पब्लिक है सब जानती है... झूठे विकास के दावे और एक बर फिर से जनता को बरगलाने की कोशिश में जुटे भाजपाई

पिछले दिनों सिरसा में कॉलेज में दाखिले को लेकर छात्राओं ने सरकार के खिलाफ जमकर बवाल काटा। पूर्व मंत्री एवं भाजपा अनुशासन समिति के अध्यक्ष प्रो. गणेशी लाल से आंदोलनरत छात्राओं ने मुलाकात कर समस्या का हल करवाने की बात की तो उन्होंने कहा कि वे इस विषय पर शिक्षा मंत्री से बात करेंगे। अब न तो उन्होंने कोई बात की और न ही समस्या का हल हुआ। इसी प्रकार भाजपा जिलाध्यक्ष यतिन्द्र सिंह से भी मिले तो उनका भी यही जवाब था।
ऐसे में यदि पर्यटन विभाग के चेयरमैन एवं मुख्यमंत्री के पूर्व राजनीतिक सलाहकार जगदीश चोपड़ा से किसी समस्या से ग्रस्त लोग मिलते हैं तो वे केवल कानून का पाठ पढ़ाकर उन्हें बैरंग वापिस लौटने को मजबूर कर देते हैं। अब ऐसे में विकास के दावे तो बेमानी साबित हो रहे हैं।
में नहीं आता की भाजपा सरकार आमजन के समक्ष अपनी किस तरह की छवि बनाने की तैयारी कर रही है। दो दिन पूर्व सिरसा प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विकास का राग अपलापते हुए यहां तक कह डाला कि सिरसा के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में सामान रूप से विकास करवाया गया है। लेकिन पांचो विधानसभा क्षेत्र की जनता यह सवाल कर रही है कि यदि सरकार ने सामान विकास करवाया है तो वो हैं कहां हुआ और कौन सी दिशा में छिपा है आखिर वो विकास दिखाई क्यों नहीं पड़ रहा। पिछले 1015 दिन विकास के नाम पर जो हुआ है वो ये कि कर्मचारी, किसान, विद्यार्थी,व्यापारी सभी के सभी आंदोलनरत रहे और गली-मौहल्लों के लोग समस्याओं को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के लिए चुनौति बने रहे। ऐसे में सामान विकास की बात गले नहीं उतर रही। किसी विशेष जिले का विकास हुआ हो तो पता नहीं लेकिन पूरे हरियाणा में विकास की कोई कड़ी कहीं जुड़ी ही नही है।
अब बात करते हैं भापजा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के तीन दिवसीय दौरे की। शाह के रोहतक प्रवास के दौरान के लिए पूरे प्रदेश का प्रशासनिक अमला पिछले कई दिनों से उनके स्वागत की तैयारियों में जुटा हुआ था और सरकारी धन को पानी की तरह बहाया जा रहा है तो वहीं आमजन की दिनचर्या को प्रभावित करने का काम किया गया। कहा तो यह जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक में हरियाणा की राजनीति में निर्णायक जाट समुदाय को लुभाने की कोशिश है जो आरक्षण आंदोलन के बाद के घटनाक्रम के चलते पार्टी से छिटके हैं। मगर असली सवाल यह है कि पार्टी संगठन की बैठकों के लिये ये तामझाम क्यों? एक पार्टी अध्यक्ष के स्वागत में सरकार जिस तरह बिछी हुई है, उससे राज्य का शासन-प्रशासन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। तीन दिन के सम्मेलन और उससे पहले की तैयारी में मुख्यमंत्री, मंत्री ही नहीं, सरकार के आला अफसर भी जुटे रहे। राज्य के प्रत्येक जिला सचिवालयों में सन्नाटा पसरा है। जाहिर तौर पर लोगों से जुड़े काम प्रभावित हो रहे हैं। नि:संदेह अमित शाह इस समय चढ़दी कला में हैं मगर इसके लिये शासन-प्रशासन को निषक्रिय बनाने का क्या औचित्य है? जिस तरह की खबरें रोहतक से अमित शाह के दौरे के दौरान आ रही हैं पूरे प्रदेश से भाजपाई नेता पहुंचे हुए हैं और सत्तारूढ़ दल की इस हिमाकत को देखकर आमजन बेबस हो चला है। सबसे बड़ी बात यह है कि संवैधानिक पद पर आसीन किसी शीर्ष व्यक्ति के आगमन की तैयारी पर पानी की तरह पब्लिक का पैसा बहाया गया। शहर की लिपाई-पुताई, रंग-रोगन, कई चक्रीय सुरक्षा व्यवस्था, स्वागत के भव्य आयोजन, ड्रोन द्वारा सुरक्षा की निगरानी, ताबड़तोड़ बैठकों का सिलसिला, दलित कार्यकर्ता के घर भोजन जैसे तमाम तरह के जुमले मीडिया में जमकर उछले । यानी लोकतंत्र में शाही ठाठ। जाहिरा तौर पर अमित शाह अपने मिशन-19 पर देशभर में भाजपा के समीकरणों को दुरुस्त करने के लिये निकले हैं। मगर ये तामझाम और आडंबर किसलिये? जो पार्टी अपने अलग होने का दावा करती रही है, वह भी दिखावे की कांग्रेसी संस्कृति में रंगी नजर आ रही है। संघ और उसके अनुषांगिक संगठन तथा उसी सोच से उपजी भाजपा कभी सादगी व सरलता के लिये जानी जाती रही है। मगर सत्ता में आने के बाद उसका चरित्र बदलता नजर आ रहा है। क्या ऐसे आडंबरों से भाजपा जनता की उन आकांक्षाओं को पूरा कर सकेगी। वहीं एक सवाल यह है कि सरकार अपने हर विज्ञापन में 1000, 1005, 10, फिर 20 आखिर क्यों दर्शा रही है? कहीं ऐसा तो नहीं भाजपा सरकार अब अपने दिन गिनने लगी हो। लेकिन पब्लिक है सब जानती है कि ये क्यों और किस लिए किया जा रहा है।
No comments:
Post a Comment