health
[health][bsummary]
sports
[sports][bigposts]
entertainment
[entertainment][twocolumns]
Comments
स्वास्थ्य सेवाओं का आखिर क्यों निकल रहा है जनाजा, कौन है इसका जिम्मेवार
#dabwalinews.com
नरेश अरोड़ा
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज सरकारी अस्पतालों में बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाने क ेलगातार दावे करते आ रहे हंै। इन दावों को करते हुए साढ़े तीन वर्ष लंबा समय खट्टर सरकार व्यतीत कर चुकी है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं तो पूरी तरह नदारद हैं। कहीं चिकित्सा नहीं है तो कहीं मशीनरी का आभाव है। चंद बड़े शहरों को छोड़कर अन्य सभी शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर केवल सरकारी इमारतें ही खड़ी हैं और भविष्य के लिए भी खड़ी की जा रही हैं। सिरसा जिला के अंर्तगत आने वाली मंडी डबवाली की बात करें तो बुधवार को सुबह शेरगढ़ के निकट बस व ट्रक के बीच हादसे के दौरान दोनों वाहनों के चालकों को जब डबवाली के नागरिक अस्पताल में लाया गया तो दोनों जिंदा थे लेकिन समय पर उपचार न मिल पाने के कारण दोनों की जान चली गई यहां तक कि जो लोग इस हादसे में घायल हुए उन्हें भी यहां उपचार देने की बजाए तुरंत प्रभाव से सिरसा सहित अन्य शहरों की ओर रैफर कर दिया गया। यह कोई पहली घटना नहीं थी अकसर डबवाली के नागरिक अस्तपाल में हादसे का शिकार अथवा लड़ाई झगडों में घायल हुए मरीजों को तुरंत रैफर कर दिया जाता है और उन्हें राम भरोसे छोड़ दिया जाता है। यह हालत केवल डबवाली शहर की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के छोटे शहरों में यही हालात है और उस पर सरका का दावा करती है कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही है। यह दावे बेमानी से साबित होते हैं। डबवाली के नागरिक अस्पातल में मरीज मुश्किल में हैं,अस्पताल में प्रयाप्त मात्रा में न चिकित्सक हैं न दवाएं। इस अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में बैड तक नहीं है। ऐसी हालत सिर्फ एक केवल डबवाली के अस्पताल की नहीं है, कमोबेश पूरे प्रदेश की सरकारी चिकित्सा व्यवस्था इसी र्ढे पर है। कहीं दवा नहीं है तो कहीं बेड की कमी है। कहीं डॉक्टर-नर्स का टोटा है तो कहीं दूसरी ढांचागत कमियां हैं। स्वाभाविक रूप से मार मरीजों पर पड़ रही है। खासकर उनपर जो सरकारी व्यवस्था पर निर्भर रहने को विवश हैं। सोचनेवाली बात यह है कि जब छोटे शहरों जैसे बड़े सरकारी अस्पताल का यह हाल है तो पंचायत या प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों की क्या स्थिति होगी।
अहम सवाल यह है कि सरकारी चिकित्सा व्यवस्था के साथ दिक्कत क्या है और उन दिक्कतों का समाधान कैसे होगा? क्या चिकित्सकों की किल्लत ङो रहे हरियाणा में इस बीमारी का इलाज नहीं है? कब तक अपने प्रांत की सरकारी चिकित्सा व्यवस्था दवाओं की कमी, कालाबाजारी, सही तरीके इस्तेमाल नहीं किए जाने से उपकरणों के बर्बाद हो जाने, प्रबंधकीय अकुशलता, डॉक्टरों समेत अन्य कर्मचारियों की बेरुखी जैसी खबरों से सुर्खियां बटोरती रहेगी। कुछ भी समझ में नहीं आता
