अपने खर्चे पर बच्चों का भविष्य संवार रहे गुरुजन

इकोनोमिक्स तथा मैथ के निजी अध्यापक नियुक्त किए, देते हैं प्रतिमाह 3500-3500 रुपये पगार
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डीडी गोयल
डबवाली । जिला सिरसा का एक सरकारी विद्यालय ऐसा है, जिसमें गुरुजन अपनी जेब से रुपये खर्च करके शिक्षकों की भर्ती कर रहे हैं। दो सालों की कठिन मेहनत से विद्यालय में निखार आ गया है। गुरुजनों की एकता का परिणाम है कि बाइस लेक्चरर तथा अध्यापकों की कमी वाला विद्यालय 12वीं में जिलेभर में टॉपर रहा। दो सालों में ये लोग अपनी जेब से करीब सवा तीन लाख रुपये खर्च कर चुके हैं।
गांव गोरीवाला का राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय वर्ष 2002 में अपग्रेड हुआ था। आर्ट्स तथा कॉमर्स की कक्षाएं शुरू हो गई। वर्ष 2013 तक महज 12 लेक्चरर तथा शिक्षक विद्यालय में रह गए। स्टॉफ की कमी की वजह से 12वीं तथा 10वीं कक्षा का रिजल्ट महज 21 फीसदी रह गया। 2013 में विद्यालय की कमान प्रिंसिपल सुल्तान सिंह के हाथ में आई। उन्होंने सरकार से स्टाफ मांगा। कई बार पत्र लिखने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई तो आखिरकार उन्होंने स्टॉफ की बैठक कॉल की। परिणाम पर चर्चाएं चली। स्टॉफ सदस्य दलीप सिंह, कृष्ण कुमार, कृष्ण कुमार सैनी, बलजिंद्र सिंह, विकास मोंगा, अमरजीत सिंह, नीलम रानी, दलीप सिंह, राजिंद्र सिंह, प्रदीप सिंह, बलविंद्र सिंह तथा रामनिवास के साथ मिलकर इकनोमिक्स तथा मैथ विषय के शिक्षक नियुक्त कर लिए। इसके अतिरिक्त उपरोक्त शिक्षकों ने क्लास वाइज जिम्मेवारी संभाल ली। अपने विषय से हटकर बच्चों को दूसरे विषयों की शिक्षा देनी शुरू कर दी। वर्ष 2013-14 में पहला रिजल्ट सामने आया। 12वीं का रिजल्ट 21 फीसदी से 52 फीसदी हो गया। 10वीं का रिजल्ट भी ऐसा ही रहा। प्रिंसिपल समेत स्टॉफ के परिश्रम का परिणाम वर्ष 2014-15 में सामने आया। जब 12वीं में 91 प्रतिशत परिणाम लेकर विद्यालय जिला सिरसा में टॉपर रहा। 10वीं का परिणाम भी बेहद शानदार रहा। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी का परिणाम 41 फीसदी रहा, जबकि स्कूल का परिणाम 69 फीसदी था। विद्यालय में दो युवाओं को नौकरी देकर गुरुजन उन्हें मेहनताना के रूप में प्रतिमाह 3500-3500 रुपये दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त विद्यालय की सुरक्षा के लिए उन्होंने चौकीदार नियुक्त किया है। जिसे प्रतिमाह 1800 रुपये दे रहे हैं। विद्यालय में चतुर्थश्रेणी कर्मी की कमी को पूरा करते हुए गुरुजनों ने 3500 रुपये में ही गांव के एक युवक को रखा हुआ है। पिछले दो वर्षों में गुरुजन अपनी जेब से करीब सवा तीन लाख रुपये खर्च कर रहे हैं।
12वीं का परिणाम 21 से 91 फीसदी तक पहुंचाया
गांव गोरीवाला में स्टॉफ की कमी है। इसके बावजूद बेहतर परिणाम लेकर आने वाले स्टॉफ का प्रयास काबिलेतारीफ है। स्टॉफ पूरा करने के लिए उच्च अधिकारियों को लिखा गया है।
-संत कुमार, बीईओ, डबवाली
शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने के लिए हमारे पास कोई जरिया नहीं था। हमने एकजुटता से कार्य किया। प्रत्येक सदस्य अपनी जेब से करीब एक हजार रुपये प्रतिमाह देता है। बच्चों को प्रत्येक विषय पढ़ाया जा रहा है। 34 प्राध्यापक/अध्यापकों की जरूरत है, हम 12 हैं। इस वर्ष साइसं की कक्षाएं शुरू हुई हैं। मैथ के लिए निजी अध्यापक हैं। केमिस्ट्री लेक्चरर ही फिजिक्स पढ़ा रहे हैं। 21 से 91 फीसदी परिणाम स्टॉफ की एकजुटता की बदौलत है।
-सुल्तान सिंह, प्रिंसिपल
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, डबवाली

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