विडंबना |शहर के सबसे पुराने स्कूल में सुविधाओं का टोटा, वहीं नए शैक्षणिक स्तर से शिक्षा विभाग स्कूल को इंग्लिश मीडियम बनाने के लिए प्रयासरत

1266 विद्यार्थियों की संख्या वाले स्कूल में महज 8 अध्यापक, पूरे क्लासरूम और स्टाफ, फिर भी सौंदर्यीकरण में अव्वल
प्रिंसपल मान के रिटायर होने से एक महत्वपूर्ण पद हो रहा है खाली 
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शहर में सबसे पुराने स्कूल में छात्र संख्या सबसे ज्यादा है। इससे स्कूल में तो पर्याप्त स्टाफ है और ही बच्चों की संख्या के अनुसार क्लासरूम है। इतना ही नहीं स्कूल में कोई क्लर्क, पियून सफाई कर्मी भी नहीं है। बावजूद इसके राजकीय सीनियर सेकंडरी स्कूल स्वच्छता और सौदर्यीकरण में प्रदेश में अव्वल है। खेलों और बढ़ाई में भी अव्वल साबित हो रहा है। लेकिन आज स्कूल को इस मुकाम पर पहुंचाने वाले प्रिंसिपल भी रिटायर हो रहे हैं। इससे एक ओर महत्वपूर्ण पद स्कूल में खाली होने के साथ परीक्षाओं से ऐन पहले स्टाफ के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई है। हालांकि स्कूल की स्थिति को लेकर मामला विधानसभा में भी रखा गया है।
शहर के राजकीय सीनियर सेकंडरी स्कूल में मौजूदा सत्र में 1266 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं और नियमानुसार इन कक्षाओं के सेक्शन बनाएं तो कुल 30 सेक्शन बनते हैं जबकि स्कूल में कक्षा भवन इससे आधे ही हैं। इसके अलावा स्कूल को प्रयोगशालाओं आईटी कक्ष के साथ अन्य गतिविधियों के लिए भवन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि स्टाफ में स्वीकृत 35 लेक्चरर में 17 ही हैं जबकि 16 अध्यापकों में महज 8 ही अध्यापक हैं। स्कूल में एकमात्र लैब अस्सिटेंट है जबकि क्लर्क कोई नहीं है। हालांंकि मौजूदा छात्र संख्या में अनुसार करीब 70 अध्यापक लेक्चरर की जरूरत है जबकि 10 से अधिक क्लर्क, पियून चौकीदार की जरूरत है। इसके अलावा स्कूल के मुखिया सुरजीत सिंह मान भी आज सेवानिवृत हो रहे हैं। जबकि अगले सप्ताह से बोर्ड परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्र के साथ साथ यहां खंड का आंसरशीट कलेक्शन सेंटर भी है। ऐसे में स्टाफ के साथ अब प्रिंसिपल के अभाव में व्यवस्थाएं करना स्टाफ के लिए नई चुनौति हो गया है।
विधायक ने विस के पटल पर जवाब तलब किया
स्टाफ अौर भवन के अभाव को झेल रहे शहर के सबसे बड़े स्कूल में स्थिति ऐसी विकट है वहीं शिक्षा विभाग इसे इंग्लिश मीडियम स्कूल भी बनाने जा रहा है। इसके लिए खंड के दो स्कूलों में अबूबशहर के साथ शहर के इस स्कूल को भी शामिल किया गया है।
नए सत्र से यहां सभी कक्षाओं के इंग्लिश सेक्शन अलग शुरू हो जाने से अतिरिक्त अध्यापकों भवन की जरूरत पैदा हो गई है। इस विकट स्थिति को लेकर विधायक ने विधानसभा के पटल पर सवाल रखते हुए सरकार से जवाब तलब किया है। विधानसभा में मामला जाने के बाद स्कूल को नया भवन पूरे स्टाफ की उम्मीद जगी है।
नए सत्र में देंगे पूरा स्टाफ 
शहर से सबसे पुराने और बड़े स्कूल में मैं लगभग रोजाना ही निरीक्षण करता हूं। स्कूल में भवन अौर स्टाफ की कमी उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है लेकिन स्कूल प्रिंसिपल के नेतृत्व में स्टाफ ने कक्षाओं की व्यवस्था इतनी बेहतर की हुई है कि अभाव नजर नहीं आता। विभाग की ओर से नए सत्र में स्टाफ भवन उपलब्ध कराने की हरसंभव कोशिश की जाएगी। बलजिंद्रसिंह भंगू, बीईओ, डबवाली 
विभिन्न कार्यक्रमों के लिए प्रयोग होता है स्कूल भवन 
इतना ही नहीं स्कूल में हर सप्ताह शिक्षा विभाग की ओर से ट्रेनिंग, कार्यशाला, साप्ताहिक कक्षाएं प्रतियोगी कार्यक्रम भी यहां संचालित होते हैं। जिनमें कई स्कूल खुले होने के दौरान होने से कमरे उपलब्ध कराने की चुनौति स्कूल के सामने रहते हैं। सोमवार को भी स्कूल में जेबीटी की कार्यशाला लगी। इसके बाद बोर्ड ने इसे परीक्षा केंद्र बनाया हुआ है। जबकि बीई कार्यालय का पर्याप्त भवन होने से बीईईओ कार्यालय के लिए भी ऑफिस और स्टोर इसी स्कूल प्रांगण से दिया गया है। 

