेदक व्यक्ति संबंधित जिले का निवासी हो। उन्होंने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य जाति प्रथा को जड़ से समाप्त करना है।
उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग से संबंधित योग्य जोड़ों का समाचार पत्रों तथा ऑल इंडिया रेडियो द्वारा प्रचार किया जाता है। आवेदन पत्र जिला मैजिस्ट्रेट के द्वारा प्रमाणित होने चाहिए, चाहे शादी व्यक्तिगत तौर पर, धार्मिक स्थान पर या सामाजिक तौर पर हुई हो, उसका प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए। आवेदक विवाह के एक साल के अंदर-अंदर आवेदन कर सकता है। जिला कल्याण अधिकारियों द्वारा दस्तावेजों की जांच पड़ताल की जाती है। उसके बाद इन दस्तावेजों को जिला उपायुक्त के पास भेजा जाता है तथा आवेदन पत्र को स्वीकृति मिलने पर आवेदक के लिए अनुदान राशि की मंजूरी मिल जाती है।
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