कागजों में दम तोड़ रही सरकारी योजनाएं

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डबवाली । शिक्षण संस्थानों में विभिन्न तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने जितनी भी योजनाएं बनाई या फिर बनाई जा रही है उनमें से एक भी योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही है। अन्य घोषणाओं की तरह शिक्षण संस्थानों के प्रति भी की जा रही घोषणाएं या तो बिना किसी तरह आगे बढऩे से पूर्व ही दम तोड़ रही है या फिर कागजों तक सिमटकर ही रह जाती हैं। सरकार एक ओर तो सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के दावे करती है तो वहीं स्कूल परिसर में अनेक तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाने की घोषणाएं भी यदाकदा की जाती हैं लेकिन सरकार व सरकारी विभाग की उदासीनता के चलते एक भी योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही। अनेक योजनाओं में से एक योजना बीते अगस्त माह प्रदेश के 14 हजार सरकारी स्कूलों में बिजली की समस्या खत्म करने के लिए। शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में सोलर पावर पैनल लगाने का फैसला किया था। पहले यह सोलर पैनल केवल 10 हजार प्राइमरी स्कूलों में लगने थे और इसमें पहले चरण में 4500 स्कूलों को कवर किया जाना था। फाइल भी वित्त विभाग से अपू्रवल हो गई थी। लेकिन जब सीएम को इस प्रोजैक्ट का पता चला तो योजना में बदलाव करवाते हुए प्रदेश के सीनियर और हाई स्कूलों में सोलर पैनल लगाने के निर्देश दिए। तब शिक्षा विभाग को दोबारा से एस्टीमेट बनाना पड़ा था।
शुरूआत में इस प्रोजैक्ट पर लगभग 15 करोड़ खर्च होना था और इसमें 300 वाट्स से 2 किलोवाट तक के सोलर पावर पैनल लगने थे, ताकि बंद पड़े एजुसैट सिस्टम को चलाया जा सकें। शिक्षा विभाग के निवर्तमान अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास अपने तबादले से करीब 3 दिन पहले इस फाइल को अप्रूव कर गए थे। हरियाणा उत्कर्ष सोसायटी और हरेडा ने इस प्रोजैक्ट को पूरा करना था। लेकिन सबसे बड़ी विडम्बना तो यह है कि अब तक इस बाबत विभाग ने आगे किसी तरह की कार्रवाही नहीं की। विभागीय सूत्रों के अनुसार अभी तक इस प्रोजेक्ट को एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया गया है। इसका मतलब साफ है कि सरकार  केवल योजनाएं बनाती है लेकिन उसे धरातल पर उतारने के लिए किसी तरह की कोई रूचि नही ली जाती और इस तरह की योजनाएं कागजों में दम तोड़ देती हैं।

यह है योजना 
 नई फाइल के अपू्रव होने के बाद 3 साल के भीतर सभी प्राइमरी, सीनियर और हाई स्कूलों में सोलर पावर पैनल लगाए जाने हैं। पहले चरण में 3222 से ज्यादा सीनियर और हाई स्कूल को कवर किया जाएगा। अब बजट 450 करोड़ रुपए हो गया और पहले चरण में 250 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। अब एक किलोवाट से लेकर 21 किलोवाट तक की क्षमता के सोलर पावर पैनल लगेंगे। ज्यादातर स्कूलों में 6 से 7 किलोवाट क्षमता वाले सौर ऊर्जा पैनल लगाने की योजना है।

अभी तक इस बारे कोई जानकारी नहीं:वर्मा

 इस योजना को लेकर जब जिला शिक्षा अधिकारी यज्ञदत्त वर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि इस बारे में अभी उनके पास कोई जानकारी नही है। उन्होंने बताया कि इसका प्रपोजल विभाग द्वारा तैयार किया है और इसकी अप्रूवल अभी नही आई है। जिस दिन अपू्रवल आ जाएगी उस पर काम किया जाएगा। वर्मा ने बताया कि शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों को हाईटेक बनाने के लिए विभाग व सरकार संकल्पबद्ध है और इसके लिए सोलर सिस्टम सहित अनेक योजनाओं को क्रियान्वियत किया जाना है।
चित्र, यज्ञदत्त वर्मा जिला शिक्षा अधिकारी

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