यहां नहा धोकर मत जाना : जर्जर बस अड्डा और उस पर हर तरफ गंदगी और उड़ती धूल के गुबार
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पंजाब क्षेत्र में पडऩे वाले बस स्टेंड का डबवाली शहर के लिए बहुत अधिक महत्व है, क्योंकि यह शहर हरियाणा,पंजाब व राजस्थान की तीनों सीमाओं को अपने आंचल में समेटे हुए है। यहां के लोगों का व्यापार और अन्य मेलमिलाप की प्रक्रिया भी पंजाब के साथ अटूट है। इसलिए किलियांवाली क्षेत्र में बने इस पंजाब अड्डे का अत्याधिक महत्व है। 1947 में देश की आजादी के बाद पाक-हिन्दुस्तान के बंटवारें के दौरान जब कुछ हिस्सा पंजाब का पाकिस्तान में चला गया तब से ये बस अड्डा अपना अस्तित्व कायम किए हुए है और संयुक्त पंजाब के दौरान भी इस बस अड्डे की अपनी एक अगल पहचान थी। डबवाली के स्थानीय लोगों के अनुसार इसी अड्डे को पुराना बस अड्डा कहा जाता है जबकि हरियाणा का बस अड्डा तो बहुत बाद में अस्तित्व में आया।
पंजाब में न जाने कितनी सरकारें आई और चली गई लेकिन किसी भी सरकार ने किलियांवाली स्थित बस अड्डे की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। सूत्र बताते हैं कि जिस जगह यह बस अड्डा बनाया गया था वह भूमि किसी निजी व्यक्ति की है और उनके द्वारा ही इसका किराया वसूला जाता है। बस अड्डे की हालत इस कद्र खस्ता हो चली है कि बसों की आवाजाही से जहां घूल भरे गुब्बार उठने लगते हैं तो वहीं बस अड्डा परिसर में जगह-जगह पड़ी गंदगी अपनी कहानी स्वयं ही बयान कर रही है। इधर-उधर लगी रेहडियां और बदबू मारते शौचालय। यात्रियों के लिए बैठने के लिए अस्थाई रूप से शैड बनाया गया है लेकिन अधिक देर तक वहां बैठ पाना किसी के लिए संभव नही है। पंजाब सरकार की बेरूखी के कारण यह बस अड्डा अपनी हालत पर आंसू बहाने को मजबूर हैं।
बाहरी हालत भी कुछ अच्छी नहीं
पंजाब बस अड्डे से बाहर के हालात भी कुछ अच्छे नहीं है। सफाई व्यवस्था नाम की कोई चीज वहां मौजूद नही है। दिन भर यात्रियों और राहगीरों द्वारा फैंका गया कचरा भारी वाहनों के साथ इधर-उधर अपना ठिकाना ढूंढता सा जान पड़ता है तो वहीं सडक़ के दोनों और दुकानदारों और रेहड़ी संचालकों द्वारा किया गया अतिक्रमण इस मार्ग की दुर्दशा को दर्शाता सा जान पड़ता है।
दुकानदारों और रेहड़ी संचालकों द्वारा जमकर गंदगी बिखेरी जाती है। जिधर देखो उधर गंदगी के ढेर लगे हैं और इसके अतिरिक्त आवारा पशुओं की तादाद के साथ-साथ गदंगी में मुंह मारते सूअर अपनी उपस्थिति को दर्ज करवाते हुए जान पड़ते हैं। इससे थोड़ा आगे आएं तो मालवा रोड की खस्ता हालत और वाहनों के साथ उड़ती धूल अपने अस्तित्व पर आंसू बहा रही है। यहां भी आवारा पशुओं और गदंगी का जमावाड़ा ही दिखाई पड़ता है।
पंजाब क्षेत्र में पडऩे वाले बस स्टेंड का डबवाली शहर के लिए बहुत अधिक महत्व है, क्योंकि यह शहर हरियाणा,पंजाब व राजस्थान की तीनों सीमाओं को अपने आंचल में समेटे हुए है। यहां के लोगों का व्यापार और अन्य मेलमिलाप की प्रक्रिया भी पंजाब के साथ अटूट है। इसलिए किलियांवाली क्षेत्र में बने इस पंजाब अड्डे का अत्याधिक महत्व है। 1947 में देश की आजादी के बाद पाक-हिन्दुस्तान के बंटवारें के दौरान जब कुछ हिस्सा पंजाब का पाकिस्तान में चला गया तब से ये बस अड्डा अपना अस्तित्व कायम किए हुए है और संयुक्त पंजाब के दौरान भी इस बस अड्डे की अपनी एक अगल पहचान थी। डबवाली के स्थानीय लोगों के अनुसार इसी अड्डे को पुराना बस अड्डा कहा जाता है जबकि हरियाणा का बस अड्डा तो बहुत बाद में अस्तित्व में आया।
पंजाब में न जाने कितनी सरकारें आई और चली गई लेकिन किसी भी सरकार ने किलियांवाली स्थित बस अड्डे की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। सूत्र बताते हैं कि जिस जगह यह बस अड्डा बनाया गया था वह भूमि किसी निजी व्यक्ति की है और उनके द्वारा ही इसका किराया वसूला जाता है। बस अड्डे की हालत इस कद्र खस्ता हो चली है कि बसों की आवाजाही से जहां घूल भरे गुब्बार उठने लगते हैं तो वहीं बस अड्डा परिसर में जगह-जगह पड़ी गंदगी अपनी कहानी स्वयं ही बयान कर रही है। इधर-उधर लगी रेहडियां और बदबू मारते शौचालय। यात्रियों के लिए बैठने के लिए अस्थाई रूप से शैड बनाया गया है लेकिन अधिक देर तक वहां बैठ पाना किसी के लिए संभव नही है। पंजाब सरकार की बेरूखी के कारण यह बस अड्डा अपनी हालत पर आंसू बहाने को मजबूर हैं।
बाहरी हालत भी कुछ अच्छी नहीं
पंजाब बस अड्डे से बाहर के हालात भी कुछ अच्छे नहीं है। सफाई व्यवस्था नाम की कोई चीज वहां मौजूद नही है। दिन भर यात्रियों और राहगीरों द्वारा फैंका गया कचरा भारी वाहनों के साथ इधर-उधर अपना ठिकाना ढूंढता सा जान पड़ता है तो वहीं सडक़ के दोनों और दुकानदारों और रेहड़ी संचालकों द्वारा किया गया अतिक्रमण इस मार्ग की दुर्दशा को दर्शाता सा जान पड़ता है।
दुकानदारों और रेहड़ी संचालकों द्वारा जमकर गंदगी बिखेरी जाती है। जिधर देखो उधर गंदगी के ढेर लगे हैं और इसके अतिरिक्त आवारा पशुओं की तादाद के साथ-साथ गदंगी में मुंह मारते सूअर अपनी उपस्थिति को दर्ज करवाते हुए जान पड़ते हैं। इससे थोड़ा आगे आएं तो मालवा रोड की खस्ता हालत और वाहनों के साथ उड़ती धूल अपने अस्तित्व पर आंसू बहा रही है। यहां भी आवारा पशुओं और गदंगी का जमावाड़ा ही दिखाई पड़ता है।
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