health
[health][bsummary]
sports
[sports][bigposts]
entertainment
[entertainment][twocolumns]
Comments
गुरू नानक देव जी ने लगभग 510 वर्ष पूर्व अपने चरण स्पर्शों से सिरसा को किया था पवित्र
चिल्ला साहिब में गुरू नानक देव जी ने किया था चलिया
डबवाली न्यूज़
भारत की धरती ने अनेकों ऐसे महापुरूषों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सुधार के कार्यों में लगा दिया।
इन्हीं में से एक थे गुरू नानक देव जी महाराज, जिन्होंने समस्त समाज को न केवल मानवता का संदेश दिया बल्कि स्वयं इस रास्ते पर चले और दूसरों को प्रेरित भी किया। पूरी दुनिया में जहां-जहां गुरू नानक देव जी गए वहां पर अपने संदेश व ज्ञान से लोगों को अपना मुरीद बनाया। ऐसा ही सौभाग्य सिरसा के लोगों को भी आज से लगभग 510 वर्ष पूर्व मिला था, जब गुरू नानक देवी जी के चरण कमल धर्म की नगरी सिरसा में पड़े थे। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार गुरू नानक देव जी सिरसा की धरती पर 4 महीने 13 दिन रहकर लोगों को मानव कल्याण का संदेश दिया था।
कहा जाता है के गुरू नानक देव जी अपनी दूसरी उदासी में सिरसा आए थे। बताया जाता है कि गुरू नानक जी जब सिरसा आए थे तो यहां मुसलमान-फकीरों का बड़ा भारी मेला चल रहा था। इस मेले में दूर-दूर से फकीर व लोग आए हुए थे। गुरू नानक देव जी मरदाना के साथ उस मेले में पहुंचे। गुरू नानक देव जी के परिधान ने मेले में उपस्थित लोगों को आकर्षित किया, क्योंकि जो परिधान उन्होंने पहना हुआ था, उससे न वो हिंदू लग रहे थे और ना ही मुस्लमान। ऐसे व्यक्ति को अपने बीच पाकर लोगों की भीड़ उनके पास एकत्रित हो गई। भीड़ को देखकर गुरू जी ने मरदाने से कहा मरदाने छेड़ राग, मरदाने ने रबाब बजाई। गुरू जी के मुख से जैसे ही वाहिगुरू दी रहमत का शब्द निकला लोग फकीरों के जलसे को छोड़ कर गुरू जी के तरफ दौड़े चले आए।
बताया जाता है कि जिस समय गुरू जी ने यहां अपने एक ओंकार मिशन का प्रचार किया था, उस दौरान यहां ऐसे फकीरों का बड़ा बोलबाला था, जोकि लोगों को धागे तवीज से मंत्र उचारण देकर उनकी बीमारी को दूर करने का दावा करते थे। बीमार लोग अपनी बीमारी को खत्म करने उनके पास आते थे वे जादू टोनो से उनकी बीमारी का हल करते थे। सिरसा में फैले इस पाखंडता के बोलबाले के बीच गुरू नानक देव जी ने अपने संदेशों से लोगों के बीच मानवता की एक लौ जगाने का काम किया।
कहते है कि गुरू नानक देव जी व मरदाना एकेश्वर की खोज के लिए निकल थे। एक बार गुरू नानक देवी जी ने नदी में डुबकी लगाई और नीचे जाकर ध्यानर्त हो गए। बताया जाता है कि गुरू नानक देव जी तीन दिन नदी के अंदर ही रहे और तीन दिन बाद निकले तो दुनिया को संदेश दिया कि कोई हिंदु-मुस्लमान नहीं है। उनकी यह घोषणा आदमी के भाईचारा और परमेश्वर के पितृत्व की घोषणा थी। इसी ज्ञान को लेकर गुरू जी ने भारत में कई हिन्दू और मुरिुलम धर्म की जगहों का भ्रमण किया। गुरू नानक के इस भ्रमण को पंजाबी में उदासियों के नाम से जाना गया। गुरू नानक ने 1521 ई. तक चार यात्रा चक्र पूरे किए। इस दौरान उन्होंने भारत,अफगानस्तिान, फारस और अरब के मु य स्थानों पर जाकर समाज सुधार की दिशा में लोगों में जागरूकता लाने का काम किया।
