नमी कम करने के लिए सुखाया तो उड़ गया रंग, धान फिर से रिजेक्ट
रोष| किसान बोले-18 %से अधिक बता रहे नमी, अधिकारियों का कहना 17% से ज्यादा नमी वाला धान नहीं खरीद सकते
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dabwalinews.com
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देसूजोधा के किसान वीरा सिंह पुत्र सुखदेव सिंह परमजीत सिंह पुत्र हरनेक सिंह ने बताया कि उन्हें अनाज मंडी में फसल लाए करीब दो सप्ताह हो चुके हैं। खरीद एजेंसी मशीन से फसलों को चेक कर रही है और उसे नमीयुक्त बता रही है। कभी नमी 18 आती है तो वहीं अगले दिन नमी 22 बताई। इसके चलते उन्होंने पूरे दो सप्ताह दिन रात फसल की रखवाली कर सुखाया। जब फसल पूरी तरह से सूख गई तो खरीदारों ने धान को डिस्कलर बताकर उसे रिजेक्ट कर दिया। अब वे मजबूरन फसल घर वापस ले जा रहे हैं। अनाज मंडी के बी ब्लाॅक में धान की फसल बिकने पर परेशान होकर धान को इक्ट्ठा करते किसान। पहले नरमा खराब हुआ, अब धान नहीं बिक रहा मंडी में बैठे किसान सुखचरण सिंह, मेजर सिंह, मलकीत सिंह, पोला सिंह, दर्शन सिंह, बलदेव सिंह, नछत्र सिंह ने बताया कि इस बार कुदरती मार से नरमा की फसलें पूरी तरह से खराब हो चुकी है। किसानों के पास धान की फसल बची है मगर यह भी नहीं बिक रही। इसको अनाज मंडी में बेचने लाए तो खरीदारों की मनमर्जी के चलते उन्हें परेशानी हो रही है। नमी जांचने की विधि पर संदेह है। यदि धान सुखाएंगे तो डिस्कलर होना तय है। ऐसे में किसानों के पास कोई चारा ही नहीं है। सरकार प्रशासन किसानों की समस्या का समाधान करे। वापस ले जाने की बजाए प्राइवेट खरीदार को बेच दें मार्केट कमेटी सचिव दिलावर सिंह ने कहा कि 17 प्रतिशत से अधिक नमी वाला धान खरीदने के निर्देश नहीं है। नमी अधिक होने पर ही किसान को धान सुखाने के लिए कहा जाता है। सूखने के बाद दोबारा नमी जांच कर खरीद की जाती है। यदि धान डिस्कलर होगा या ज्यादा खराब है तो सरकारी एजेंसी नियमानुसार उसे नहीं खरीद सकती। ऐसे धान को वापस ले जाने की बजाए प्राइवेट खरीदार को कम दाम पर बेचा जा सकता है। |
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