झूठी रिपोर्ट देने में एक्सईएन, एसडीई कार्यालय शामिल

आरटीआई में गलत जवाब देकर विवादों में फंसा सेल
डबवाली। कॉपर वायर मामले ने बिजली निगम के आरटीआई सेल को विवादों में ला दिया है। सूचना का अधिकार कानून का मजाक बनाने वाले अधिकारी तथा कर्मचारी दो मामलों में फंसते नजर आ रहे हैं।
मंगलवार को बिजली निगम के एक अधिकारी ने खुलासा किया कि चार माह पहले रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी गई थी। अधिकारी पर विश्वास किया जाए तो स्पष्ट होता है कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान पर सुदृढ़ नहीं है।
तीन बार आरटीआई, तीनों में गलत जवाब
कॉपर वायर मामले में पहली आरटीआई सुनीता के नाम से लगी थी। दूसरी बार युद्धवीर सिंह तथा तीसरी दफा मुकश शर्मा ने शहर में लगी बिजली तारों के बारे में जानने के लिए सूचना का अधिकार कानून का प्रयोग किया। तीन वर्षों के दौरान लगी तीनों आरटीआई का जवाब निगम ने दिया। रिपोर्ट दी कि शहर में कहीं भी कॉपर वायर नहीं है। न ही कहीं से उतारी गई है।
शहर में कॉपर वायर की पुष्टि होने से आरटीआई सेल विवादों में आ गया है। खासकर एसडीओ तथा एक्सईएन कार्यालय। एक्सईएन कार्यालय से जवाब मांगा गया था।
कार्यालय ने जानकारी के लिए एसडीई कार्यालय को लिखा। एसडीई की रिपोर्ट को तसदीक करते हुए बिना अवलोकन एक्सईएन ने सर्टिफाइड रिपोर्ट आरटीआई एक्टिविस्ट को प्रेषित कर दी। विजिलेंस ने बिजली निगम के झूठ को बेनकाब कर दिया है। शहर में कई जगह पर कॉपर वायर सोने की भांति चमक बिखेर रही है। कॉपर वायर उतारकर बेचे जाने के मामले का भंडाफोड़ विजिलेंस (बिजली निगम) करने में जुटी हुई है। लेकिन गलत जवाब ने आरटीआई सेल तथा अधिकारियों के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी है। कॉपर वायर की पुष्टि होने के बाद आरटीआई एक्टिविस्ट ने आरटीआई कानून के जानकारों से संपर्क बनाना शुरू कर दिया है। ताकि झूठी रिपोर्ट देने वाले अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीर नहीं खट्टर सरकार
सीएम मनोहर लाल खट्टर के खास दस्ते को शिकायत दर्ज करवाने के बावजूद सरकार ने रिपोर्ट पर संज्ञान नहीं लिया। सीएम दस्ते को शिकायत के बाद 23 फरवरी 2015 को एचवीपीएन सिरसा के तत्कालीन एक्सईएन रूपेश खैरा ने अपने अधीनस्थ दो तकनीकी विशेषज्ञों को जांच का कार्यभार सौंपा था। करीब एक माह बाद मार्च 2015 में दोनों विशेषज्ञों ने मौका का मुआयना करने के बाद दुर्गा मंदिर क्षेत्र में कॉपर वायर होने की पुष्टि करने के साथ-साथ कॉपर वायर उतारे जाने की भी प्रबल पुष्टि की थी।
चार माह बाद एक विशेषज्ञ ने खुलासा किया है कि उस समय उन्हें वह उपकरण खंबों पर लगे हुए मिले थे, जिससे कॉपर वायर उतारी गई थी। कॉपर वायर काटे जाने के अंश वहां मौजूद थे। इस संबंध में दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम से उपरोक्त क्षेत्र में बिजली सिस्टम की रिपोर्ट मांगी गई थी। निगम ने महज कंडक्टरों की रिपोर्ट देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। यह पुष्टि नहीं की कि वहां कौन सी तार प्रयोग में लाई जा रही है। सवाल उठता है कि चार माह पहले रिपोर्ट सरकार के पास जाने के बावजूद आज तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।
इस बार एचवीपीएन के डायरेक्टर जनरल ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। जिसके आधार पर विजिलेंस विंग ने मामले की जांच शुरू की है। 110 फुट लंबी करीब 15 किलो वजनी कॉपर वायर मिलने से बिजली निगम अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। कई अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर गाज गिरने की संभावना बन गई है।
तीन वर्षों में तीन बार गलत जवाब दिया आरटीआई सेल ने
चार माह पहले भी उजागर हुआ था सच, सरकार ने दिलचस्पी नहीं दिखाई

सीएम के खास दस्ते के पास शिकायत के बाद जांच मेरे पास आई थी। मैंने दो तकनीकी विशेषज्ञों से जांच करवाने के बाद उसे सरकार के पास भेज दिया था। रिपोर्ट पर फैसला सरकार को लेना है।
-रूपेश खैरा, एक्सईएन
दुर्गा मंदिर क्षेत्र में कॉपर वायर है, इस बात को मैं मानता हूं। मेरे कार्यालय से आरटीआई का जवाब कैसे गलत गया, इसके बारे में मुझे पता नहीं। मैंने पिछले माह की 10 तारीख को ज्वाइन किया है।
-मोहन लाल, एसडीई, डबवाली

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