गणतंत्र दिवस पर किसानों ने काला दिवस मनाते हुए सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन

डबवाली
किसानों द्वारा तहसील कॉम्पलैक्स में दिया जा रहा धरना 33वें दिन देश के गणतंत्र दिवस पर भी लगातार जारी रहा। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर काला दिवस मनाते हुए सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। किसानों ने भारत माता की जय व देश भक्ति के अन्य नारे खूब लगाए।
शनिवार को लखविंद्र सिंह अलीकां, हरदीप सिंह अलीकां, गुरमेल सिंह सक्ताखेड़ा, जसवंत सिंह जोगेवाला, मलकीत सिंह डबवाली ने भूख हड़ताल पर बैठे। इस मौके पर परमजीत सिंह माखा, अमरीक सिंह, विजयंत शर्मा व जसवीर सिंह भाटी ने विचार रखे। उन्होंने कहा कि किसानों को भी देश की एकता व अखंडता की चिंता है इसलिए किसानों ने जो काला दिवस मनाया है वह संविधान को लेकर नहीं बल्कि सरकार की किसान व मजदूर विरोधी नीतियों को लेकर मनाया गया। किसान नेताओं ने कहा कि आज देश का किसान व मजदूर खुशहाल नहीं है। सरकार की गलत नीतियों के कारण वह अनेक प्रकार की समस्याएं झेलने को मजबूर है व आर्थिक तंगी में अपना जीवन यापन कर रहा है। किसानों की जायज मांगें भी सरकार पूरा नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा के स्थानीय नेताओं ने किसानों के धरने पर दो बार आकर उनकी मांगें जानी और सरकार तक उनकी मांगें पहुंचाने की बात कही। किसानों की सात सदस्यीय कमेटी को सीएम से मिलवाने की बात कही थी लेकिन अचानक अब वो अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए किसानों में भ्रम फैलाने वाली बयानबाजी कर रहे हैं। बीमा क्लेम की राशि से अभी तक 70 प्रतिशत किसान वंचित हैं तथा वो भी उचित तरीके से नहीं दिया जा रहा। जो स्थानीय नेता किसानों से बात करने आए थे वह केवल आश्वासन देकर उनका धरना उठवाना चाहते थे लेकिन किसान इसके लिए तैयार नही हैं। अगर किसानों को उनका फसल बीमा पूरा मिल जाता तो किसानों को इस कड़ाके की ठंड में खुले में धरना देकर बैठने का शौंक नही है। उन्होंने चेताया कि जब तक किसानों की मांगें नहीं मानी जाती तब तक उनका धरना इसी प्रकार जारी रहेगा। इस अवसर पर मनजीत सिंह ओढ़ां, साधु सिंह, वकील बराड़, सोहन सिंह, हरभजन सिंह, भोला सिंह, लीलाधर बलिहारा, सुरेश कुमार, साहब सिंह सक्ताखेड़ा, मेघ राज अबूबशहर सहित काफी संख्या में किसान मौजूद थे।

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