बेशक, स्थिति भयावह है लेकिन उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है। व्यवस्था के शीर्ष पर सूबे को विकसित राज्य बनाने की गंभीर छटपटाहट है और इसके लिए हर जतन किए जाने की कवायद भी दिख रही है। आवश्यकता इस बात की है कि ऊपर से नीचे की ओर सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता दूर की जाए। समस्या की जड़ में यह सरकारी संवेदनहीनता ही है। हर स्तर पर जिम्मेदारी व जवाबदेही तय हो। पूरे साल के लिए एक मुकम्मल अग्रिम प्लान बनाया जाए और उसके अनुपालन की ठोस व्यवस्था भी हो। बजट में हर चीज के लिए रकम का प्रावधान हो और दवाओं समेत अन्य सामान की खरीदारी की एक ऐसी पारदर्शी व्यवस्था बने जो समय से आपूर्ति सुनिश्चित करे। व्यवस्था के किसी भी तरह से बेपटरी होने की स्थिति में जिम्मेदार लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई भी करनी होगी। तभी सरकारी चिकित्सा की घुप अंधेरी व्यवस्था में उजाले की आस की जा सकेगी और मरीज मुश्किल से उबर सकेंगे।
नरेश अरोड़ा
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज सरकारी अस्पतालों में बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाने क ेलगातार दावे करते आ रहे हंै। इन दावों को करते हुए साढ़े तीन वर्ष लंबा समय खट्टर सरकार व्यतीत कर चुकी है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं तो पूरी तरह नदारद हैं। कहीं चिकित्सा नहीं है तो कहीं मशीनरी का आभाव है। चंद बड़े शहरों को छोड़कर अन्य सभी शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर केवल सरकारी इमारतें ही खड़ी हैं और भविष्य के लिए भी खड़ी की जा रही हैं। सिरसा जिला के अंर्तगत आने वाली मंडी डबवाली की बात करें तो बुधवार को सुबह शेरगढ़ के निकट बस व ट्रक के बीच हादसे के दौरान दोनों वाहनों के चालकों को जब डबवाली के नागरिक अस्पताल में लाया गया तो दोनों जिंदा थे लेकिन समय पर उपचार न मिल पाने के कारण दोनों की जान चली गई यहां तक कि जो लोग इस हादसे में घायल हुए उन्हें भी यहां उपचार देने की बजाए तुरंत प्रभाव से सिरसा सहित अन्य शहरों की ओर रैफर कर दिया गया। यह कोई पहली घटना नहीं थी अकसर डबवाली के नागरिक अस्तपाल में हादसे का शिकार अथवा लड़ाई झगडों में घायल हुए मरीजों को तुरंत रैफर कर दिया जाता है और उन्हें राम भरोसे छोड़ दिया जाता है। यह हालत केवल डबवाली शहर की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के छोटे शहरों में यही हालात है और उस पर सरका का दावा करती है कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही है। यह दावे बेमानी से साबित होते हैं। डबवाली के नागरिक अस्पातल में मरीज मुश्किल में हैं,अस्पताल में प्रयाप्त मात्रा में न चिकित्सक हैं न दवाएं। इस अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में बैड तक नहीं है। ऐसी हालत सिर्फ एक केवल डबवाली के अस्पताल की नहीं है, कमोबेश पूरे प्रदेश की सरकारी चिकित्सा व्यवस्था इसी र्ढे पर है। कहीं दवा नहीं है तो कहीं बेड की कमी है। कहीं डॉक्टर-नर्स का टोटा है तो कहीं दूसरी ढांचागत कमियां हैं। स्वाभाविक रूप से मार मरीजों पर पड़ रही है। खासकर उनपर जो सरकारी व्यवस्था पर निर्भर रहने को विवश हैं। सोचनेवाली बात यह है कि जब छोटे शहरों जैसे बड़े सरकारी अस्पताल का यह हाल है तो पंचायत या प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों की क्या स्थिति होगी।
