3 साल में 3 कदम भी नहीं चली 11 घपलों की जांच


 
शहर में हुए विकास कार्यों में लाखों रुपये की धांधली की अगस्त 2012 में की गई थी शिकायत, नगर परिषद की कार्यप्रणाली संदेह में 
रवि मोंगा | डबवाली
भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर नगरपरिषद की कार्यप्रणाली इन दिनों सवालों के घेरे में हैं और कई लोगों पर उंगली उठ रही हैं। पिछले कई सालों में शहर में हुए विकास कार्यों से लेकर निर्माण सामग्री तथा बिजली सामान की खरीद फरोख्त में हुई लाखों रुपए की धांधली के कई आरोपों को लेकर जांच तेज हो गई है।
प्रशासन की गठित जांच टीम से लेकर सीएम फ्लाइंग टीम के अधिकारी नगरपरिषद के खिलाफ मिले शिकायतों के पुलिंदे पर जांच को आगे बढ़ा रहे हैं। सीएम फ्लाइंग टीम अब तक चार बार डबवाली आकर जांच कर चुकी है। शिकायतकर्ताओं का दावा है कि हर बार जांच में अनियमितताएं मिली हैं। अगर आरोपों पर ईमानदारी से जांच चली तो नप के कई अधिकारी इससे जुडे अन्य लोग इसमें फंस सकते हैं। नप अधिकारियों पर जांच के दौरान जांच टीम का सहयोग नहीं करने का भी आरोप है। इसे लेकर शिकायतकर्ता गोपाल मित्तल की 9 जुलाई को सीएम विंडो पर की गई शिकायत पर उपायुक्त ने एसडीएम से रिपोर्ट तलब की थी। एसडीएम की भेजी रिपोर्ट की प्रतिलिपि शनिवार को गोपाल मित्तल को भी प्राप्त हुई। इसमें एसडीएम ने जांच टीमों को पूर्ण रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराने जांच में सहयोग नहीं करने पर नप के अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है।
ऐसे चला जांच का सिलसिला 
नप में घपलेबाजी के आरोपों पर अप्रैल 2013 में एसडीएम डबवाली ने एसडीओ पंचायती राज कुंज बिहारी मेहता को जांच अधिकारी नियुक्त किया था परंतु जांच पूरी नहीं हो पाई। इसके बाद डीसी ने एसडीएम डबवाली की अध्यक्षता में जांच टीम का गठन किया। जिसमें धर्मवीर दहिया, कार्यकारी अधिकारी पंचायती राज सिरसा, एमएस सांगवान कार्यकारी अभियन्ता पीडब्ल्यूडी बीएंडआर शामिल थे। गठन के डेढ़ साल बाद भी कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया। जांच टीम सदस्यों ने एसडीएम को अवगत करवाया कि नगर परिषद उन्हें रिकार्ड नहीं दे रही। इसके बाद भी एसडीएम ने अन्य टीम का गठित की। इस टीम को भी नगर परिषद द्वारा रिकार्ड नहीं मुहैया करवाया गया। अब सीएम विंडो में शिकायत किए जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया है। सीएम फ्लाइंग टीम जांच में जुटी है। परन्तु सीएम फ्लाइंग टीम को भी नगर परिषद द्वारा पूरा रिकार्ड उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है।
पूरा रिकाॅर्ड दिया, गलियां दिखाईं
शिकायतकर्ता गोपाल मित्तल भोला राम ठेकेदार ने बताया कि अप्रैल 2013 से अब तक कई बार आरोपों पर जांच हुई। इसमें नप अधिकारियों ने जांच में असहयोग करते हुए पूरा रिकार्ड ही जांच अधिकारियों को उपलब्ध नहीं करवाया जिस कारण जांच लटकी रही। एडीसी ऑफिस से आई टीम को अधिकारियों ने वह गलियां ही नहीं दिखाई जिनमें विकास कार्यों के दौरान घपलेबाजी हुई है। ऐसे में जांच पर संदेह बना हुआ है। सीएम फ्लाइंग टीम कई कार्यों को लेकर ही जांच कर रही है। इस पर उन्होंने 9 जुलाई को सीएम विंडो पर शिकायत देकर सभी आरोपों पर जांच करने तब तक नगरपरिषद के खातों कार्यों पर रोक लगाने तथा आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की है।
इन आरोपों को लेकर चल रही है जांच 
1. वैष्णो माता मंदिर वाली गली में पुरानी ईंटें उखाड़कर बेच दी गई रिकार्ड में नहीं दिखाया। 2.वार्डन. 10 की महेंद्रा आटो स्टोर वाली गली को एक बार बना कर दो बार अन्य गली के नाम से भुगतान हुआ। 3.वार्डन. 13 की एक गली को तीन बार बनाया गया। 4.वार्डन. 1, 6, 7, 12, 17, 18 19 में मिट्टी डालने के फर्जी बिल बनाए गए। 5.शहरकी विकसित गलियों में पत्थर की मात्रा कम डालकर मेजरमेंट बुक में ज्यादा इंट्री की गई। 6.कचरा प्रबंधक की ग्रांट से खरीदे गए सामान में घपलेबाजी 7.डीप्लान की ग्रांट से शहर में सीवर डालने के लिए पैसे का दुरुपयोग किया गया। तय रेटों से अधिक रेटों पर भुगतान हुआ। 8.बिजली उपकरणों की खरीद में घपलेबाजी। 9.कचरा उठाने के लिए जेसीबी े झूठे बिल दिए। 10.शहर में बंदर पकड़ने के नाम पर फर्जी बिल बनाए गए। 11.वर्ष  2010, 2011 2012 में बनी गलियों में आईपीबी टाइल्स में घपलेबाजी। 

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