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...तो उस दिन 'आप' से हाथ मिला लेगी कांग्रेस?
डबवाली न्यूज़
राजनीति में कोई भी फैसला अंतिम नहीं होता है, इसलिए आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर जो कांग्रेस ने अपना फैसला सुनाया है वह भी अंतिम नहीं हो सकता। कयास अभी भी पहले जैसे बरकरार हैं। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली का गणित दोनों पार्टियों को गठबंधन के लिए विवश कर रहा है और पूरी संभावना है कि चुनाव आते-आते इस पर दोनों पार्टियों (कांग्रेस और आम आदमी पार्टी) की राय भी एक हो जाए।
आम आदमी पार्टी से आगामी चुनाव को लेकर गठबंधन के मुद्दे पर राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर बुलाई गई बैठक में कुछ इस तरह के संकेत भी दिखे। इस बैठक में राहुल गांधी के अलावा, एआईसीसी सेक्रटरी कुलजीत नागरा, दिल्ली प्रभारी पी. सी. चाको, प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन, अरविंदर सिंह लवली, जयप्रकाश अग्रवाल, सुभाष चोपड़ा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष योगानंद शास्त्री और दो वर्किंग प्रेसिडेंट हारून यूसुफ और राजेश लिलोथिया शामिल थे।
गठबंधन के पक्ष में चाको
सूत्रों का कहना है कि दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ने मीटिंग के अंदर गठबंधन की बात को माना और उन्होंने वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए कहा कि गठबंधन कर लेना चाहिए। बताया जा रहा है कि चाको ने मीटिंग के अंदर यह बताया कि पार्टी की स्थिति में सुधार है, लेकिन इतना भी सुधार नहीं है हम सभी सीटें जीत जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि चाको ने दूरगामी परिणाम को देखते हुए अपनी राय दी थी। भले ही उनकी यह राय पर लोग सहमत न हो, लेकिन चुनाव करीब आते-आते ही बात बन सकती है।
कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि वर्तमान परिस्थिति में मोदी को हटाना सबसे बड़ा लक्ष्य है, इसी के लिए यूपी में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक हो गए हैं, जब वो इस बात को समझ रहे हैं तो दिल्ली की स्थिति को भी समझना होगा, क्योंकि दिल्ली का वर्तमान गणित बीजेपी के फेवर में जा रहा है और इसी तरह त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो बीजेपी जीत सकती है।
बदल सकती है सियासी तस्वीर
इसलिए आने वाले समय में गठबंधन पर चर्चा नए सिरे से हो सकती है और इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि राजनीतिक परिस्थिति कभी भी बदल सकती है। सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों के बीच अगर किसी बात को लेकर गतिरोध है तो वह अब भी सीटों के बंटवारे को लेकर है। अगर आने वाले दिनों में सीटों पर सहमति बनती है तो हम और आप दोनों को साथ में चुनाव लड़ते भी देख सकते हैं।
राजनीति में कोई भी फैसला अंतिम नहीं होता है, इसलिए आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर जो कांग्रेस ने अपना फैसला सुनाया है वह भी अंतिम नहीं हो सकता। कयास अभी भी पहले जैसे बरकरार हैं। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली का गणित दोनों पार्टियों को गठबंधन के लिए विवश कर रहा है और पूरी संभावना है कि चुनाव आते-आते इस पर दोनों पार्टियों (कांग्रेस और आम आदमी पार्टी) की राय भी एक हो जाए।
आम आदमी पार्टी से आगामी चुनाव को लेकर गठबंधन के मुद्दे पर राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर बुलाई गई बैठक में कुछ इस तरह के संकेत भी दिखे। इस बैठक में राहुल गांधी के अलावा, एआईसीसी सेक्रटरी कुलजीत नागरा, दिल्ली प्रभारी पी. सी. चाको, प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन, अरविंदर सिंह लवली, जयप्रकाश अग्रवाल, सुभाष चोपड़ा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष योगानंद शास्त्री और दो वर्किंग प्रेसिडेंट हारून यूसुफ और राजेश लिलोथिया शामिल थे।
गठबंधन के पक्ष में चाको
सूत्रों का कहना है कि दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ने मीटिंग के अंदर गठबंधन की बात को माना और उन्होंने वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए कहा कि गठबंधन कर लेना चाहिए। बताया जा रहा है कि चाको ने मीटिंग के अंदर यह बताया कि पार्टी की स्थिति में सुधार है, लेकिन इतना भी सुधार नहीं है हम सभी सीटें जीत जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि चाको ने दूरगामी परिणाम को देखते हुए अपनी राय दी थी। भले ही उनकी यह राय पर लोग सहमत न हो, लेकिन चुनाव करीब आते-आते ही बात बन सकती है।
कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि वर्तमान परिस्थिति में मोदी को हटाना सबसे बड़ा लक्ष्य है, इसी के लिए यूपी में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक हो गए हैं, जब वो इस बात को समझ रहे हैं तो दिल्ली की स्थिति को भी समझना होगा, क्योंकि दिल्ली का वर्तमान गणित बीजेपी के फेवर में जा रहा है और इसी तरह त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो बीजेपी जीत सकती है।
बदल सकती है सियासी तस्वीर
इसलिए आने वाले समय में गठबंधन पर चर्चा नए सिरे से हो सकती है और इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि राजनीतिक परिस्थिति कभी भी बदल सकती है। सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों के बीच अगर किसी बात को लेकर गतिरोध है तो वह अब भी सीटों के बंटवारे को लेकर है। अगर आने वाले दिनों में सीटों पर सहमति बनती है तो हम और आप दोनों को साथ में चुनाव लड़ते भी देख सकते हैं।
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क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई
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