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सर्जिकल स्ट्राइक-2 / एयरफोर्स ने फ्रांस निर्मित लेजर गाइडेड बम दागे, ये लक्ष्य के अलावा किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते
नई दिल्ली/जोधपुर.
भारत ने पाकिस्तान में बैठे आतंकियों को खत्म करने के लिए इस बार एयर सर्जिकल स्ट्राइक की। इस हवाई हमले के लिए वायुसेना ने उन्हीं मिराज-2000 विमानों को चुना, जिनकी 1999 की करगिल जंग जीतने में अहम भूमिका थी। इन विमानों के साथ एयरबोर्न वॉर्निंग सिस्टम वाले विमानों, सर्विलांस ड्रोन और मिड एयर रिफ्यूलर जेट को भी भेजा गया था। 12 मिराज-2000 विमानों ने पाक स्थित बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैम्प पर छह बम बरसाए और 350 आतंकियों को मार गिराया। भारतीय विमानों की फॉर्मेशन देखकर पाकिस्तान के जहाज लौट गए। इन मिराज-2000 विमानों की खूबियों के बारे में जानने के लिए भास्कर प्लस ऐप ने एयर मार्शल (रिटायर्ड) दलजीत सिंह से बात की।
1) करगिल में सबसे कारगर साबित हुए मिराज
बरसों तक मिराज फाइटर जेट उड़ा चुके एयर मार्शल (रिटायर्ड) दलजीत सिंह बताते हैं, ‘‘करगिल की जंग में जब मिग श्रेणी के फाइटर्स से पहाड़ी क्षेत्र में हमला कारगर साबित नहीं हो रहा था तो मिराज को आजमाया गया। इसने अपनी जबर्दस्त मारक क्षमता के दम पर जंग का पासा पलट दिया। करगिल की जंग के बाद अब मिराज और अपग्रेड हो गए हैं। इनकी क्षमता बेहतरीन हो चुकी है। सेल्फ प्रोटेक्शन सिक्योरिटी सिस्टम में इनका कोई सानी नहीं है। ये दुश्मन के रडार को जाम करने से लेकर चकमा देने में माहिर हैं। साथ ही हवा से हवा में दुश्मन के विमानों का पता लगाकर उन पर तेजी से हमला करने में सक्षम हैं।’’
2) सबसे बेहतर रडार सिस्टम
एयर मार्शल सिंह का कहना है, ‘‘इतनी खूबियों वाले विमान को सबसे महत्वपूर्ण अभियान पर भेजना बेहतरीन निर्णय रहा। हवाई हमले के वक्त अमूमन फाइटर्स कम या मध्यम ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं। मिराज का रडार सिस्टम वर्तमान में सबसे बेहतर माना जाता है। इस समय पाकिस्तान के एयर सर्विलांस सिस्टम की अपेक्षा हमारे पास काफी एडवांस सिस्टम है। पाकिस्तान को बरसों से अमेरिका से बेहतरीन हथियार नहीं मिल सके हैं। उसके पास एयर सर्विलांस सिस्टम चीन और स्वीडन का है। भारत के पास इजरायल और रूस से मिले लेटेस्ट तकनीक के एयर सर्विलांस सिस्टम हैं। ऐसे में पाकिस्तान के लिए हमारे विमानों की टोह लेना इतना आसान नहीं है, जितना भारत के लिए है।’’
3) लक्ष्य की बेहतरीन मैपिंग
मिराज फाइटर्स को अपग्रेड करने के लिए भारत सरकार ने 2012 में फ्रांस की कंपनी के साथ एक समझौता किया था। इसके तहत 17,547 करोड़ की लागत से सभी 50 मिराज विमानों को अपग्रेड किया जाना था। नए मिराज में थैलिस रडार लगा है। यह लंबी दूरी से हवा में अपने लक्ष्य तय कर सकता है। साथ ही डॉपलर बीम शार्पनिंग तकनीक से जमीन के लक्ष्य की बेहतरीन मैपिंग कर लेता है। इस तकनीक से जमीन पर हिलने वाले लक्ष्य को भी ध्वस्त कर सकता है।
4) पायलट के गर्दन घुमाते ही विमान घूम जाता है
पायलट के हेलमेट में ही डिस्प्ले लगा है। ऐसे में पायलट आसानी से सब कुछ देख सकता है। हवा से हवा में मार करने के लिए पायलट को सिर्फ दुश्मन के विमान की दिशा की तरफ अपनी गर्दन घुमानी होती है। बाकी का काम विमान खुद कर देता है। पायलट के गर्दन घुमाते ही पूरा विमान दुश्मन के विमान की तरफ घूम जाता है। इसके बाद लक्ष्य पर मिसाइल दागी जा सकती है।