इसी भ्रमण के दौरान श्री गुरू नानक देव जी ने दूसरी उदासी में सिरसा की धरती पर पैर रख सिरसा को पवित्र किया था, गुरू नानक देव जी बठिंडा से भटनेर, बाहिका आदि स्थानों से होते हुए 1510 ई सिरसा पहुंचे। सिरसा में चिल्ला साहिब गुरूद्वारा वह स्थान है जहां गुरू जी ने चलिया अर्थात 40 दिन तक बिना कुछ खाए पीए ध्यान किया। गुरू नानक देव जी ने ननकाना के बाद सिरसा एक ऐसा स्थान है जहंा गुरू जी ने अपने जीवन का सबसे अधिक समय एक जगह पर बिताया था।
सिरसा में गुरू नानक देव जी ने चार महीने 13 दिन बिताए तथा यहां के लोगों को मानवता की सेवा के लिए प्रेरित किया। गुरू जी ने आपसी प्रेम, भाईचारा, मानवता की सेवा, जाति प्रथा का विरोध, नारी अधिकार व समाज में फैली ऐसी कुरीतियां जो मानवता की बाधक थी, को खत्म करने को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया और इसके लिए चार यात्रा चक्र पूरे किए तथा मानवता का संदेश फैलाया।
गुरू नानक द्वारा दिए गए संदेश मानवता व समाज सुधार की दिशा में आज भी प्रासंगिक हैं। गुरू नानक देव जी देश व दुनिया में जहां भी गये, वहां पर अपने संदेशों के माध्यम से लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। गुरू नानक देव जी को अपने बीच पाकर लोग अपने आपको सौभाग्यशाली व धन्य समझते थे। ऐसा ही सौभाग्य सिरसा के लोगों को भी मिला आज से लगभग 510 वर्ष पूर्व, जब श्री गुरू नानक देव जी ने सिरसा की पवित्र भूमि पर अपने चरण रखे थे। गुरू नानक देवी जी द्वारा यहां पर बिताए गए दिनों व लोगों का उनके प्रति आदर व सत्कार के क्षणों के गवाह का केन्द्र बिन्दु ऐतिहासिक गुरद्वारा चिल्ला साहिब बना हुआ है। गुरू नानक देवी जी के चरण स्पर्श से पवित्र हुई सिरसा की धरती एक बार फिर गुरू जी के ज्ञान व उपदेशों की गवाह बनेगी, जब 4 अगस्त को पुलिस लाईन मैदान में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी।
डबवाली न्यूज़
भारत की धरती ने अनेकों ऐसे महापुरूषों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सुधार के कार्यों में लगा दिया।
इन्हीं में से एक थे गुरू नानक देव जी महाराज, जिन्होंने समस्त समाज को न केवल मानवता का संदेश दिया बल्कि स्वयं इस रास्ते पर चले और दूसरों को प्रेरित भी किया। पूरी दुनिया में जहां-जहां गुरू नानक देव जी गए वहां पर अपने संदेश व ज्ञान से लोगों को अपना मुरीद बनाया। ऐसा ही सौभाग्य सिरसा के लोगों को भी आज से लगभग 510 वर्ष पूर्व मिला था, जब गुरू नानक देवी जी के चरण कमल धर्म की नगरी सिरसा में पड़े थे। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार गुरू नानक देव जी सिरसा की धरती पर 4 महीने 13 दिन रहकर लोगों को मानव कल्याण का संदेश दिया था।
