मध्य प्रदेश में चुनावी नतीजे की तस्वीर साफ़ होने में दूसरे दिन तक इंतज़ार क्यों करना पड़ा? मध्य प्रदेश में 11 दिसंबर की सुबह आठ बजे शुरू हुई मतगणना कुछ सीटों पर 12 दिसंबर की सुबह तक होती रही. और आख़िरकार 12 दिसंबर को सुबह आठ बजे के बाद ही सभी 230 सीटों की गिनती पूरी हो सकी.
मध्य प्रदेश के नतीजों में इतनी देरी को देख, लोग कह रहे हैं कि बैलट पेपर वाले दिन याद आ गए. ईवीएम होने के बावजूद आख़िर इतनी देरी क्यों हुई?
ईवीएम से अब तक हुए चुनावों में दोपहर बाद ही नतीजों की तस्वीर साफ़ हो जाती थी. वीवीपीएटी मशीन का पहली बार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल किया गया है.
चुनाव आयोग के हवाले से कई मीडिया रिपोर्ट्स छपी है कि वोटर-वेरिफ़ाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपीएटी से दोबारा मिलान के कारण ज़्यादा वक़्त लगे.
मध्य प्रदेश के सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों के सभी मतगणना केंद्रों के किसी न किसी एक ईवीएम के वोटों का मिलान वीवीपीएट से किया गया है और इसे ही देरी की वजह बताई जा रही है
आशंका की स्थिति में वीवीपीएटी से मिलान
मध्य प्रदेश के सभी 306 मतगणना केंद्रों पर पहले 30 मिनट तक पोस्टल बैलट की गिनती हुई और उसके बात ईवीएम के मतों की गिनती शुरू हुई थी.
मध्य प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी वीएल कांता राव ने मीडिया से मंगलवार को कहा कि निर्वाचन अधिकारियों को मतगणना केंद्रों पर प्रत्येक चरण की गिनती के बाद वीपीपीएटी से मतों का मिलान करना पड़ा.
उन्होंने कहा कि अगर उम्मीदवार को लगता है कि वोटों की गिनती में कोई गड़बड़ी हुई है तो वीवीपीएटी से मतों का मिलान करना होता है.
छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम में मतों की गिनती के नतीजों की तुलना में राजस्थान और मध्य प्रदेश में देरी हई. मध्य प्रदेश के चुनाव अधिकारी आनंद कुमार ने नतीजों में देरी पर कहा कि वीवीपीएटी से मिलान के कारण देरी हुई है.
मंगलवार की शाम कुमार ने कहा कि कितनी देरी होगी इसे लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता है. वहीं वीएल कांता राव का भी कहना है कि सभी उम्मीदवारों को सर्टिफ़िकेट सभी चरणों की मतगणना पूरी होने के बाद दिया गया.
मंगलवार की शाम पाँच बजे तक मध्य प्रदेश के ज़्यादातर मतगणना केंद्रों पर वोटों की गिनती पूरी नहीं हुई थी. कई मतदान केंद्रों पर न्यूनतम 10 राउंड में वोटों की गिनती हुई और अधिकतम 32 राउंड में. चुनाव अधिकारियों का कहना है कि कई मतदान केंद्रों पर 21 राउंड तक की गिनती हो गई थी तो कई पर 10 और 11 राउंड तक ही गिनती हो पाई थी.
मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ और राज्य में कांग्रेस के चुनावी अभियान के प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त से मिल सभी राउंड के मतों की गिनती हो जाने पर एक सर्टिफिकेट की मांग की थी.
कहा जा रहा है कि इस प्रक्रिया के कारण भी मध्य प्रदेश में देरी हुई. जहां ज़्यादा उम्मीदवार थे, वहां वोटों की गिनती में ज़्यादा वक़्त लगा और उसके बाद सभी उम्मीदवारों को सर्टिफिकेट भी देना था.
एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि कई सीटों पर जीत का फ़ासला इतना कम था कि प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों ने फिर से गिनती की मांग की.
source BBC
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