1 किलो चूहे का मांस 200 रुपए में बिकता है जहा
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तस्वीर AFP |
अगर आप मासाहारी हो तो आप ने चिकन व बकरे का मास तो खाकर देखा होगा पर आज हम आप को ले चलते है एक ऐसे गांव में जहां चूहे का मास खूब बिकता है असम में एक ऐसा गांव है जहां चूहे का मांस सबसे ज्यादा लोकप्रिय है और महंगा भी है. यहां हर हफ्ते लगने वाली मार्केट में उबले, पके हुए चूहों की बड़ी डिमांड है.
असम के बक्सा जिले के एक साप्ताहिक ग्रामीण बाजार में चूहे का मांस काफी लोकप्रिय हो रहा है. मसालों की ग्रेवी के साथ बनाए जाने वाले इस व्यंजन को रविवार का स्वादिष्ट व्यंजन बताया जाता है.
असम के बक्सा जिले के एक साप्ताहिक ग्रामीण बाजार में चूहे का मांस काफी लोकप्रिय हो रहा है. मसालों की ग्रेवी के साथ बनाए जाने वाले इस व्यंजन को रविवार का स्वादिष्ट व्यंजन बताया जाता है.
चूहे बेचने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि पड़ोसी नलबाड़ी और बारपेटा जिले मांस का मुख्य स्रोत हैं. स्थानीय किसान फसलों की कटाई के दौरान रात के समय बांस के बने चूहेदान में इन चूहों को कैद कर लेते हैं. एक चूहे का वजन एक किलो से ज्यादा होता है. चूहों को पकड़ने से किसान अपनी फसल को खराब होने से भी बचा लेते हैं.विक्रेताओं का कहना है कि यह व्यंजन उत्तर-पूर्वी इलाकों की कुछ जनजातियों का पारंपरिक व्यंजन है जो ब्रॉइलर चिकन की ही तरह 200 रुपए प्रतिकिलो बेचा जाता है. गुवाहाटी से 90 किलोमीटर दूर भारत-भूटान सीमा से लगे कुमारिकता के रविवार बाजार में लोग काफी संख्या में अपना पसंदीदा चूहे का मांस खरीदने के लिये आते हैं. रविवार बाजार में चिकन और सूअर के मांस के मुकाबले चूहे का मांस ज्यादा लोकप्रिय है.
किसानों का दावा है कि चूहे पकड़ने से हाल के दिनों में उनकी फसल को होने वाले नुकसान में कमी आई है. चूहों को पकड़ने का तरीका बताते हुए एक विक्रेता ने कहा कि रात के समय जब वह अपने बिल के पास आते हैं, तब उनका शिकार किया जाता है. इस दौरान वह बिल के नजदीक लगाए गए चूहेदान में फंस जाते हैं.
चूहे का मांस बेचने का काम अक्सर आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों के लोग करते हैं, उनके लिये चाय बागान में काम करने के अलावा यह आमदनी का एक और जरिया है.
किसानों का दावा है कि चूहे पकड़ने से हाल के दिनों में उनकी फसल को होने वाले नुकसान में कमी आई है. चूहों को पकड़ने का तरीका बताते हुए एक विक्रेता ने कहा कि रात के समय जब वह अपने बिल के पास आते हैं, तब उनका शिकार किया जाता है. इस दौरान वह बिल के नजदीक लगाए गए चूहेदान में फंस जाते हैं.
चूहे का मांस बेचने का काम अक्सर आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों के लोग करते हैं, उनके लिये चाय बागान में काम करने के अलावा यह आमदनी का एक और जरिया है.
source india today
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