जरूरतमंद मरीज को रक्त देने के लिए कहीं भी पहुंच जाते हैं हरीश सेठी, अब तक 13 बार कर चुके है रक्तदान


हरियाणा, पंजाब व राजस्थान के रक्तदानियों से मिलकर जरतमंदों को रक्त उपलब्ध के लिए हमेशा रहते हैं सक्रिय

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अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन दूसरों के जीवन को बचाने का कार्य करने की सोच रखने वाले विलक्षण ही होते हैं। डबवाली शहर में बाइक मैकेनिक का कार्य करने वाले
हरीश सेठी ऐसी ही सोच के मालिक हैं। वे शहर की सामाजिक संस्था 'अपने´ के साथ सक्रियता से जुड़े हुए हैं। उनका ब्लड ग्रुप ए-नेगेटिव हैं लेकिन सोच पूरी तरह पॉजीटिव अर्थात सकारात्मक है। वे रक्तदान की मुहिम से ऐसे जुड़े हैं कि जरूरतमंद मरीज को रक्त उपलब्ध करवाने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। वे खुद भी 13 बार रक्तदान कर चुके हैं।

उन्होंने सिरसा, बठिंडा के अलावा फरीदकोट व लुधियाना जाकर भी रक्तदान का पुनीत कार्य किया है। 37 वर्षीय हरीश सेठी ने बताया कि उन्होंने पहली बार साल 2012 में रक्तदान किया और इसके बाद रक्तदान के पुनीत कार्य को अपनी जिंदगी का हिस्सा ही बना लिया। शुरू-शुरू में रक्तदान शिविरों में पहुंचकर रक्तदान का कार्य किया और फिर जहां भी पता चला जरूरतमंद मरीजों को रक्त देने के लिए बाहर के अस्पतालों में भी जाने से गुरेज नहीं किया। इस दौरान रक्तदान की ऐसी लगन लगी कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व अन्य राज्यों के रक्तदानियों से उनका संपर्क बन गया। अब व्हाट्स एप पर बने रक्तदानियों के बड़े ग्रुप में पूरी तरह से सक्रिय रहकर कार्य कर रहे हैं। इस ग्रुप में रक्त की जरूरत से संबंधित सूचनाओं का आदान प्रदान होता है और जरूरतमंद मरीज को उनके शहर के आसपास से ही रक्तदानी जल्द से जल्द भेजकर रक्त उपलब्ध करवा दिया जाता है ताकि रक्त के अभाव में किसी की जान पर न बने। हरीश सेठी के मुताबिक ब्लड डोनर्स की इस चेन के माध्यम से अब तक करीब 1500 यूनिट रक्त जरूरतमंद मरीजों को उपलब्ध करवाया जा चुका है।
हरीश सेठी 'अपने´ संस्था द्वारा चलाई जा रही रक्तदान मुहिम का अहम हिस्सा हैं व संस्था प्रधान मथरादास चलाना तथा अन्य सदस्यों के साथ मिलकर अन्य लोगों को भी रक्तदान करने के लिए प्रेरित करते हैं ताकि अधिक से अधिक लोग रक्तदान मुहिम का हिस्सा बनें। हरीश सेठी को रक्तदान क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिए डबवाली व अन्य शहरों में कई बार सम्मनित भी किया जा चुका है।

हरीश सेठी ने अपनी सोच को रक्तदान के पुनीत कार्य के साथ पूरी तरह जोड़ लिया है। इसका पता इसी से चलता है कि उन्होंने अपने मोबाइल में जो नंबर सेव किए हैं उसमें भी सबसे पहले संबंधित व्यक्ति का रक्त ग्रुप अंकित किया है और बाद में नाम लिखा है। इससे जरूरत के समय रक्त उपलब्ध करवाने के लिए रक्तदानी का ढूढऩे में आसानी होती है। वहीं, जानकार व्यक्ति का नंबर सेव करते समय उसका ब्लड ग्रुप भी जान लेने से रेयर रक्त ग्रुप के व्यक्तियों की जानकारी भी एकत्रित होती है।

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