पंजाब विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल श्री आनंदपुर साहिब व बठिंडा में गरजेंगे
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री गुरु गोबिंद सिंह के 350वें जन्मदिवस समारोह के सिलसिले में शुक्रवार को श्री आनंदपुर साहिब आ रहे हैैं। मोदी अपने संबोधन को केवल धर्म तक सीमित नहीं रखेंगे, बल्कि भारत-पाक सीमा पर बने तनावपूर्ण हालात के बीच वह इस सीमावर्ती सूबे से पाकिस्तान को ललकारने से पीछे नहीं हटेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री गुरु गोबिंद सिंह के 350वें जन्मदिवस समारोह के सिलसिले में शुक्रवार को श्री आनंदपुर साहिब आ रहे हैैं। मोदी अपने संबोधन को केवल धर्म तक सीमित नहीं रखेंगे, बल्कि भारत-पाक सीमा पर बने तनावपूर्ण हालात के बीच वह इस सीमावर्ती सूबे से पाकिस्तान को ललकारने से पीछे नहीं हटेंगे।
बठिंडा में पीएम मोदी की रैली की तैयारियों का जायजा लेतीं केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही 1699 में श्री आनंदपुर साहिब की इस ऐतिहासिक जमीं पर खालसा पंथ का सृजन किया था। सिख को उन्होंने तब सिंह बनाया था। जाहिर है इस भूमि पर आकर मोदी और जोश में भरे होंगे। सीमांत राज्य के इस दौरे की अहमियत इसलिए और बढ़ जाती है कि हाल ही में भारतीय सेना पर पाकिस्तान के लगातार हमले बढ़े हैं तो भारत ने भी उसका उसी लहजे में जवाब दिया है। चूंकि पंजाब से सेना में अच्छी भागीदारी रही है और उच्च सैन्य पदों पर भी सिख चेहरे ज्यादा नजर आते हैं तो मोदी सेना का मनोबल भी इस जगह से बढ़ाएंगे।
पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हो रहे इस एक दिवसीय दौरे के दौरान मोदी हालांकि बठिंडा में एम्स का नींवपत्थर भी रखेंगे मगर उनका मुख्य कार्यक्रम यहां आनंदपुर साहिब में ही होगा। कार्यक्रम बेशक धार्मिक है, लेकिन चुनाव के कारण इसका असर राजनीतिक तौर पर भी पड़ेगा। मोदी के संबोधन में नोटबंदी का जिक्र भी होगा तो साथ ही आगामी चुनाव में एक बार फिर अकाली-भाजपा गठबंधन को सत्ता में लाने का आह्वान भी रहेगा।
इसके अलावा वह कृषि व सहकारी क्षेत्र के लिए भी कोई घोषणा कर सकते हैं। पंजाब की पहचान खेती है जबकि सहकारी बैंकों में किसानों के करोड़ों रुपये जमा होने के बावजूद इन बैंकों से पैसा निकालने पर केंद्र ने रोक लगा दी है। किसानों को गेहूं की बिजाई के लिए बीज व खाद खरीदने के लिए पैसा चाहिए मगर पंजाब के 80 फीसदी किसान सहकारी मुहिम से जुड़े होने के बावजूद अपना ही पैसा निकाल नहीं पा रहे। केंद्र ने सहकारी बैंकों को नए नोट नहीं दिए हैं, जबकि अन्य बैंकों में यह नोट उपलब्ध हैं।
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