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हनुमानगढ़ जिला में 4 पर कांग्रेस, भादरा में कामरेड को बढ़त, भाजपा सभी जगह पिछड़ी
राजस्थान चुनाव महावीर सहारन पर विशेष लेख रिपोर्ट
डबवाली के साथ लगते राजस्थान में सर्दी के मौसम में चुनावी गर्मी का माहौल बना हुआ है। 7 दिसंबर को मतदान का दिन करीब आते-आते हनुमानगढ़ जिला में चुनावी तस्वीर बिल्कुल स्पष्ट होती नजर आ रही है। कांग्रेस व भाजपा के दोनों दिग्गज राहुल गंाधी एवं प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने हनुमानगढ़ में जनसभाएं की। इसके अलावा वसुन्धरा राजे, अशोक गहलोत, कुमारी शैलजा, सुनील जाखड़, नितिन गडकरी, दीपेन्द्र हुड्डा जैसे दिग्गजों ने भी चुनावी मुहिम को गति प्रदान की। विगत चुनावों में नरेन्द्र मोदी की आंधी में सभी समीकरण धरे के धरे रह गऐ थे और भारी बहुमत से पाचों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। अब की बार भाजपा की हालत बेहद खस्ता लग रही है तथा लगता नही की भाजपा अपना खाता भी हनुमानगढ़ जिले मे खोल पाऐगी।
संगरिया : संगरिया में अब की बार सीधा मुकाबला है विगत दो चुनाव आजाद लड़ चुके गुरदीप शाहपीनी भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे है। यहां जाट-सिक्ख धुर्वीकरण हो गया है जिसका नुकसान भाजपा को ही है क्योंकि परीसिमन के बाद जाट बाहुल्य क्षेत्र बन गया है।
संगरिया विधानसभा/संगरिया शहर एवं टिब्बी कस्बे में भी शहरी मतदाताओं का रूझान कांग्रेस प्रत्याशी शबनम गोदारा की और ही है। टिब्बी बैल्ट के जाट, बिश्नोई, मुस्लिम बाहुल्य गांवों में कांग्रेस भारी बढ़त से संगरिया क्षेत्र के मात्र डेढ दर्जन सिक्ख गांव पूरा नहीं कर सकते। साथ ही भाजपा विरोध की लहर व कांग्रेस का कर्जा माफी का नारा किसान वर्ग को शबनम गोदारा की ओर मोड़ रहा है। जिस कारण गुरदीप शाहपीनी का मजबूत चुनाव प्रबंधन भी उनके काम नहीं आ पा रहा है।
भादरा : भादरा अब की बार फिर नया करने जा रहा है तथा यहां माकपा, कांग्रेस, भाजपा, बसपा में चौकोना मुकाबला है पिछली बार दूसरे स्थान पर रहे माकपा के बलवान पुनिया अब की बार जीत की दहलीज पर खड़े है। दूसरे स्थान के लिए भाजपा के संजीव बैनीवाल कांग्रेस के सुरेश चौधरी व गोगामेडी धाम के महंत रूपनाथ (बसपा) के बीच निकट की लड़ाई है। हालांकि भादरा शहर में टक्कर कांग्रेस व भाजपा में ही है। कांग्रेस प्रत्याशी को प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने की उम्मीद के चलते जहां फायदा हो रहा है वहीं बसपा ने पिछली बार 34 हजार मत लिये थे और अब महंत रूपनाथ की समाजसेवी की छवि के चलते इसमें इजाफा ही होगा। भाजपा पिछड़ रही है लेकिन इतनी नहीं जैसी पिछली बार कांग्रेस पिछड़ी थी लेकिन उसकी जीत की बात कोई नहीं कर रहा है। आखिरी दिन मुकाबला कामरेड और कांग्रेस में सिमटेगा। जिस में बढ़त तो साफतौर पर कामरेड की ही रहेगी।
नोहर : भाजपा की सबसे सेफ मानी जाने वाली नोहर सीट भी उसके हाथ से निकल रही है। यहां मुकाबला तिकोना है तथा आजाद प्रत्याशी रामकिशन भाकर ने भाजपा के अभिषेक मटोरिया की जीत की राह रोक दी है। नोहर क्षेत्र के गांवों में रामकिशन भाकर ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। जबकि पल्लू-रावतसर बैल्ट में कांग्रेस-भाजपा में कड़ी टक्कर है जबकि नोहर शहर में कांग्रेस प्रत्याशी अतिम चाचाण की मजबूत पकड़ व अग्रवाल व मुस्लिम वोट बैंक में गहरी पैठ के चलते भारी बढ़त है शहर में कांग्रेस को 50 प्रतिशत से ज्यादा मत मिलने के आसार है जो उसकी जीत के आधार बन रहे हैं।
