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हरियाणा की पहली बस ड्राइवर की कहानी ने बदली समाज की सोच,ट्रैक्टर चलाने पर जो देते थे ताने, बस चलाने पर वही करने लगे तारीफ
हरियाणा की बेटिेयों की हिम्मत और जज्बे की पूरा देश कायल है। ऐसी ही एक बेटी ने अपनी हिम्मत से समाज की सोच बदली और लोगों के तानों का बेजोड़ जवाब दिया।
सिरसा, [महेंद्र सिंह मेहरा]। हरियाणा की बेटियों ने अपने जज्बे आैर हिम्मत से देश क्या पूरी दुनिया में अपनी खास पहचान व मुकाम बनाया है। खेल, शिक्षा और अंतरिक्ष सहित कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां हरियाणा की बेटियों ने परचम लहराकर नई मिसाल न कायम की हो। ऐसी है हरियाणा का सिरसा जिले के एक गांव की बेटी पंकज। पंकज हरियाणा की पहली बस चालक हैं। उन्होंने लोगों के तानों का न केवल बेजोड़ जवाब दिया बल्कि समाज की सोच बदल दी।
गांव मैहणाखेड़ा निवासी किसान भागीराम की बेटी पंकज जब पांचवीं कक्षा में थी तो पिता के साथ ट्रैक्टर पर बैठ खेत जाया करती। स्वभाव से जिज्ञासु और कुछ अलग हटकर करने की सोच ने उसे कम उम्र में ही ट्रैक्टर चालक बना दिया। अब वह पिता को बिठाकर ट्रैक्टर लेकर जाती। गांव वाले देखते रह जाते। कहते, बेटी से ट्रैक्टर चलवाना अच्छी बात नहीं है। बेटियों को तो चूल्हा चौका ही सुहाता है। आज हरियाणा की पहली बस ड्राइवर बन चुकी पंकज कहती हैं, उन बातों की परवाह न मैने की और न मेरे पिताजी ने। मैंने खेती में पिता जी का हाथ बंटाना नहीं छोड़ा...।
हरियाणा की पहली बस ड्राइवर की कहानी ने बदली समाज की सोच
पंकज देवी की इस पहल से वह खुद तो सबल बनीं ही, गांव की दर्जनभर उन बेटियों का भी जीवन सुधर गया जो गांव में स्कूल नहीं होने की स्थिति में दूर जाकर पढ़ाई नहीं कर पाती थीं। पंकज पिछले 12 साल से राजकीय महिला कॉलेज की बस चालक के पद पर तैनात हैं। अब पंकज इन गांवों की बेटियों को स्कूल ले जाती हैं तो इन गांवों की बेटियां भी शिक्षित होने लगी हैं।
-ट्रैक्टर चलाने पर जो देते थे ताने, बस चलाने पर वही करने लगे तारीफ
पंकज के बस चालक बनने का फायदा करीब 20 गांवों की बेटियों को भी मिला। 20 गांव की लड़कियों को वह कॉलेज तक पहुंचा रही हैं। पहले ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां बारहवीं कक्षा से आगे बहुत कम पढ़ती थी लेकिन आज बस की सुविधा मिलने से दर्जनों लड़कियां प्रत्येक गांव से कॉलेज तक की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं।
बेटी को बनाना चाहती है पायलट
पंकज की शादी राजस्थान के फेफाना गांव में सुरेश से हुई है। सुरेश कपड़े की दुकान चलाते हैं और उनकी आर्थिक स्थिति ठीक है। गांव मेहनाखेड़ा निवासी पंकज देवी की 8 साल की बेटी है। पंकज ने कहा कि बेटी को हवाई जहाज उड़ाते देखना उसका सपना है। पंकज की उपलब्धि देखते हुए पिछले साल मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश की पहली महिला ड्राइवर के रूप में उन्हें सम्मानित भी किया था।
सिरसा, [महेंद्र सिंह मेहरा]। हरियाणा की बेटियों ने अपने जज्बे आैर हिम्मत से देश क्या पूरी दुनिया में अपनी खास पहचान व मुकाम बनाया है। खेल, शिक्षा और अंतरिक्ष सहित कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां हरियाणा की बेटियों ने परचम लहराकर नई मिसाल न कायम की हो। ऐसी है हरियाणा का सिरसा जिले के एक गांव की बेटी पंकज। पंकज हरियाणा की पहली बस चालक हैं। उन्होंने लोगों के तानों का न केवल बेजोड़ जवाब दिया बल्कि समाज की सोच बदल दी।
गांव मैहणाखेड़ा निवासी किसान भागीराम की बेटी पंकज जब पांचवीं कक्षा में थी तो पिता के साथ ट्रैक्टर पर बैठ खेत जाया करती। स्वभाव से जिज्ञासु और कुछ अलग हटकर करने की सोच ने उसे कम उम्र में ही ट्रैक्टर चालक बना दिया। अब वह पिता को बिठाकर ट्रैक्टर लेकर जाती। गांव वाले देखते रह जाते। कहते, बेटी से ट्रैक्टर चलवाना अच्छी बात नहीं है। बेटियों को तो चूल्हा चौका ही सुहाता है। आज हरियाणा की पहली बस ड्राइवर बन चुकी पंकज कहती हैं, उन बातों की परवाह न मैने की और न मेरे पिताजी ने। मैंने खेती में पिता जी का हाथ बंटाना नहीं छोड़ा...।
हरियाणा की पहली बस ड्राइवर की कहानी ने बदली समाज की सोच
पंकज देवी की इस पहल से वह खुद तो सबल बनीं ही, गांव की दर्जनभर उन बेटियों का भी जीवन सुधर गया जो गांव में स्कूल नहीं होने की स्थिति में दूर जाकर पढ़ाई नहीं कर पाती थीं। पंकज पिछले 12 साल से राजकीय महिला कॉलेज की बस चालक के पद पर तैनात हैं। अब पंकज इन गांवों की बेटियों को स्कूल ले जाती हैं तो इन गांवों की बेटियां भी शिक्षित होने लगी हैं।
-ट्रैक्टर चलाने पर जो देते थे ताने, बस चलाने पर वही करने लगे तारीफ
पंकज के बस चालक बनने का फायदा करीब 20 गांवों की बेटियों को भी मिला। 20 गांव की लड़कियों को वह कॉलेज तक पहुंचा रही हैं। पहले ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां बारहवीं कक्षा से आगे बहुत कम पढ़ती थी लेकिन आज बस की सुविधा मिलने से दर्जनों लड़कियां प्रत्येक गांव से कॉलेज तक की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं।
बेटी को बनाना चाहती है पायलट
पंकज की शादी राजस्थान के फेफाना गांव में सुरेश से हुई है। सुरेश कपड़े की दुकान चलाते हैं और उनकी आर्थिक स्थिति ठीक है। गांव मेहनाखेड़ा निवासी पंकज देवी की 8 साल की बेटी है। पंकज ने कहा कि बेटी को हवाई जहाज उड़ाते देखना उसका सपना है। पंकज की उपलब्धि देखते हुए पिछले साल मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश की पहली महिला ड्राइवर के रूप में उन्हें सम्मानित भी किया था।
credit Jagran group
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हरियाणा की पहली बस ड्राइवर की कहानी ने बदली समाज की सोच,ट्रैक्टर चलाने पर जो देते थे ताने, बस चलाने पर वही करने लगे तारीफ
Reviewed by DabwaliNews
on
11:29:00 PM
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क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई
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