वटसअप और फेसबुक पर सक्रिय है जिस्मफरोशी के दलाल
डबवाली - जिस्मफरोशी के धंधे में शामिल लोगों के लिए अब सोशल साइट्स भी सबसे बड़ा जरिया बन गया है। सैक्स रैकेट चलाने वाले लोग फेसबुक और वट्असप को खुलकर इस्तेमाल कर रहे है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ दलाल ही इन साइट्स का प्रयोग करते है, दरअसल वो लड़कियां भी शामिल है, जो डायरेक्ट डील करती है। शहर के भी कई लोग अब इस सुविधा का खासा लाभ उठा रहे है। पूछने पर कहते है कि इन साइटस से उन्हें बहुत आसानी हो गई है।
ऐसे करते है प्रयोग
शहर में सैक्स रैकेट चलाने वाले लोगों की तादाद कम नहीं है। उनके धंधे में दिल्ली व पंजाब की लड़कियां ज्यादा शामिल है। फेसबुक के जरिए पहले ये ग्राहक तलाशते है और फिर जब विश्वास कायम हो जाता है, तो उन्हें अपना वट्सअप नंबर दे देते है। इसके बाद डिलीवरी करने वाली लड़कियों की इमेजिस को वे संबंधित के पास भेजते है और साथ ही उनकी कीमत भी दर्शा देते है। सब कुछ फाइनल होने के बाद चयनित लड़की को वे ग्राहक तक भेज देते है। लिहाजा जिस्मफरोशी ऐसे लोगों के लिए काफी आसान हो चुकी है।
ये हुई आसानी
धंधे से जुड़े लोगों की मानें, तो कहते है कि पहले उन्हें बड़ी दिक्कत आती थी। चूंकि 'मालÓ लाने-ले जाने के लिए कई पापड़ बेलने पड़ते थे और एक डिलीवरी के लिए तीन चार एकस्ट्रा लड़कियां साथ ले जानी पड़ती थी। तब ग्राहक एक पंसद करते अपने साथ ले जाता था, मगर अब तो उनके पास ऑपशन है और वे अब वट्सअप के जरिए लड़कियों की तस्वीरें भेज देते है और कॉलर भी अपनी कॉल के लिए च्वाइस कर उन्हें मैसेज के जरिए बता देता है, जिससे वही उसके पास भेज दी जाती है। बहरहाल, इस बात में कोई दोराय नहीं है कि सैक्स रैकेट भी इस सोशल साइट्स पर सक्रिय हो गया है यहीं नहीं इन लोगों की जड़े भी जम चुकी है और अब ये लोग खुद के लिए इन साइट्स के जरिए रिलीफ महसूस करतेे है।
ऐसे करते है प्रयोग
शहर में सैक्स रैकेट चलाने वाले लोगों की तादाद कम नहीं है। उनके धंधे में दिल्ली व पंजाब की लड़कियां ज्यादा शामिल है। फेसबुक के जरिए पहले ये ग्राहक तलाशते है और फिर जब विश्वास कायम हो जाता है, तो उन्हें अपना वट्सअप नंबर दे देते है। इसके बाद डिलीवरी करने वाली लड़कियों की इमेजिस को वे संबंधित के पास भेजते है और साथ ही उनकी कीमत भी दर्शा देते है। सब कुछ फाइनल होने के बाद चयनित लड़की को वे ग्राहक तक भेज देते है। लिहाजा जिस्मफरोशी ऐसे लोगों के लिए काफी आसान हो चुकी है।
ये हुई आसानी
धंधे से जुड़े लोगों की मानें, तो कहते है कि पहले उन्हें बड़ी दिक्कत आती थी। चूंकि 'मालÓ लाने-ले जाने के लिए कई पापड़ बेलने पड़ते थे और एक डिलीवरी के लिए तीन चार एकस्ट्रा लड़कियां साथ ले जानी पड़ती थी। तब ग्राहक एक पंसद करते अपने साथ ले जाता था, मगर अब तो उनके पास ऑपशन है और वे अब वट्सअप के जरिए लड़कियों की तस्वीरें भेज देते है और कॉलर भी अपनी कॉल के लिए च्वाइस कर उन्हें मैसेज के जरिए बता देता है, जिससे वही उसके पास भेज दी जाती है। बहरहाल, इस बात में कोई दोराय नहीं है कि सैक्स रैकेट भी इस सोशल साइट्स पर सक्रिय हो गया है यहीं नहीं इन लोगों की जड़े भी जम चुकी है और अब ये लोग खुद के लिए इन साइट्स के जरिए रिलीफ महसूस करतेे है।
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