हनुमानगढ़ : जिला मुख्यालय में फिर मुकाबला कांग्रेस के विनोद चौधरी व भाजपा के डा रामप्रताप में है। डा रामप्रताप को जहां एंटीइनकम्बैंसी का सामना करना पड़ रहा है वहीं उनके पुत्र की छवि का भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। जबकि विनोद चौधरी का सौम्य व्यवहार कांग्रेस के पक्ष को मजबूत कर रहा है। अबकी बार कांग्रेस के पक्ष का एक अन्य पहलु भी है सरदार जसपाल सिंह का चुनावी मैदान से बाहर होना। सरदार जसपाल सिंह विगत कई चुनावों में सम्मानजनक वोट प्राप्त करते रहे है, चाहे उन्होंने आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा या जनतादल उम्मीदवार के तौर पर। उनके द्वारा लिये जाने वाले अधिकांश मत कांग्रेस पक्ष के ही माने जाते रहे है उनके द्वारा कांग्रेस के समर्थन में आ जाना भाजपा प्रत्याशी को बड़ा खतरा माना जा रहा है। दूसरा आमने-सामने की लड़ाई में सत्ता विरोधी वोटों का बंटवारा न होना भी कांग्रेस की स्थिती को ही मजबूत करता है।
पीलीबंगा : पीलीबंगा में भी कमोबेश यही स्थिति है। यहां भी कांग्रेस के विनोद गोठवाल व भाजपा के धर्मेंद्र मोची में सीधा मुकाबला है। कांग्रेस को मेघवाल वोटों का जबरदस्त लाभ है। यहां मेघवाल मतदाता 35 हजार के करीब है। विनोद गोठवाल पिछला चुनाव हार गये थे जबकि भाजपा ने द्रोपदी मेघवाल का टिकट काटकर धर्मेंद्र मोची पर दाव खेला है। हालांकि एससी आंदोलन में सक्रियता के कारण स्वर्ण मतदाताओं में कांग्रेस प्रत्याशी से नाराजगी बताई जा रही है परंतु सत्ता विरोधी रूझान के चलते व ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस की बढ़त व जातीय समीकरण के कारण कांग्रेस यहां बेहद अच्छी स्थिती में मानी जा रही है।
कुल मिलाकर जिला की पांचों विधानसभा सीटों में भाजपा एक में भी सुरक्षित नहीं मानी जा रही है जबकि कांग्रेस-4 एवं माकपा-1 सीट में बढ़त बनाये हुए है।
डबवाली के साथ लगते राजस्थान में सर्दी के मौसम में चुनावी गर्मी का माहौल बना हुआ है। 7 दिसंबर को मतदान का दिन करीब आते-आते हनुमानगढ़ जिला में चुनावी तस्वीर बिल्कुल स्पष्ट होती नजर आ रही है। कांग्रेस व भाजपा के दोनों दिग्गज राहुल गंाधी एवं प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने हनुमानगढ़ में जनसभाएं की। इसके अलावा वसुन्धरा राजे, अशोक गहलोत, कुमारी शैलजा, सुनील जाखड़, नितिन गडकरी, दीपेन्द्र हुड्डा जैसे दिग्गजों ने भी चुनावी मुहिम को गति प्रदान की। विगत चुनावों में नरेन्द्र मोदी की आंधी में सभी समीकरण धरे के धरे रह गऐ थे और भारी बहुमत से पाचों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। अब की बार भाजपा की हालत बेहद खस्ता लग रही है तथा लगता नही की भाजपा अपना खाता भी हनुमानगढ़ जिले मे खोल पाऐगी।
संगरिया : संगरिया में अब की बार सीधा मुकाबला है विगत दो चुनाव आजाद लड़ चुके गुरदीप शाहपीनी भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे है। यहां जाट-सिक्ख धुर्वीकरण हो गया है जिसका नुकसान भाजपा को ही है क्योंकि परीसिमन के बाद जाट बाहुल्य क्षेत्र बन गया है।
संगरिया विधानसभा/संगरिया शहर एवं टिब्बी कस्बे में भी शहरी मतदाताओं का रूझान कांग्रेस प्रत्याशी शबनम गोदारा की और ही है। टिब्बी बैल्ट के जाट, बिश्नोई, मुस्लिम बाहुल्य गांवों में कांग्रेस भारी बढ़त से संगरिया क्षेत्र के मात्र डेढ दर्जन सिक्ख गांव पूरा नहीं कर सकते। साथ ही भाजपा विरोध की लहर व कांग्रेस का कर्जा माफी का नारा किसान वर्ग को शबनम गोदारा की ओर मोड़ रहा है। जिस कारण गुरदीप शाहपीनी का मजबूत चुनाव प्रबंधन भी उनके काम नहीं आ पा रहा है।
