त्रिकालदर्शी बावलिया बाबा की कृपा से बिरला परिवार आज देश के नामी परिवारों में से एक

डबवाली न्यूज़
परमहंस पंडित गणेश नारायाण जिन्हे भगत प्यार से बावलिया बाबा भी कहते है। बावलिया बाबा का जन्म राजस्थान के झंझनू जिले भुगाला गांव में सन 18 93 में हुआ परमहंस गणेश नारायण बच्चपन से माँ दूर्गा के भगत थे। 1914 में उनका विवाह श्योनंदी संग हुआ। विवाह के उपरांत उनके एक पुत्र और दो पुत्रियों ने जन्म लिया। कुछ समय उपरांत ही उनके पुत्र की मृत्यु हो गई। परमहंस गणेश नारायण जी पूजा पाठ करते थे। इसी प्रकार अपने एक निसन्तान यजमान के यहां संतान प्राप्ति के उद्देश्य से नवरात्रों में पाठ करने का संकल्प लिया। और उन्होंने अपने यजमान को पाठ के बीच में न बुलाने की हिदायद दे कर बंद कमरे में पाठ आरंभ कर दिया। पांच दिन तक जब पंडित गणेश नारायण जी कमरे से न तो जल पीने और न ही लघुशंका के लिए बाहर निकले, तो इससे चिंतित यजमान ने गांव वालो के साथ मिल कर बंद कमरे को खुलवाने के लिए पंडित जी को कई आवाजें लगाई लेकिन अन्दर से कोई उत्तर न मिलने पर गांव वालो ने किसी अनहोनी होने की आशंका के चलते कमरे का दरवाजा तोड़ दिया, लेकिन कमरे के परिदृश्य को देख कर गांववासी आश्यर्चचकित हो गये कि पंडित जी समाधी में लीन हो कर किसी से बाते कर रहे थे। कमरे में गांव वासियों के दाखिल होने के कारण उनकी समाधी में विघन पड़ गया और समाधी टूटे ही वे दूर्गा माँ मुझे छोड़ कर मत जाओं मैं तुम्हारा बेटा गणेश मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता जोर जोर से चिलाते हुए कमरे से बाहर निकल गये। इसके उपरांत से माँ दूर्गा की खोज में घर परिवार को त्याग कर इधर उधर भटकने लगे। लोग इन्हे पागल समझ कर बावलिया बाबा कहने लगे। इस प्रकार वे घुमते घुमते चिडावा नगर में आ गये और कहने लगे यह तो शिव नगरी है। वहीं नगर की गली मुहल्लों में घूमते और लोगों को जो बातें कहते वे सत्य होने लग गई। मॉ दूर्गा के आर्शीवाद से त्रिकालदर्शी बन चुके बावलिया बाबा की ख्याति धीरे-धीरे पूरे इलाके में फैलने लग गई। यहं बात पिलानी के सेठ जुगल किशोर बिरला को पता चली तो वे उनके दर्शन करने के लिए पिलानी से चिडावा आये बावलियां बाबा द्वारा रोज किये जा रहे चमत्कारों को देख कर जुगल किशोर बिरला उनकी सेवा में लग गये और रोज उनके दर्शन करने के लिए पिलानी से चिडावा आने लगे। एक दिन जुगल किशोर बिरला की सेवा से प्रसंन्न हो कर बावलिया बाबा बोले अरे जुगलियां आज तूं बहुत अच्छे समय पर आया है तू पूर्व दिशा में चला जा और करनी भरनी चालू रखना जीवों से दया करना तेरा नाम हो जायेगा और तेरे नाम का संसार में डंका बजेगा। बावलिया बाबा की कृपा से बिरला परिवार आज देश के नामी परिवारों में से एक है। बाबा जी के जीवन से जुडे ऐसे बहुत से चमत्कार है जिससे पूरा इलाका उनके आगे नत्मस्तक है। 1940 में बाबा अपना संसारिक चोला छोड़ कर ज्योति जोत समा गये। मंदिर के पूजारी डबवाली निवासी विपिन शर्मा ने बताया कि राजस्थान के झंझूनू जिले के चिडावा शहर में उनकी समाधी स्थल पर प्राचीन मंदिर बना हुआ है। जहां प्रत्येक वीरवार को देश के कौने कौन से हजारों की तादात में श्रद्धालु अपनी मुरादें मांगने के लिए आते है। हर साल पोह सुदी नवमी को भी समाधी स्थल पर मेला भरता है जहां पर देशभर से लाखों की संख्या में इनके अनुयायी माथा टेकने के लिए आते है। उन्होंने बताया यू टयूब पर भी बावलिया बाबा के जीवन पर डाक्यूमैंटरी उपलब्ध है।
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