अहम सवाल यह है कि सरकारी चिकित्सा व्यवस्था के साथ दिक्कत क्या है और उन दिक्कतों का समाधान कैसे होगा? क्या चिकित्सकों की किल्लत ङो रहे हरियाणा में इस बीमारी का इलाज नहीं है? कब तक अपने प्रांत की सरकारी चिकित्सा व्यवस्था दवाओं की कमी, कालाबाजारी, सही तरीके इस्तेमाल नहीं किए जाने से उपकरणों के बर्बाद हो जाने, प्रबंधकीय अकुशलता, डॉक्टरों समेत अन्य कर्मचारियों की बेरुखी जैसी खबरों से सुर्खियां बटोरती रहेगी। कुछ भी समझ में नहीं आता
बेशक, स्थिति भयावह है लेकिन उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है। व्यवस्था के शीर्ष पर सूबे को विकसित राज्य बनाने की गंभीर छटपटाहट है और इसके लिए हर जतन किए जाने की कवायद भी दिख रही है। आवश्यकता इस बात की है कि ऊपर से नीचे की ओर सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता दूर की जाए। समस्या की जड़ में यह सरकारी संवेदनहीनता ही है। हर स्तर पर जिम्मेदारी व जवाबदेही तय हो। पूरे साल के लिए एक मुकम्मल अग्रिम प्लान बनाया जाए और उसके अनुपालन की ठोस व्यवस्था भी हो। बजट में हर चीज के लिए रकम का प्रावधान हो और दवाओं समेत अन्य सामान की खरीदारी की एक ऐसी पारदर्शी व्यवस्था बने जो समय से आपूर्ति सुनिश्चित करे। व्यवस्था के किसी भी तरह से बेपटरी होने की स्थिति में जिम्मेदार लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई भी करनी होगी। तभी सरकारी चिकित्सा की घुप अंधेरी व्यवस्था में उजाले की आस की जा सकेगी और मरीज मुश्किल से उबर सकेंगे।
Related Posts
स्वास्थ्य सेवाओं का आखिर क्यों निकल रहा है जनाजा, कौन है इसका जिम्मेवार
Reviewed by DabwaliNews
on
3:25:00 PM
Rating: 5
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
IMPORTANT-------ATTENTION -- PLEASE
क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई
fv
Translate
Subscribe Us
social links
[socialcounter]
[facebook][https://www.facebook.com/dabwalinews/][4.2k]
[twitter][https://twitter.com/dabwalinews][1.2k]
[youtube][https://www.youtube.com/c/dabwalinews][23k]
[linkedin][#][230]
Wikipedia
Search results
sponsored
Gurasees Homeopathic Clinic
Popular Posts
-
BREAKING NEWS #dabwalinews.com हरियाणा के डबवाली में एक मसाज सेंटर पर पुलिस छापे का सनसनीखेज खुलासा हुआ है.पुलिस ने देर रात म...
-
दुल्हन के तेवर देख दुल्हे वालों ने बुलाई पुलिस चंडीगढ़ में रहने वाली लडक़ी की डबवाली के युवक से हुआ था विवाह #dabwalinews.com Exclusiv...
-
कुमार मुकेश, भारत में छिपकलियों की कोई भी प्रजाति जहरीली नहीं है, लेकिन उनकी त्वचा में जहर जरूर होता है। यही कारण है कि छिपकलियों के काटन...
-
DabwaliNews.com दोस्तों जैसे सभी को पता है के कैसे डबवाली उपमंडल के कुछ ग्रामीण इलाकों में बल काटने वाले गिरोह की दहशत से लोगो में अ...
-
#dabwalinews.com पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल पर बुधवार को एक युवक द्वारा उनके ही विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान जू...
-
dabwalinews.com डबवाली। डबवाली में गांव जंडवाला बिश्नोई के नजदीक एक ढाणी में पंजाब व हरियाणा पुलिस की 3 गैंगस्टर के बीच मुठभेड़ हो गई। इस...
-
BREAKING NEWS लॉकडाउन 4. 0 डबवाली में कोरोना ने दी दस्तक डबवाली के प्रेम नगर व रवि दास नगर में पंजाब से अपने रिश्तेदार के घर मिलने आई म...
No comments:
Post a Comment