भूसा जलाने पर रोक के विरोध में किसानोें का धरना



विरोध | किसानोें ने मांगों को लेकर एसडीएम कार्यालय के समक्ष धरना देकर किया रोष जाहिर , तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन 
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उपमंडल कार्यालय में सोमवार को एसडीएम कार्यालय के बाहर किसानों ने धान का भूसा जलाने पर लगाई पाबंदी जुर्माने के विरोध में धरना देकर रोष जाहिर किया। इसमें सभी किसानों से धरने के बाद तहसीलदार नौरंगदास को सीएम के नाम ज्ञापन सौंपकर समाधान की मांग की और समस्याओं के समय पर समाधान ना होने पर छोटी दीवाली को काले दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया। 

सरकारी न्याय :- पराली पर प्रतिबंध, पटाखों पर छूट

राष्ट्रीय किसान संगठन के प्रदेशाध्यक्ष जसवीर सिंह भाटी ने बताया कि सरकार ने किसानों को सुविधाएं देने की बजाय उनके साधनों पर रोक लगाने की नीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि धान फसल की कटाई के बाद उसके अवशेषों को किसान जलाकर गेहूं अन्य फसलों की बिजाई करते है परंतु सरकार ने इस पर इसलिए रोक लगा दी कि इससे वायु प्रदूषण लोगों की आंखें जलती है। परंतु सरकार द्वारा उन शहरी लोगों का विरोध नहीं किया जाता जो हर रोज अपने कचरे को सड़कों किनारे गिराते है और दुकानदार कचरे के ढेरों को बाहर इकट्ठा करके आग लगाते है। उन्होंने कहा कि लोग गंगा में स्नान पवित्र होने के लिए करते है परंतु फैक्ट्रियों द्वारा दूषित पानी मिक्स कर देने से उसका पानी दूषित होता है और लोग स्वच्छ होने की बजाय कीचड़ से दूषित होकर निकलते है परंतु सरकार द्वारा इनका कोई विरोध नहीं किया जाता क्योंकि उनके द्वारा सरकार को चंदा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को देवता मानती है ये उन्हेंं सुविधाएं देने की बजाय उन्हे छीन रही है। जगदीश सिंह ने बताया कि खेतों में पराली को जलाने पर सरकार ने रोक तो लगाई है परंतु उसका कोई समाधान नहीं निकाला है ऐसे में किसानों के लिए पराली को नष्ट करके बिजाई करने में समस्या बन गई है। इसके बाद मोहन लाल अबूबशहर ने बताया कि सरकार ने किसानों की पराली जलाने पर रोक लगाते हुए जुर्माना लगाने की नीति लागू की है। परंतु दीवाली पर पटाखे बनाने वाली फैक्ट्रियों उन्हें चलाने वालों पर कोई रोक की नीति नहीं अपनाई जा रही है। इस मौके पर प्रधान प्रकाश सिंह, परमजीत सिंह माखा, मलकीत सिंह खालसा, लवली मेहता, अमरजीत सिंह, मुख्तयार सिंह, जगदीश सिंह, रामस्वरूप, बद्रीप्रसाद, नरेंद्र सिंह, छोटूराम अन्य मौजूद थे।
मैंने 10 एकड़ में धान बोया है। इसमें कटाई के बाद 400 रुपये प्रति एकड़ रिपर से भूसा काटा है जबकि 400 रुपये एकड़ हैरो से इसे इकट्ठा किया जाएगा। इससे प्रति एकड़ 4 हजार से अधिक भूसा निपटान का खर्च बढ़ गया है।'' लवली मेहता, सुखेराखेड़ा
मुझे जानकारी नहीं थी मुझे जानकारी नहीं थी और भूसा जलाया तो अधिकारियों ने एफआईआर का डर दिखा 15 हजार रुपये जुर्माना वसूल लिया। अब रोजाना पराली जलाई जा रही है। सूचना के बावजूद अधिकारी कार्रवाई नहीं करते।'' लखवीरसिंह, निवासी खुईया मलकाना
मनाएंगे काली दिवाली 
किसानों ने कहा कि सरकार ने सता में आने से पहले किसानों से जो वायदे किए थे सरकार उसके विरुद्ध नीतियां अपना रही है। फसलें खराब होने के कारण किसानों की परेशानी बढ़ती है ऐसे में प्रशासन द्वारा किसानों की मुआवजा दिए जाने के बदले मुश्किल को बढ़ाया जा रहा है। किसानों ने निर्णय लिया कि वह छोटी दीवाली को काली दिवाली बनाकर प्रशासन की नीतियों का विरोध करेंगे।
बाजारों से निकाला रोष मार्च 
सरकार द्वारा किसानों के प्रति अपनाई विरोधी नीति पराली जलाने पर जुर्माने को लेकर किसानों ने रोष मार्च निकाला। इसमें एसडीएम कार्यालय के समक्ष धरनारत किसान इकट्ठे होकर अनाज मंडी के बी ब्लाक में पहुंचे और किसानों को जागरूक किया। इसी दौरान किसान सरकार के प्रति नारेबाजी करते हुए शहर की मुख्य सड़कों से होते हुए एसडीएम कार्यालय पहुंचकर समापन किया।

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