इसमें मिका एयर टू एयर मिसाइल लगी है। यह मिसाइल लंबी दूरी के साथ ही बहुत कम दूरी पर अपने लक्ष्य पर बियोंड विजुअल रेंज हमला बोल सकती है। एक मिसाइल दो लक्ष्य पर प्रहार कर सकती है। अपग्रेडेड मिराज के कॉकपिट को पूरी तरह से बदल कर पायलट के लिए फ्रेंडली बना दिया गया है। इसे आसानी से मेंटेन किया जा सकता है।
5) पाकिस्तान ने जब एफ-16 लड़ाकू विमान खरीदे, तब भारत ने मिराज-2000 खरीदा
पाकिस्तान ने अमेरिका से एफ-16 लड़ाकू विमान खरीदे थे, जिसके जवाब में भारत ने फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन को अक्टूबर 1982 में 36 सिंगल-सीटर मिराज-2000 एचएस और 4 ट्विन-सीटर मिराज-2000 टीएचएस खरीदे। मिराज-2000 की लंबाई 47 फीट है जबकि खाली विमान का वजन 7500 किलो है। ये विमान 13,800 किलो गोला बारुद के साथ भी 2,336 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है।
मिराज-2000 किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है। इसे इस तरह से तैयार किया गया है कि आपातकाल स्थिति में इसे राष्ट्रीय राजमार्गों पर उतारा जा सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये कम ऊंचाई पर भी काफी तेज गति से उड़ान भरने में सक्षम है। मिराज में आधुनिक वॉइस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर है, जिसकी मदद से इसके कई फंक्शन को आवाज के जरिए ही कंट्रोल किया जा सकता है।
6) करगिल में मिराज ने ही तबाह किए थे बंकर
जमीन पर बोफोर्स और आसमान में मिराज के दम पर करगिल युद्ध जीता गया था। करगिल के पहाड़ों पर मजबूत बंकरों में बैठे पाकिस्तानी सैनिकों पर पहले मिग-21 और मिग-27 ने रॉकेट्स दागे गए, लेकिन वे दुश्मन को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाए। इसके बाद एयरफोर्स ने मिराज फाइटर्स को जिम्मेदारी सौंपी। इन्होंने पाक के बंकर तबाह कर दिए। लेजर गाइडेड बम से तोलोलिंग, टाइगर हिल्स पर हमला किया गया। साथ ही बटालिक क्षेत्र में लगातार बमबारी कर दुश्मन की सप्लाई लाइन तोड़ दी गई।
7) इस बार सर्जिकल स्ट्राइक में इस तरह तैयारी हुई
सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार तड़के पाकिस्तान के बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक के लिए मिराज 2000, सर्विलांस विमानों और मिड एयर रिफ्यूलिंग टैंकर ने अलग-अलग जगहों से उड़ान भरी। हवाई हमले से पहले इजरायल निर्मित हेरोन सर्विलांस ड्रोन को भी भेजा गया। इसी ने टारगेट का फाइनल सर्वे किया।
सर्विलांस विमान नेत्र और इजरायली हेरोन ड्रोन ने इस ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपात परिस्थितियों के लिए मिड एयर रिफ्यूलिंग जेट को भी आसमान में तैनात रखा गया था।
लड़ाकू विमानों के साथ इन सभी विमानों ने पश्चिमी और मध्य कमांड के अलग-अलग एयरबेस से उड़ान भरी। इसके चलते पाकिस्तान का रक्षा तंत्र असमंजस में पड़ गया कि आखिर ये विमान किस दिशा में जाएंगे। इनमें से कुछ विमानों ने बालकोट की दिशा ली और उस शिविर पर हमला कर दिया जहां बड़ी तादाद में आतंकी मौजूद थे और सो रहे थे।
हमले में फ्रांस निर्मित एक-एक हजार किलोग्राम के माटरा (Matra) बम का इस्तेमाल किया गया। ये लेजर गाइडेड बम होते हैं। मुश्किल लक्ष्यों पर एकदम सटीक प्रहार करने के लिए इस तरह के बमों का इस्तेमाल किया जाता है। इनकी खास बात यह है कि लक्ष्य के अलावा अन्य किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाते।
हमले के बाद पाकिस्तान के सर्विलांस विमानों ने भारतीय मिराज विमानों को डिटेक्ट तो कर लिया लेकिन भारतीय विमानों की फॉर्मेशन को देखते हुए उनके एफ-16 विमान जवाबी कार्रवाई करने की बजाय लौट गए।
