अतिक्रमण ने बिगाड़ी शहर की सूरत
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डबवाली।
अतिक्रमण के मामले में जिस तरह की स्थानीय प्रशासन से अपेक्षा की जा रही थी, उससे उल्ट प्रशासन बैकफुट पर नजर आने लगा है। प्रशासन की ढिलाई की वजह से ही अतिक्रमणकारियों के हौंसले बुलंद हैं और शहर की चौड़ी सडक़ें भी तंग गलियों में तबदील होती जा रही हैं। चौक-चौराहों और सडक़ों के किनारे बेतरतीब रेहडिय़ों और दुकानदारों द्वारा सडक़ पर रखे काऊंटरों ने शहर का बुरा हाल कर दिया है। हर दुकानदार एक-दूसरे से आगे बढऩे की होड़ में लगा है।
जमीन हकीकत यह है कि अतिक्रमण ने डबवाली शहर की सूरत ही बिगाड़ डाली है। रोकटोक न होने के कारण दुकानदारों ने एक दूसरे से होड़ में 10-10,20-20 फुट तक अतिक्रमण कर लिया। दुकानदारों व ग्राहकों के वाहनों की वजह से सडक़ों पर पैदल चलने की जगह भी नहीं बच पाती। रही सही कसर जहां-तहां खड़ी रेहड़ी-रिक्शा पूरी कर देते हैं। बस अड्डे के आस-पास के दुकानदारों के साथ-साथ बस अड्डे के साथ लगते मार्ग तो प्रतिदिन संकरें होते जा रहे हैं। दुकानदारों ने बड़े-बड़े थड़े बनाकर अपना कब्जा जमाया हुआ है। ऐसे में आम लोगो ंको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
उठाने होंगे कड़े कदम
डबवाली। शहर के सौंदर्यकरण और यातायात जाम की समस्या के समाधान के लिए स्थानीय प्रशासन को कड़े कदम उठाने होंगे। इसमामले में अतिक्रमणकारियों के विरोध का सामना करना पड़ेगा लेकिन व्यापक जनहित में अतिक्रम के खिलाफ कार्रवाही करनी ही होगी। जब पीएम मोदी नोटबंदी और जीएसटी जैसे कड़े कदम उठाने से नहंी डरे, तब प्रशासनिक अधिकारी शहरवासियों की भलाई के लिए अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाने से क्यों हिचक रहा है। शहर से अतिक्रमण हटेगा, सडक़े और बाजारों की छठा निखर कर आएगी।। शहर का सौंदर्यकरण बढ़ेगा, लोगों को राहत मिलेगी।
बिना भेदभाव के हो कार्रवाई
डबवाली । अतिक्रमण हटाने के मामले में बगैर भेदभाव कार्रवाई होनी चाहिए। अमूमन अधिकारियों द्वारा अपने जानकार और प्रभावी लोगों के अतिक्रमण पर आंख मूंद ली जाती है। जिसकी वजह से अन्य को भी बचने का अवसर मिल जाता है। अतिक्रमण के मामले में प्रशासन को पहल कार्रवाही प्रभावी और असरदार लोगों के अतिक्रमण हटाने से शुरू करनी चाहिए।
डबवाली।
अतिक्रमण के मामले में जिस तरह की स्थानीय प्रशासन से अपेक्षा की जा रही थी, उससे उल्ट प्रशासन बैकफुट पर नजर आने लगा है। प्रशासन की ढिलाई की वजह से ही अतिक्रमणकारियों के हौंसले बुलंद हैं और शहर की चौड़ी सडक़ें भी तंग गलियों में तबदील होती जा रही हैं। चौक-चौराहों और सडक़ों के किनारे बेतरतीब रेहडिय़ों और दुकानदारों द्वारा सडक़ पर रखे काऊंटरों ने शहर का बुरा हाल कर दिया है। हर दुकानदार एक-दूसरे से आगे बढऩे की होड़ में लगा है।
जमीन हकीकत यह है कि अतिक्रमण ने डबवाली शहर की सूरत ही बिगाड़ डाली है। रोकटोक न होने के कारण दुकानदारों ने एक दूसरे से होड़ में 10-10,20-20 फुट तक अतिक्रमण कर लिया। दुकानदारों व ग्राहकों के वाहनों की वजह से सडक़ों पर पैदल चलने की जगह भी नहीं बच पाती। रही सही कसर जहां-तहां खड़ी रेहड़ी-रिक्शा पूरी कर देते हैं। बस अड्डे के आस-पास के दुकानदारों के साथ-साथ बस अड्डे के साथ लगते मार्ग तो प्रतिदिन संकरें होते जा रहे हैं। दुकानदारों ने बड़े-बड़े थड़े बनाकर अपना कब्जा जमाया हुआ है। ऐसे में आम लोगो ंको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
उठाने होंगे कड़े कदम
डबवाली। शहर के सौंदर्यकरण और यातायात जाम की समस्या के समाधान के लिए स्थानीय प्रशासन को कड़े कदम उठाने होंगे। इसमामले में अतिक्रमणकारियों के विरोध का सामना करना पड़ेगा लेकिन व्यापक जनहित में अतिक्रम के खिलाफ कार्रवाही करनी ही होगी। जब पीएम मोदी नोटबंदी और जीएसटी जैसे कड़े कदम उठाने से नहंी डरे, तब प्रशासनिक अधिकारी शहरवासियों की भलाई के लिए अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाने से क्यों हिचक रहा है। शहर से अतिक्रमण हटेगा, सडक़े और बाजारों की छठा निखर कर आएगी।। शहर का सौंदर्यकरण बढ़ेगा, लोगों को राहत मिलेगी।
बिना भेदभाव के हो कार्रवाई
डबवाली । अतिक्रमण हटाने के मामले में बगैर भेदभाव कार्रवाई होनी चाहिए। अमूमन अधिकारियों द्वारा अपने जानकार और प्रभावी लोगों के अतिक्रमण पर आंख मूंद ली जाती है। जिसकी वजह से अन्य को भी बचने का अवसर मिल जाता है। अतिक्रमण के मामले में प्रशासन को पहल कार्रवाही प्रभावी और असरदार लोगों के अतिक्रमण हटाने से शुरू करनी चाहिए।
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