अधिकारियों के आभाव में लटके विकास कार्य एमई, सचिव सहित अनेक पद पड़े हैं खाली, अंधकार में डूब जाता है आरओबी

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नगर परिषद में अधिकारियों के अभाव के चलते शहर का विकास अटका हुआ है। शहर की अनेक गलियों की टेंडर प्रक्रिया भी अधिकारियों के हस्ताक्षर नहीं होने के कारण पूरी नहीं हो पा रही हैं जबकि टेंडर काफी दिन पहले ही होने थे। अधिकारियों के टोटे का आलम यह है कि नगर पार्षदों में भी असंतोष का माहौल कायम होता जा रहा है। जून  2016 में नई नगर परिषद का गठन किया गया था। चुनावों में शहर में विकास के बड़े-बड़ेे दावे किए गए। मगर अब हालात इस कदर खराब है कि लोगों की टूटी गलियां भी नहीं बन पा रही है। जनता मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए पार्षदों पर दबाव बना रही है तो पार्षद नगर परिषद की बैठकों में काम नहीं होने को लेकर हंगामा करने को मजबूर है।
आधी स्ट्रीट लाइटें भी नहीं जलती
गलियों के अलावा सबसे बुरा हाल स्ट्रीट लाइटों को है। शहर की आधी स्ट्रीट लाइटें भी नहीं जलती है। जिससे मुख्य मार्गों पर भी शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। खासकर  पंजाब-हरियाणा को जोडऩे वाले 100 करोड़ रुपये की लागत से बना ओवरब्रिज सांझ ढलते ही अंधकार में डूब जाता है। जिसके कारण हादसों की आशंका बनी रहती है तो वहीं लूटपाट जैसी अपराधिक घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है।
बता दें कि  अक्तूबर 2016 में ही सीएम मनोहर लाल ने दो राज्यों के लिए महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया था। इस दिशा में नगरपरिषद ने कोई कदम नहीं उठाया। हालात यह है कि रात को आरओबी अंधकार में डूबा रहता है। मिले दस्तावेज इस बात को साबित करते हैं कि आरओबी पर पथ प्रकाश की व्यवस्था का जिम्मा नगर परिषद का है लेकिन नगर परिषद के अधिकारी इस ओर से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं।

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