ऑटोमेटिक टोटल मशीन करेगी भूमि की पैमाइश

जमीनों प्लॉट की निशानदेही के लिए होने वाली देरी की समस्या से अब मिलेगी किसानों को निजात 

डबवाली,जिला में जमीनों प्लॉट की निशानदेही के लिए अक्सर होने वाली देरी की समस्या से अब निजात मिल जाएगी। इसके लिए जिला में ऑटोमेटिक टोटल सर्वे मशीन लगाई गई है। जिससे प्रतिदिन 10 से अधिक संख्या में पैमाइश की जा सकेगी जबकि आमतौर पर मैनुअल तरीके से एक ही निशानदेही बमुश्किल हो पाती है। जिससे सभी तहसीलों में पैमाइश के मामले अटके रहते हैं।अति आधुनिक तकनीक से बनी टोटल सर्वे मशीन इसी माह काम करना शुरू कर देगी। इस मशीन को ऑपरेट करने के लिए पटवारी और कंप्यूटर ऑपरेटर्स की संयुक्त ट्रेनिंग भी कराई जाएगी। मशीन का संचालन डीआईसी की ओर से किया जाएगा। डीआईसी एसपी गोयल ने बताया कि करीब पौने 3 लाख रुपये खर्च कर ली गई मशीन तत्कालीन डीसी डॉ. अंशज सिंह के आदेशों पर परचेज की गई थी। जिसे अब कार्य पर लगाया जाना है। इसके लिए 25 मार्च को ट्रेनिंग शिविर लगाने की योजना है। इसके बाद मार्च के अंतिम सप्ताह में इसे शुरू कर दिया जाएगा और एक अप्रैल से मशीन को शेड्यूल बनाकर प्रति सप्ताह एक तहसील में भेजा जाएगा। इससे प्रति सप्ताह जिले की चारों तहसीलों सिरसा, डबवाली, ऐलनाबाद रानियां में मिलने वाले क्रमवार आवेदनों के अनुरूप सभी पैमाइश मामलों को निपटारा कर दिया जाएगा। 

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में इससे पहले महज पानीपत जिला में ही इस मशीन का प्रयोग हो रहा है।मशीन में कंप्यूटर कराहा की तर्ज पर लगे उपकरणों से दो प्वाइंट के बीच की दूरी कोण मापन की सुविधा है। इससे खेतों प्लाटों में रेवेन्यू डिपार्टमेंट के लगाए गए पक्के पत्थर से मशीन को किला नंबर के अनुसार रखकर रकबा प्लॉट की पूरी पैमाइश की जाएगी। निशानदेही कराने के लिए किसान जमीन मालिक तहसीलदार को आवेदन करते हैं। जिसके बाद तहसीलदार कानूनगो को आदेश जारी कर देते हैं। इसके लिए किसी प्रकार की फीस नहीं होती जबकि कोई आवेदक कमीशन से पैमाइश की मांग करते हैं तो उन्हें तय सरकारी फीस का भुगतान करना होता है। इसके बाद पैमाइश की जाती है। खेतों प्लॉटों की की जाने वाले पैमाइश में किला जमीन को 40 करम यानी 220 फीट लंबाई वाई 36 करम यानी 198 फीट चौड़ाई मापकर उसके हिस्से मापे जाते हैं। इसके लिए अब कानूनगो के नेतृत्व में पटवारी चौकीदार की डयूटी लगाई जाती है, जिसमें नंबरदार की मौजूदगी में किसान सहयोग करते हुए लोहे की चैन यानी जरीब जो 55 फीट यानी 10 करम लंबाई की होती है। उसके निशान लगाते हुए अनुमान से कोण बनाकर पैमाइश कर निशानदेही करते हैं। जिसमें एक ओर की लाइन की पैमाइश कर निशानदेही करने पर दूसरी लाइन की पैमाइश कर निशान लगाए जाते हैं तो स्थान में अंतर जाता है, जिससे अक्सर प्रत्येक पैमाइश को दुरुस्त करने की शिकायत रहती है। जरीब खींचने पर 10-10 करम पर निशान लगाए जाने से खड़ी फसलों में पैमाइश करने से फसल का नुकसान होता है लेकिन मशीन यह आसानी से हो जाएगी।
2 साल से दे रहे तारीखें
आसाखेड़ानिवासी श्रवण कुमार तंवर ने बताया कि गांव की पंचायती रकबा में मुरब्बा नंबर 96 के किला नंबर 19 20 में नाजायज कब्जा है और लोगों ने यहां मकान बना रखे हैं। इसका खुलासा करने के लिए तहसील में पैमाइश की अपील की थी, जिसके लिए 2 साल से लगातार आगे तारीख दी जा रही है। मशीन आएगी तो हमारा भी नंबर आने की उम्मीद है।
तेजी से होगा काम
डबवाली के तहसीलदार नौरंग दास का कहना है कि तहसील में प्रतिमाह करीब 100 आवेदन आते हैं। ज्यादा समय लगने से रोजाना एक कानूनगो महज एक पैमाइश ही कर पाते हैं। इससे प्रतिमाह कुछ आवेदन लंबित रह जाते हैं। जिन्हें आगे पूरा कर दिया जाता है। अब ऑटोमेटिक मशीन आने से काम तेजी से होगा और पैमाइश की एक्यूरेसी भी बढ़ जाएगी।
3 माह से अटकी पैमाइश
भारूखेड़ानिवासी सरदारा राम पुत्र मनीराम ने बताया कि मेरे दादा जोराराम की जमीन की निशानदेही नहीं होने से हमारे मकान के आगे खाली पड़ी जमीन पर कब्जा करने के लिए दीवार निकाल ली है। दिसंबर में इसके लिए तहसीलदार ो आवेदन किया था और इसके लिए एक माह का समय मांगा गया लेकिन अब तीन महीने से अधिक समय बीत गया है।
दिशा केंद्र स्थित तहसील कार्यालय में आवेदन करने जाते किसान।

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