ये है छात्र संख्या
कक्षा बच्चों की संख्या
 6वीं 160  7वी 126  8वीं 129  9वीं207  10वीं 140  11वीं 294 12वीं 210 कुल -1266

स्कूल स्टाफ आैर वालंटियर बच्चों की मदद से रोजाना चलाते हैं स्कूल में सफाई अभियान स्कूल में स्टाफ भवन की कमी के साथ यहां सफाईकर्मी पियून होने के बावजूद स्कूल सबसे सुंदर स्वच्छ बना हुआ है। स्कूल को स्वच्छता सौंदर्यीकरण में खंड, जिला प्रदेश स्तर पर पुरस्कार मिले हैं। सरकारी स्कूल में गेस्ट महिला टीचर हरजिंद्र कौर के नेतृत्व में वालंटियर बच्चे रोजाना सफाई अभियान चलाकर साफ सफाई करते हैं जबकि शहरवासियों के सहयोग से दिनभर प्रिंसिपल सहित स्टाफ अवकाश के दिन भी बागवानी खेल मैदान संवारते हैं। स्कूल में करीब 80 से 100 वर्ष पुराने कमरे भी नए कमरों की तरह चकाचक बनाए हुए हैं। कई कमरे खस्ताहाल होने के बावजूद लगातार रिपेयर कर कक्षाएं लगाई जा रही हैं।
स्टाफ की कमी से बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित
स्कूल में स्टाफ और भवन का अभाव होने से जरूरत के अनुसार कक्षाओं के अलग सेक्शन नहीं बन रहे हैं। इससे एक ही कक्षा में 50 की जगह 80 से 100 तक बच्चे पढ़ाए जा रहे हैं। हालांकि स्कूल की कक्षाओं को परिणाम दूसरे सरकारी स्कूलों के मुकाबले अच्छा है। स्कूल में 6वीं की कक्षा इंचार्ज ने बताया कि उनकी कक्षा में 83 बच्चे हैं। सभी बच्चे एक साथ डैस्कों पर बड़ी मुश्किल से बैठ पाते हैं लेकिन स्टाफ भवन कम होने से बड़ी कक्षा को पढ़ाते हैं। कई बार एक दिन में सभी की कॉपी जांच नहीं हो पाती।
विधानसभा में मांग उठाएंगे 
इस बारे में मैंने विधानसभा में सवाल दिया है। सरकार शिक्षा और संसाधनों के प्रति केवल खोखले दावे कर रही है। विधानसभा में इसका जवाब तलब करूंगी। हलका में आधुनिक संसाधनयुक्त स्कूल भवन की मांग उठाई जाएगी। नैनासिंह चौटाला, विधायक, डबवाली। 

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