बहुचर्चित कॉपर वायर मामला जांच पर जांच, नतीजा....?


कॉपर वायर घोटाले को बीत गए 6 वर्ष, दोषी अधिकारियों पर अब तक नहीं हुई कार्रवाही
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डबवाली ।
शहर के विभिन्न इलाकों से विद्युत विभाग द्वारा कॉपर की तारें उतारकर एल्यूमिनियम की तारें डालने का काम वर्ष 2012 में किया गया। विभाग द्वारा उतारी गई कॉपर की वायर को स्टोर में जमा करवाने की बजाए गुपचुप तरीके से बेच डाली गई। इसकी शिकायत शहर के नागरिक युद्धवीर रंगीला द्वारा विभाग के उच्चाधिकारियों से की। तब से लेकर आज तक 6 वर्ष का लंबा समय बीत जाने के बाद भी कॉपर वायर को गुपचुप तरीके से बेचने वाले अधिकारियों पर कोई आंच तक नहीं आई। इससे बड़ी विडम्बना और क्या होगी कि इस विषय को लेकर अनेक बार संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ विजिलेंस के अफसरों द्वारा भी जांच की गई लेकिन जांच-पर जांच होने के बावजूद भी अभी तक दोषियों के गिरेबान तक कानून के हाथ नहीं पहुंच पाए हैं।
विजिलेंस विभाग वर्ष 2014 से अब तक 6वी बार विजिलेंस द्वारा जांच की जा चुकी है और सातवीं बार जांच करने के लिए बुधवार हो विजिलेंस विभाग के एसडीओ ओम प्रकाश मैहता पर आधारित टीम डबवाली पहुंची और शिकायतकर्ता युद्धवीर सिंह को साथ लेकर उन गलियों व बाजारों का दौरा किया जहां आज भी कॉपर वायर लगी हुई है। अधिकारियों ने अपने दस्तावेजों पर लोकेेशन बनाकर महज 30 मिनट में ही रवाना हो गए। बुधवार को जांच के लिए आए विजिलेंस के अधिकारियों ने कागजी कार्रवाही के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य करना जरूरी नहीं समझा केवल शिकायतकर्ता द्वारा बताई गई लोकेशन की वीडियोग्राफी की गई जबकि विद्युत विभाग के कर्मचारियों को मौके पर बुलाकर वायर उतारकर जांच की जानी चाहिए थी जो नहीं किया गया।
रिकॉर्ड का अवलोकन व प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मामला पूरी तरह साफ हो चुका है कि विद्युत विभाग के अधिकारियों ने करोड़ों रूपये की तार को बेचकर अपनी तिजोरियां भर डाली है। इसके बावजूद भी बीते 6 वर्ष से कभी विभागीय जांच तो कभी सीएम फ्लाईंग तो कभी विजिलेंस की जांच की जा रही है। लंबी चल रही जांच से इस बात का संदेह उत्पन्न होता है कि दोषी अधिकारियों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

उल्टी चली जांच
डबवाली  एसई विजिलेंस द्वारा पहली बार जांच की गई।  इसके बाद एक्सियन विजिलेंस  और अब एसडीओ विजिलेंस द्वारा जांच की गई। एसडीओ से बड़ी पोस्ट एक्सियन की और एक्सियन से बड़ी पोस्ट एसई की। अब आमजन स्वयं अनुमान लगा ले कि जब पहले एसई विलिेंस जांच कर चुके हैं तो फिर ऐसे में एक्सियन विजिलेंस की जांच अहमियत कहां रह जाती है और इसके बाद यह जांच एसडीओ करने पहुंच जाएं तो बड़ा सवाल उठना लाजमी है कि एसडीओ बड़े अधिकारियों की जांच को कैसे नकार पाएंगे।

बॉक्स
यह था मामला
आरटीआई कार्यकर्ता युद्धवीर रंगीला ने विभाग से जानकारी लेनी चाही थी कि शहर के दुर्गा मंदिर एरिया में पहले से लगी कॉपर वायर कब लगाई गई थी। जिस पर विभाग ने अनेक बार लिखित में दे दिया कि कहीं भी कॉपर की वायर नही है। इसके उपरांत सीएम फ्लाईंग के साथ-साथ मुख्यमंत्री व विद्युत विभाग के उच्चाधिकारियों को शिकायत पे्रषित की। शिकायत के बाद पहली बार जांच करने के लिए एसडीओ विजिलेंस जीतराम जांच करने पहुंचे। जांच कर लौटने के बाद दुर्गा मंदिर क्षेत्र से युद्ध स्तर पर विद्युत विभाग द्वारा निजि कर्मचारियों के माध्यम से कॉपर की तमाम तारों को उतार डाला। मौके पर तत्कालीन जेई मोहन लाल (वर्तमान एसडीओ कालांवाली), जेई गुरबख्श, तत्कालीन एक्सियन अशोक भनौट (वर्तमान एसई),तत्कालीन एसडीओ सुखबीर कंबोज (वर्र्तमान एक्सियन) को बुलाया गया लेकिन उक्त किसी भी अधिकारी द्वारा न तो कोई कार्रवाही की गई और न ही उतारी गई कॉपर वायर के बारे में जानकारी ली। जबकि उक्त अधिकारियों को वायर उतारने से लेकर ट्रक में लादने और उतारने की वीडियो फुटेज भी उपलब्ध करवाई गई। विभाग के स्टोर में उतारी गई वायर को न तो स्टोर पहुंचाया गया और न ही इसका कोई रिकॉर्ड बनाया और सारा का साल माल प्राईवेट स्थान पर स्थानातंरित कर दिया गया। अब उस निजी स्थान पर वायर है या नहीं इसका भी आज तक विभागीय अधिकारी कोई खुलासा नहीं कर पा रहे। सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि एक-दो बार नहीं सात बार जांच होने के बावजूद भी दोषी अधिकारियों पर कोई आंच तक नही है।

एक्सियन को सौंपी जाएगी रिपोर्ट:जांच अधिकारी
 बुधवार को बहुचर्चित कॉपर वायर मामले की जांच करने आए विजिलेंस विभाग एसडीओ ओमप्रकाश मैहता ने बताया कि विभाग ने जांच का जिम्मा उन्हें सौंपा है। शिकायतकर्ता को साथ लेकर विभिन्न स्थानों पर जांच कर उसकी रिपोर्ट बनाई गई है। रिपोर्ट को संपूण रूप देकर विजिलेंस विभाग के एक्सियन को सौंप दी जाएगी।
नरेश अरोड़ा की विशेष रिपोर्ट

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