भादरा : भादरा अब की बार फिर नया करने जा रहा है तथा यहां माकपा, कांग्रेस, भाजपा, बसपा में चौकोना मुकाबला है पिछली बार दूसरे स्थान पर रहे माकपा के बलवान पुनिया अब की बार जीत की दहलीज पर खड़े है। दूसरे स्थान के लिए भाजपा के संजीव बैनीवाल कांग्रेस के सुरेश चौधरी व गोगामेडी धाम के महंत रूपनाथ (बसपा) के बीच निकट की लड़ाई है। हालांकि भादरा शहर में टक्कर कांग्रेस व भाजपा में ही है। कांग्रेस प्रत्याशी को प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने की उम्मीद के चलते जहां फायदा हो रहा है वहीं बसपा ने पिछली बार 34 हजार मत लिये थे और अब महंत रूपनाथ की समाजसेवी की छवि के चलते इसमें इजाफा ही होगा। भाजपा पिछड़ रही है लेकिन इतनी नहीं जैसी पिछली बार कांग्रेस पिछड़ी थी लेकिन उसकी जीत की बात कोई नहीं कर रहा है। आखिरी दिन मुकाबला कामरेड और कांग्रेस में सिमटेगा। जिस में बढ़त तो साफतौर पर कामरेड की ही रहेगी।
नोहर : भाजपा की सबसे सेफ मानी जाने वाली नोहर सीट भी उसके हाथ से निकल रही है। यहां मुकाबला तिकोना है तथा आजाद प्रत्याशी रामकिशन भाकर ने भाजपा के अभिषेक मटोरिया की जीत की राह रोक दी है। नोहर क्षेत्र के गांवों में रामकिशन भाकर ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। जबकि पल्लू-रावतसर बैल्ट में कांग्रेस-भाजपा में कड़ी टक्कर है जबकि नोहर शहर में कांग्रेस प्रत्याशी अतिम चाचाण की मजबूत पकड़ व अग्रवाल व मुस्लिम वोट बैंक में गहरी पैठ के चलते भारी बढ़त है शहर में कांग्रेस को 50 प्रतिशत से ज्यादा मत मिलने के आसार है जो उसकी जीत के आधार बन रहे हैं।
हनुमानगढ़ : जिला मुख्यालय में फिर मुकाबला कांग्रेस के विनोद चौधरी व भाजपा के डा रामप्रताप में है। डा रामप्रताप को जहां एंटीइनकम्बैंसी का सामना करना पड़ रहा है वहीं उनके पुत्र की छवि का भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। जबकि विनोद चौधरी का सौम्य व्यवहार कांग्रेस के पक्ष को मजबूत कर रहा है। अबकी बार कांग्रेस के पक्ष का एक अन्य पहलु भी है सरदार जसपाल सिंह का चुनावी मैदान से बाहर होना। सरदार जसपाल सिंह विगत कई चुनावों में सम्मानजनक वोट प्राप्त करते रहे है, चाहे उन्होंने आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा या जनतादल उम्मीदवार के तौर पर। उनके द्वारा लिये जाने वाले अधिकांश मत कांग्रेस पक्ष के ही माने जाते रहे है उनके द्वारा कांग्रेस के समर्थन में आ जाना भाजपा प्रत्याशी को बड़ा खतरा माना जा रहा है। दूसरा आमने-सामने की लड़ाई में सत्ता विरोधी वोटों का बंटवारा न होना भी कांग्रेस की स्थिती को ही मजबूत करता है।
पीलीबंगा : पीलीबंगा में भी कमोबेश यही स्थिति है। यहां भी कांग्रेस के विनोद गोठवाल व भाजपा के धर्मेंद्र मोची में सीधा मुकाबला है। कांग्रेस को मेघवाल वोटों का जबरदस्त लाभ है। यहां मेघवाल मतदाता 35 हजार के करीब है। विनोद गोठवाल पिछला चुनाव हार गये थे जबकि भाजपा ने द्रोपदी मेघवाल का टिकट काटकर धर्मेंद्र मोची पर दाव खेला है। हालांकि एससी आंदोलन में सक्रियता के कारण स्वर्ण मतदाताओं में कांग्रेस प्रत्याशी से नाराजगी बताई जा रही है परंतु सत्ता विरोधी रूझान के चलते व ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस की बढ़त व जातीय समीकरण के कारण कांग्रेस यहां बेहद अच्छी स्थिती में मानी जा रही है।
कुल मिलाकर जिला की पांचों विधानसभा सीटों में भाजपा एक में भी सुरक्षित नहीं मानी जा रही है जबकि कांग्रेस-4 एवं माकपा-1 सीट में बढ़त बनाये हुए है।
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क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई
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