सरसों के सरकारी खरीद के दावों की खुल रही पोल
डबवाली-
सरकार किसान हितैषी होने के लगातार दावे कर रही है लेकिन यह दावे केवल हवा में पंख उकेर रहे हैं जबकि धरातल पर इसका अस्तित्व कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा। सरकार ने किसानों से संरसों खरीद के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाने के साथ-साथ उचित व समय पर खरीद के बड़े-बड़े दावे तो किए लेकिन वह दावे केवल हवा में ही कुचालें भर रहे हैं। सरसों को बेचने के लिए सरकार ने इस तरह के कायदे कानून बना दिए हैं कि कोई भी किसान उन पर खरा नहीं उतर पा रहा जिसके चलते किसानों को अपनी सरसों की फसल निजी व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। डबवाली की अनाज मंडी में कुछ किसान सरसों की फसल बेचने के लिए आए लेकिन हैफड द्वारा जमीन की फर्द के साथ-साथ पैन कार्ड नम्बर सहित अन्य कैंडिशनें लगाए जाने के कारण किसान सरसों की फसल नहीं बेच पाए। जिसके चलते अनेक किसानों को निजी व्यापारियों को मात्र 35 सौ रूपये प्रति कुंतल के हिसाब से बेचने को मजबूर होना पड़ा जबकि सरकारी खरीद लगभग चार हजार रूपये प्रति कुंतल खरीदे जाने का अनुमान है।
कैंडिशनें सरल की जाएंगी:मांगेआना
मार्केट कमेटी के चेयरमैन बलदेव सिंह मांगेआना ने बताया कि विभाग द्वारा सरसों खरीद पर लगाई गई कैंडिशनों को हटाए जाने बारे उच्चाधिकारियों के साथ-साथ हरियणा सरकार से लिखित रूप में मांग की गई है और जल्द ही लगाई गई कैंडिशनों को हटवाकर किसानों की सरसों की फसल खरीदी जाएगी।
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