बंदरों का आंतक बरकरार, पार्षद पुत्री को काट खाया
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डबवाली -
शहर में पिछले लंबे समय से बंदरों का आंतक बरकरार है। प्रत्येक गली-मौहल्लों व प्रतिष्ठानों के अतिरिक्त पार्कों में भी भारी तादाद में बंदर उत्पाद मचाते दिखाई पड़ जाती हैं। शुक्रवार सुबह वार्ड 4 के पार्षद युद्धवीर रंगीला की सुपुत्री प्रिया घर की छत्त पर बैठी थी कि अचानक बंदर ने टांग पर काट खाया। प्रिया को तुरंत वहां नजदीक के चिकित्सक से टैटनैस का इंजेक्शन लगवाया गया। इसके ऐंटीरेपिड टीकाकरण के लिए नागरिक अस्पताल लाया गया लेकिन विंडम्बना देखिए कि अस्पताल में ऐंटीरेपिड इंजेक्शन तक नहीं पाया गया। इस विषय पर जब एसएमओ एमके भादू से बात की तो उन्होंने बताया कि पिछले कई दिनों से यह इंजेक्शन स्टॉक में नहीं है। ऐसे में यदि किसी को कोई जानवर काट खाता है तो स्वयं ही अनुमान लगाया जा सकता है कि उसका उपचार किस तरह से होगा। दूसरी ओर सूत्र यह भी बताते हैं पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्रों पर ऐंटीरेपिड की खेप नहीं पहुंच रही है।
बंदरों को पकडऩे का ठेका देने में नाकाम नगर परिषद
शहर के लोग पिछले लंबे समय से बंदरों को पकडऩे के लिए लिखित व मौखिक रूप से नगर परिषद से गुहार लगा रहे हैं लेकिन नगर परिषद द्वारा बंदरों को पकडऩे का ठेका नहीं दिया जा रहा। बंदरों को पकडऩे के लिए नगर परिषद की प्रत्येक बैठक में प्रस्ताव रखा तो जाता है लेकिन इसे क्रियान्विंत नहीं किया जा रहा है। नगर परिषद की लचीली कार्रवाही के कारण आमजन बंदरों के आंतक के साये तले जीने को मजबूर हो चला है।
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शहर में पिछले लंबे समय से बंदरों का आंतक बरकरार है। प्रत्येक गली-मौहल्लों व प्रतिष्ठानों के अतिरिक्त पार्कों में भी भारी तादाद में बंदर उत्पाद मचाते दिखाई पड़ जाती हैं। शुक्रवार सुबह वार्ड 4 के पार्षद युद्धवीर रंगीला की सुपुत्री प्रिया घर की छत्त पर बैठी थी कि अचानक बंदर ने टांग पर काट खाया। प्रिया को तुरंत वहां नजदीक के चिकित्सक से टैटनैस का इंजेक्शन लगवाया गया। इसके ऐंटीरेपिड टीकाकरण के लिए नागरिक अस्पताल लाया गया लेकिन विंडम्बना देखिए कि अस्पताल में ऐंटीरेपिड इंजेक्शन तक नहीं पाया गया। इस विषय पर जब एसएमओ एमके भादू से बात की तो उन्होंने बताया कि पिछले कई दिनों से यह इंजेक्शन स्टॉक में नहीं है। ऐसे में यदि किसी को कोई जानवर काट खाता है तो स्वयं ही अनुमान लगाया जा सकता है कि उसका उपचार किस तरह से होगा। दूसरी ओर सूत्र यह भी बताते हैं पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्रों पर ऐंटीरेपिड की खेप नहीं पहुंच रही है।
बंदरों को पकडऩे का ठेका देने में नाकाम नगर परिषद
शहर के लोग पिछले लंबे समय से बंदरों को पकडऩे के लिए लिखित व मौखिक रूप से नगर परिषद से गुहार लगा रहे हैं लेकिन नगर परिषद द्वारा बंदरों को पकडऩे का ठेका नहीं दिया जा रहा। बंदरों को पकडऩे के लिए नगर परिषद की प्रत्येक बैठक में प्रस्ताव रखा तो जाता है लेकिन इसे क्रियान्विंत नहीं किया जा रहा है। नगर परिषद की लचीली कार्रवाही के कारण आमजन बंदरों के आंतक के साये तले जीने को मजबूर हो चला है।
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