वन विभाग की लापरवाही से हरियाली हो रही है गायब , वन माफिया पसार रहा है पांव

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 पेड़ लगाओ,पेड़ बचाओ का प्रचार प्रसार सरकार द्वारा बड़े स्तर पर किया जा रहा है तो वहंी अनेक समाजसेवी संस्थाओं के साथ-साथ आमजन भी पेड़ पौधे लगाने का कार्य समय-समय पर करते रहते हैं लेकिन इनकी देख रेख न हो पाने के कारण लगाए गए पेड़ पौधो का अस्तित्व ही लुप्त हो जाता है। बहुत कम ऐसे पेड़ होते हैं जिनकी सही देखभाल होने से वे परवान चढ़ जाते हैं। इसी का एक पहलू यह भी है जिस प्रकार पेेड़ों की संख्या लगातार घट रही है उससे तो केवल मात्र यही अहसास होता है कि हरियाली लुप्त होने के कगार पर आ गई हो।
वही दूसरी ओर वन विभाग द्वारा पेड़ लगाओ व स्वच्छ वातावरण रखने के लिए समय-समय  पर पौधारोपण अभियान भी चलाया जाता है लेकिन ये अभियान न जाने कब दम तोड़ जाते हैं और विभागीय अधिकारी कागजी कार्रवाई कर वाहवाही लूटते रहते हैं। क्षेत्र में पिछले काफी समय से सूखे पेड़ों पर वन माफिया की नजर टिकी हुई है और अंधेरे का फायदा उठाकर सूखे पेड़ों को धड़ाधड़ काटा जा रहा है परंतु वन सुरक्षा गार्ड हाथ मलते रह जाते हैं। नहर व सडक़ किनारे खड़े सूखे पेड़ों का सबसे बड़ा कारण दीमक बना हुआ है।  अनुमान के मुताबिक डबवाली क्षेत्र में भी हजारों पेड़ दीमक की भेंट चढ़ चुके हैं। विभाग द्वारा इन सूखे पेड़ों की कटाई न करवाए जाने पर वन माफिया को खूब फायदा पहुंच रहा है। सडक़ों व नहरों किनारे सैंकड़ों की संख्या में दीमक की चपेट में आए पेड़ सडक़ किनारों व खेतों में गिरे देखे जा सकते हैं। टूटे सूखे पेड़ों पर वन माफिया दिन में नजर रखता है और रात के अंधेरे में विभाग को चूुना लगा जाता है, जिस तेज रफ्तार से सडक़ों किनारे सूखे पेड़ों की भेंट चढ़ रहे हैं, उतनी ही ढीली रफ्तार से विभाग नए पौधे लगाने व पेड़ों की सुरक्षा का काम कर रहा है।
डबवाली दर्पण।  विभाग द्वारा सूखे पेड़ों की कटाई करवाए लगभग 12 वर्ष बीत चुके हैं और दिन व दिन सूखे पेड़ों की संख्या बढ़ रही है। वहीं पेड़ों को नम्बरिंग लगाए भी 5 वर्ष बीत गए हैं और अनेक पेड़ों के नम्बर मिट चुके हैं जिसका फायदा वन माफिया उठा रहा है। सूखे पेड़ टूटने से महीनों तक सडक़ किनारे ही पड़े रहते हैं क्योंकि विभाग द्वारा नजदीक कोई डिपो भी नहीं बनाया गया। विभाग अधिकारियों उदासीनता के कारण विभाग को वन माफिया लाखों रुपए का नुक्सान पहुंचा रहा है। वहीं सूत्रों की माने तो वन माफिया के लोग वन विभाग के कर्मचारियों के साथ सांठगांठ करके सूखे पेड़ों को काटकर बेचने का काम करते हैं और कालाधन कमा रहे हैं। जब इस संबंध में जिला वन अधिकारी से बात करनी चाही तो संपर्क नहीं हो सका।

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