शुभ कर्म ही सौभाग्य को जन्म देता है : कुमारी अंजलि आर्या
डबवाली।
शुक्रवार को बाल मंदिर स्कूल में आर्य जगत की प्रसिद्ध वैदिक प्रचारिका कुमारी अंजलि आर्या ने अपने सुमधुर भजनों व व्यावहारिक मूल्यों पर आधारित शिक्षाप्रद वार्तालाप से छात्र-छात्राओं को सम्मोहित एवं प्रेरित किया। घरौंडा, करनाल से पधारी कुमारी आर्या ने सर्वप्रथम गायत्री मंत्रोच्चारण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र द्वारा हम सद्बुद्धि की कामना करते हैं। गायत्री महामंत्र के जाप से हम औजस्वी व तेजस्वी बनते हैं।
उन्होंने विद्यार्थियों को गायत्री का ध्यान, बड़ों का सम्मान तथा देश का मान रखने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि हम विद्यालय में आकर पुस्तकों से शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन व्यवहारिक शिक्षा नहीं प्राप्त करते जिससे हम अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना नहीं कर पाते। विद्या को सार्थक बनाने के लिए हमें चुनौतियों को ताकत के रूप में लेना चाहिए और विनम्रता के साथ चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को माता-पिता व गुरूओं का सदैव सम्मान करने की प्रेरणा दी। कुमारी आर्या ने कहा कि शुभ कर्म ही सौभाग्य को जन्म देते हैं, इसलिए परिश्रम व विनम्रता के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। भारतीय संस्कृति की विशेषता से अवगत करवाते हुए छात्रों को कहा कि हर एक को अपने जन्म दिवस पर केक काटने की बजाये लड्डू बांटकर तथा मोमबत्ती बुझाने की जगह दीपक प्रज्ज्वलित कर मनाना चाहिए। उन्होंने पर्यावरण सुरक्षा में सहयोग के लिए वृक्षारोपण के लिए भी प्रेरित किया। प्रिंसिपल एसके कौशिक ने सभी अतिथियों का हार्दिक अभिनंदन करते हुए कहा कि कु. अंजलि आर्या के ज्ञानवद्र्धक एवं प्रेरणाजनक वार्तालाप तथा सुमधुर एवं शिक्षाप्रद भजनों से विद्यार्थियों के ज्ञानवद्र्धन के साथ-साथ संमार्ग पर चलने की प्रेरणा भी मिली है। उन्हें आशा है कि उनके द्वारा दिए गए ज्ञान से विद्यार्थी अपने जीवन पथ को अलौकित करेंगे। प्रबंध समिति की अध्यक्षा पुष्पा जिंदल ने कु. आर्या व उनके सहयोग तबला वादक हरीश को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर आर्य समाज के अध्यक्ष संतोष कुमार दुआ, महामंत्री सुदेश आर्य, कोषाध्यक्ष भारत मित्र छाबड़ा, व्यवस्था प्रमुख राजन सुंधा, बाल वाटिका प्रबंध समिति के अध्यक्ष अरुण जिंदल, विजय लक्ष्मी कौशिक सहित अध्यापक-अध्यपिकाएं उपस्थित थीं।
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