भारत ने पाकिस्तान में बैठे आतंकियों को खत्म करने के लिए इस बार एयर सर्जिकल स्ट्राइक की। इस हवाई हमले के लिए वायुसेना ने उन्हीं मिराज-2000 विमानों को चुना, जिनकी 1999 की करगिल जंग जीतने में अहम भूमिका थी। इन विमानों के साथ एयरबोर्न वॉर्निंग सिस्टम वाले विमानों, सर्विलांस ड्रोन और मिड एयर रिफ्यूलर जेट को भी भेजा गया था। 12 मिराज-2000 विमानों ने पाक स्थित बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैम्प पर छह बम बरसाए और 350 आतंकियों को मार गिराया। भारतीय विमानों की फॉर्मेशन देखकर पाकिस्तान के जहाज लौट गए। इन मिराज-2000 विमानों की खूबियों के बारे में जानने के लिए भास्कर प्लस ऐप ने एयर मार्शल (रिटायर्ड) दलजीत सिंह से बात की।
1) करगिल में सबसे कारगर साबित हुए मिराज
बरसों तक मिराज फाइटर जेट उड़ा चुके एयर मार्शल (रिटायर्ड) दलजीत सिंह बताते हैं, ‘‘करगिल की जंग में जब मिग श्रेणी के फाइटर्स से पहाड़ी क्षेत्र में हमला कारगर साबित नहीं हो रहा था तो मिराज को आजमाया गया। इसने अपनी जबर्दस्त मारक क्षमता के दम पर जंग का पासा पलट दिया। करगिल की जंग के बाद अब मिराज और अपग्रेड हो गए हैं। इनकी क्षमता बेहतरीन हो चुकी है। सेल्फ प्रोटेक्शन सिक्योरिटी सिस्टम में इनका कोई सानी नहीं है। ये दुश्मन के रडार को जाम करने से लेकर चकमा देने में माहिर हैं। साथ ही हवा से हवा में दुश्मन के विमानों का पता लगाकर उन पर तेजी से हमला करने में सक्षम हैं।’’
2) सबसे बेहतर रडार सिस्टम
एयर मार्शल सिंह का कहना है, ‘‘इतनी खूबियों वाले विमान को सबसे महत्वपूर्ण अभियान पर भेजना बेहतरीन निर्णय रहा। हवाई हमले के वक्त अमूमन फाइटर्स कम या मध्यम ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं। मिराज का रडार सिस्टम वर्तमान में सबसे बेहतर माना जाता है। इस समय पाकिस्तान के एयर सर्विलांस सिस्टम की अपेक्षा हमारे पास काफी एडवांस सिस्टम है। पाकिस्तान को बरसों से अमेरिका से बेहतरीन हथियार नहीं मिल सके हैं। उसके पास एयर सर्विलांस सिस्टम चीन और स्वीडन का है। भारत के पास इजरायल और रूस से मिले लेटेस्ट तकनीक के एयर सर्विलांस सिस्टम हैं। ऐसे में पाकिस्तान के लिए हमारे विमानों की टोह लेना इतना आसान नहीं है, जितना भारत के लिए है।’’
3) लक्ष्य की बेहतरीन मैपिंग
मिराज फाइटर्स को अपग्रेड करने के लिए भारत सरकार ने 2012 में फ्रांस की कंपनी के साथ एक समझौता किया था। इसके तहत 17,547 करोड़ की लागत से सभी 50 मिराज विमानों को अपग्रेड किया जाना था। नए मिराज में थैलिस रडार लगा है। यह लंबी दूरी से हवा में अपने लक्ष्य तय कर सकता है। साथ ही डॉपलर बीम शार्पनिंग तकनीक से जमीन के लक्ष्य की बेहतरीन मैपिंग कर लेता है। इस तकनीक से जमीन पर हिलने वाले लक्ष्य को भी ध्वस्त कर सकता है।
4) पायलट के गर्दन घुमाते ही विमान घूम जाता है
पायलट के हेलमेट में ही डिस्प्ले लगा है। ऐसे में पायलट आसानी से सब कुछ देख सकता है। हवा से हवा में मार करने के लिए पायलट को सिर्फ दुश्मन के विमान की दिशा की तरफ अपनी गर्दन घुमानी होती है। बाकी का काम विमान खुद कर देता है। पायलट के गर्दन घुमाते ही पूरा विमान दुश्मन के विमान की तरफ घूम जाता है। इसके बाद लक्ष्य पर मिसाइल दागी जा सकती है।
इसमें मिका एयर टू एयर मिसाइल लगी है। यह मिसाइल लंबी दूरी के साथ ही बहुत कम दूरी पर अपने लक्ष्य पर बियोंड विजुअल रेंज हमला बोल सकती है। एक मिसाइल दो लक्ष्य पर प्रहार कर सकती है। अपग्रेडेड मिराज के कॉकपिट को पूरी तरह से बदल कर पायलट के लिए फ्रेंडली बना दिया गया है। इसे आसानी से मेंटेन किया जा सकता है।
