अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा मंडी किलियांवाली स्थित पशु मेला स्थल

#dabwalinews.com

किलियांवाली -

मंडी किलियांवाली स्थित पशु मंडी एशिया की सबसे बड़ी मंडियों में शामिल है लेकिन इन दिनों अपने अस्तित्व की लड़ाई लडऩे को मजबूर है। प्रत्येक रविवार को यहां लगने वाले पशु मेले में आने वाले पशुओं की तादाद लगातार कम हो रही है। इसका मुख्य कारण ठेकेदारों द्वारा क्रय-विक्रय के लिए आने वाले पशु व्यापारियों से भारी राशि वसूलना मुख्य कारण माना जा रह है तो वहीं सुरक्षा के भी पुख्ते इंतजाम न हो पाने के कारण पशु पालक इधर का रूख कम करने लगे हैं ऐसा विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है।

21 फरवरी 2010 को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के कर कमलों द्वारा करोड़ों रूपये की लागत से बने इस आधुनिक पशु मेले स्थल का उद्घाटन किया गया था। कुछ समय तक तो यहां सब ठीक ठाक चला और इस दौरान पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के साथ-साथ देश के अन्य प्रदेशों से आने वाले पशु व्यापारियों के रहने आदि का जहां बेहद सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई थी तो वहीं पशुओं को भी यहां दो-चार दिन रखने के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई थी लेकिन धीरे-धीरे यह सुविधाएं दम तोडऩे लगी हैं।


प्रत्येक रविवार को लगने वाले पशु मेले में हजारों की संख्या में व्यापारी पशुओं की खरीद-फरोख्त के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों से आते हैं। यहां लगने वाला मेला बेहद आधुनिक ढंग से लगाया जाता है और खरीद-बेच का सब काम नगदी के रूप में होता है यानि करोड़ों रूपये का लेन-देन एक ही दिन में हो जाता है। सूत्र बताते हैं कि इससे पूर्व यहां लाखों की संख्या में पशु लाए जाते थे लेकिन धीरे-धीरे यह संख्या सिमटते हुए अब हजारों तक सिमट कर रह गई है। इसके पीछे अनेक पहलु छिपे हुए हैं।

भैंसों की मांग घटी विदेशी नस्ल की गांयों की मांग बढ़ी


संवाददाता ने जब इस पशु का अवलोकन किया तो पाया कि इस पशु मेले में आने वाले पशुओं में भैंसों की संख्या लगातार कम हो रही है और विदेशी नस्ल की गायों की संख्या अधिक पाई गई। भैंसों की की संख्या में कमी आने का मुख्य कारण यह है कि भैंस महंगे दाम पर मिलती है तो वहीं दूध भी कम होता है और जबकि विदेशी नस्ल की गाय का मूल्य भी कम होता है तो वहीं दूध भैंसों व देसी गाय की अपेक्षा कहीं अधिक होता है। इसलिए दूध का कारोबार करने वाले डेयरी संचालक भैंस और देसी गाय की अपेक्षा विदेशी गाय की खरीद अधिक करते हैं। जिसके कारण पशु मेले में आने वाली भैंस व देसी गाय की संख्या में लगातार कमी आ रही है।

मोटी फीस वसूली जाने लगी है अब

मेले पशु बेचने के लिए आने वाले व्यापारियों से पशु मेले के ठेकेदार द्वारा प्रवेश फीस के रूप में एक पशु के 40 से 80 रूपये वसूल किए जाते हैं तो वहीं पशु बिक जाने के बाद विक्र्रेता से 12 सौ रूपय की रकम वसूली जाती है ऐसा सूत्र बताते हैं। पशु मेला संचालकों द्वारा इतनी मोटी राशि वसूले जाने के कारण पशु व्यापारियों को इस इस मेले स्थल के प्रति रूझान लगातार कम हो रहा है। सूत्र बताते हैं कि कालांवाली क्षेत्र में पडऩे वाले गांव फग्गू के निकट लगने वाले पशु मेले में मात्र 200 रूपये ही वसूले जाते हैं जिसके कारण पशु व्यापारियों का रूझान उस ओर अधिक बढ़ रहा है और किलियांवाली के पशु मेले में आने वाले पशुओं की तादाद लगातार घट रही है।

No comments:

IMPORTANT-------ATTENTION -- PLEASE

क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई