कहीं यह योजना भी विवाद का ग्रास न बन जाए

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डबवाली। इस बात से शहर का कोई बाशिंदा अंजान नहीं है कि नगर परिषद के माध्यम से शहर में होने वाले विकास कार्य पिछले लंबे समय से ठप्प पड़े हैं। नगर परिषद की होने वाली आम बैठकों में बढ़-चढक़र बिना अधिकारियों के कोरम के फैंसले लिया जाते हैं, प्रस्तावों पर आम सहमति की मुहर लगाई जाती है लेकिन यह किसी को भी मालूम नही होता कि उन प्रस्तावों को किसी तरह की गति मिली या नहीं या फिर केेवल दस्तावेजों की ही शोभा बढ़ाते रहते हैं। बीती 13 दिसम्बर को हुई नगर परिषद में हुई आम बैठक में अहम निर्णय लिए गए और इन अहम निर्णयों में से एक प्रस्ताव यह भी पारित किया गया कि पुराने सामान्य अस्पताल परिसर में बनी सफाई शाखा (ब्लड बैंक)की खाली पड़ी इमारत में मुख्यमंत्री की घोषणा को अमलीजामा पहनाने के लिए आयुर्वेदिक औषद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया।
बैठक के दौरान सभी पार्षदों और अधिकारियों ने इस पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन इसके बाद कुछ पार्षदों ने आपत्ति जताई और इस औषद्यालय को वार्ड 15 में स्थित नगर सुधार मंडल की खाली पड़ी इमारत में स्थापित करने का सुझाव दिया जिसे बैठक में सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। सबसे बड़ा और अहम सवाल यह है कि अब आयुर्वेदिक औषद्यालय को लेकर दो गुटों में बंटे पार्षद अपना-अपना राग अलापने में जुट गए हैं और ऐसा लगता है कि अन्य कार्यों की भांति यह कार्य भी केवल विवादों में उलझ कर रह जाएगा और शहर के लोग बस सूनी आंखों से देखते रहेंगे।

झूठी बयानबाजी करने लगे भाजपा पार्षद:रंगीला
 नगर पार्षद युद्धवीर रंगीला ने आयुर्वेदिक औषद्यालय को स्थापित किए जाने पर हो रही बयानबाजी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा पार्षद  कुछ कांग्रेस समर्थित पार्षदों पर शहर के विकास कार्यो में अड़चन पैदा करने का आरोप लगा रहे हैं जो बेबुनियाद ही नहीं बल्कि कोरा झूठ है। उन्होंने कहा कि भाजपा पार्षद झूठ बोलकर  कुछ पार्षदों पर आरोप लगाकर अपनी झेंप मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। रंगीला ने कहा कि सच तो यह है कि भाजपा समर्थित पार्षद अच्छी तरह से जानते हैं कि नगर परिषद की होने वाली तमाम बैठकों में विकास का हर मुद्दा पास किया जा चुका है और इसे क्रियान्वित करने में सरकार की लेट लतीफी ही आड़े आ रही है जो देर-सवेर दिए गए अधिकारियों को टिकने तक नहीं दे रही। उन्होंने कहा कि बिना अधिकारियों के भी सभी समस्याओं का समाधान बैठकों के माध्यम से उच्चाधिकारियों की टेबलों तक पहुंचाने का कार्य किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त निकाय मंत्री कविता जैन से मुलाकात कर उन्हें इस समस्या से अवगत करवाया गया था। इसके बावजूद भी सरकार के उच्च पदों पर बैठे किसी भी नेता या अधिकारी ने इससे ओर एक कदम तक नहीं बढ़ाया। ऐसे में नगर पार्षदों पर दोषारोपण कर अपनी खीज और सरकार की नाकामियों को छिपाने का प्रयास न करें।

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