5) पाकिस्तान ने जब एफ-16 लड़ाकू विमान खरीदे, तब भारत ने मिराज-2000 खरीदा
पाकिस्तान ने अमेरिका से एफ-16 लड़ाकू विमान खरीदे थे, जिसके जवाब में भारत ने फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन को अक्टूबर 1982 में 36 सिंगल-सीटर मिराज-2000 एचएस और 4 ट्विन-सीटर मिराज-2000 टीएचएस खरीदे। मिराज-2000 की लंबाई 47 फीट है जबकि खाली विमान का वजन 7500 किलो है। ये विमान 13,800 किलो गोला बारुद के साथ भी 2,336 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है।
मिराज-2000 किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है। इसे इस तरह से तैयार किया गया है कि आपातकाल स्थिति में इसे राष्ट्रीय राजमार्गों पर उतारा जा सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये कम ऊंचाई पर भी काफी तेज गति से उड़ान भरने में सक्षम है। मिराज में आधुनिक वॉइस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर है, जिसकी मदद से इसके कई फंक्शन को आवाज के जरिए ही कंट्रोल किया जा सकता है।
6) करगिल में मिराज ने ही तबाह किए थे बंकर
जमीन पर बोफोर्स और आसमान में मिराज के दम पर करगिल युद्ध जीता गया था। करगिल के पहाड़ों पर मजबूत बंकरों में बैठे पाकिस्तानी सैनिकों पर पहले मिग-21 और मिग-27 ने रॉकेट्स दागे गए, लेकिन वे दुश्मन को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाए। इसके बाद एयरफोर्स ने मिराज फाइटर्स को जिम्मेदारी सौंपी। इन्होंने पाक के बंकर तबाह कर दिए। लेजर गाइडेड बम से तोलोलिंग, टाइगर हिल्स पर हमला किया गया। साथ ही बटालिक क्षेत्र में लगातार बमबारी कर दुश्मन की सप्लाई लाइन तोड़ दी गई।
7) इस बार सर्जिकल स्ट्राइक में इस तरह तैयारी हुई
सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार तड़के पाकिस्तान के बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक के लिए मिराज 2000, सर्विलांस विमानों और मिड एयर रिफ्यूलिंग टैंकर ने अलग-अलग जगहों से उड़ान भरी। हवाई हमले से पहले इजरायल निर्मित हेरोन सर्विलांस ड्रोन को भी भेजा गया। इसी ने टारगेट का फाइनल सर्वे किया।
सर्विलांस विमान नेत्र और इजरायली हेरोन ड्रोन ने इस ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपात परिस्थितियों के लिए मिड एयर रिफ्यूलिंग जेट को भी आसमान में तैनात रखा गया था।
लड़ाकू विमानों के साथ इन सभी विमानों ने पश्चिमी और मध्य कमांड के अलग-अलग एयरबेस से उड़ान भरी। इसके चलते पाकिस्तान का रक्षा तंत्र असमंजस में पड़ गया कि आखिर ये विमान किस दिशा में जाएंगे। इनमें से कुछ विमानों ने बालकोट की दिशा ली और उस शिविर पर हमला कर दिया जहां बड़ी तादाद में आतंकी मौजूद थे और सो रहे थे।
हमले में फ्रांस निर्मित एक-एक हजार किलोग्राम के माटरा (Matra) बम का इस्तेमाल किया गया। ये लेजर गाइडेड बम होते हैं। मुश्किल लक्ष्यों पर एकदम सटीक प्रहार करने के लिए इस तरह के बमों का इस्तेमाल किया जाता है। इनकी खास बात यह है कि लक्ष्य के अलावा अन्य किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाते।
हमले के बाद पाकिस्तान के सर्विलांस विमानों ने भारतीय मिराज विमानों को डिटेक्ट तो कर लिया लेकिन भारतीय विमानों की फॉर्मेशन को देखते हुए उनके एफ-16 विमान जवाबी कार्रवाई करने की बजाय लौट गए।
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8:35:00 PM
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क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई
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