फसल बीमा योजना के खिलाफ भड़के किसान 8 अगस्त से अनिश्चितकालीन धरना देंगे
प्रधानमंत्री से फसल बीमा योजना को वापस लेने की मांग करेंगे, योजना को किसानों के खिलाफ बताया
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इसे लेकर मंगलवार को राष्ट्रीय किसान संगठन के प्रतिनिधियों की बैठक तहसील कॉम्पलेक्स में प्रदेश प्रधान जसवीर सिंह भाटी की अध्यक्षता में हुई। इसमें डा. स्वामीनाथन संघर्ष समिति अन्य किसान यूनियनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। भाटी ने बताया कि प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना में अनेक खामिया हैं और योजना किसान विरोधी बनी है। उन्होंने कहा कि योजना संबंधी कागजात पढऩे के बाद यह ज्ञात हुआ है कि इस योजना से किसानों को बीमा राशि भरने के बाद भी कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। योजना के तहत किसानों के हित प्राइवेट बीमा कंपनियों के हवाले कर दिए गए हैं। किसानों को पॉलिसी की पूरी जानकारी दिए बिना ही किसानों के क्रेडिट खातों से बीमा राशि काटना उनके साथ धक्केशाही है। जो किसान अपनी फसल का बीमा नहीं करवाना चाहते वह बीमा राशि क्यों भरें। उन्होंने कहा कि योजना के तहत प्रति एकड़ के स्थान पर पूरे गांव को इकाई बना दिया है। ऐसे में अगर एक या दो किसानों की फसल को किसी वजह से नुकसान होता है तो उसके नुकसान की भरपाई नहीं हो पाएगी। इसके अलावा फसल में आग लगने पर भी उसे कुछ नहीं मिलेगा। ऐसा बीमा किसान के लिए किसी काम का नहीं है। वैसे भी सिर्फ चार फसलों को बीमा पॉलिसी में रखा गया है अन्य फसलें इसके दायरे में नहीं आती। बैठक में बलबीर नंबरदार भारूखेड़ा, परमजीत सिंह माखा, मलकीत सिंह खालसा, बूटा सिंह, पूर्व सरपंच जसपाल सिंह नौरंग, का. ओम प्रकाश लखुआना, लीलाधर बलिहारा, लखविंद्र सिंह अलीकां, सुंदर सिंह बराड़, जयदयाल मेहता, लवली मेहता, नरेंद्र दंदीवाल, शिवचरण सिंह अन्य किसान प्रतिनिधि उपस्थित थे। किसान भलाई फंड बनाए सरकार उन्होंने बताया कि पॉलिसी पढऩे के बाद यह भी सामने आया कि प्रीमियम राशि भी सभी जिलों में अलग-अलग है। ऐसा लगता है कि पॉलिसी बनाते समय इसके सभी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया और किसानों की बजाए प्राइवेट बीमा कंपनियों के लाभ का ख्याल ज्यादा रखा गया। इसीलिए राष्ट्रीय किसान संगठन अन्य यूनियनों ने 8 अगस्त से अनिश्चितकालीन धरना शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत सरकार से मांग की जाएगी कि उक्त बीमा योजना वापिस लेकर सरकार चाहे तो किसानों के लिए एक भलाई फंड बना दे जो राशि बीमा कंपनियों को दी जानी है उसे उस भलाई फंड में जमा करे। फसल को कोई नुकसान होने पर उसमें से किसानों को मुआवजा दिया जाए। उन्होंने बताया कि बैठक में उपस्थित किसान प्रतिनिधियों ने उन राजनीतिक दलों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने उक्त बीमा योजना के खिलाफ किसानों के हित में आवाज उठाई है। |
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