कहा जाता है के गुरू नानक देव जी अपनी दूसरी उदासी में सिरसा आए थे। बताया जाता है कि गुरू नानक जी जब सिरसा आए थे तो यहां मुसलमान-फकीरों का बड़ा भारी मेला चल रहा था। इस मेले में दूर-दूर से फकीर व लोग आए हुए थे। गुरू नानक देव जी मरदाना के साथ उस मेले में पहुंचे। गुरू नानक देव जी के परिधान ने मेले में उपस्थित लोगों को आकर्षित किया, क्योंकि जो परिधान उन्होंने पहना हुआ था, उससे न वो हिंदू लग रहे थे और ना ही मुस्लमान। ऐसे व्यक्ति को अपने बीच पाकर लोगों की भीड़ उनके पास एकत्रित हो गई। भीड़ को देखकर गुरू जी ने मरदाने से कहा मरदाने छेड़ राग, मरदाने ने रबाब बजाई। गुरू जी के मुख से जैसे ही वाहिगुरू दी रहमत का शब्द निकला लोग फकीरों के जलसे को छोड़ कर गुरू जी के तरफ दौड़े चले आए।
बताया जाता है कि जिस समय गुरू जी ने यहां अपने एक ओंकार मिशन का प्रचार किया था, उस दौरान यहां ऐसे फकीरों का बड़ा बोलबाला था, जोकि लोगों को धागे तवीज से मंत्र उचारण देकर उनकी बीमारी को दूर करने का दावा करते थे। बीमार लोग अपनी बीमारी को खत्म करने उनके पास आते थे वे जादू टोनो से उनकी बीमारी का हल करते थे। सिरसा में फैले इस पाखंडता के बोलबाले के बीच गुरू नानक देव जी ने अपने संदेशों से लोगों के बीच मानवता की एक लौ जगाने का काम किया।
कहते है कि गुरू नानक देव जी व मरदाना एकेश्वर की खोज के लिए निकल थे। एक बार गुरू नानक देवी जी ने नदी में डुबकी लगाई और नीचे जाकर ध्यानर्त हो गए। बताया जाता है कि गुरू नानक देव जी तीन दिन नदी के अंदर ही रहे और तीन दिन बाद निकले तो दुनिया को संदेश दिया कि कोई हिंदु-मुस्लमान नहीं है। उनकी यह घोषणा आदमी के भाईचारा और परमेश्वर के पितृत्व की घोषणा थी। इसी ज्ञान को लेकर गुरू जी ने भारत में कई हिन्दू और मुरिुलम धर्म की जगहों का भ्रमण किया। गुरू नानक के इस भ्रमण को पंजाबी में उदासियों के नाम से जाना गया। गुरू नानक ने 1521 ई. तक चार यात्रा चक्र पूरे किए। इस दौरान उन्होंने भारत,अफगानस्तिान, फारस और अरब के मु य स्थानों पर जाकर समाज सुधार की दिशा में लोगों में जागरूकता लाने का काम किया।
इसी भ्रमण के दौरान श्री गुरू नानक देव जी ने दूसरी उदासी में सिरसा की धरती पर पैर रख सिरसा को पवित्र किया था, गुरू नानक देव जी बठिंडा से भटनेर, बाहिका आदि स्थानों से होते हुए 1510 ई सिरसा पहुंचे। सिरसा में चिल्ला साहिब गुरूद्वारा वह स्थान है जहां गुरू जी ने चलिया अर्थात 40 दिन तक बिना कुछ खाए पीए ध्यान किया। गुरू नानक देव जी ने ननकाना के बाद सिरसा एक ऐसा स्थान है जहंा गुरू जी ने अपने जीवन का सबसे अधिक समय एक जगह पर बिताया था।
सिरसा में गुरू नानक देव जी ने चार महीने 13 दिन बिताए तथा यहां के लोगों को मानवता की सेवा के लिए प्रेरित किया। गुरू जी ने आपसी प्रेम, भाईचारा, मानवता की सेवा, जाति प्रथा का विरोध, नारी अधिकार व समाज में फैली ऐसी कुरीतियां जो मानवता की बाधक थी, को खत्म करने को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया और इसके लिए चार यात्रा चक्र पूरे किए तथा मानवता का संदेश फैलाया।
गुरू नानक द्वारा दिए गए संदेश मानवता व समाज सुधार की दिशा में आज भी प्रासंगिक हैं। गुरू नानक देव जी देश व दुनिया में जहां भी गये, वहां पर अपने संदेशों के माध्यम से लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। गुरू नानक देव जी को अपने बीच पाकर लोग अपने आपको सौभाग्यशाली व धन्य समझते थे। ऐसा ही सौभाग्य सिरसा के लोगों को भी मिला आज से लगभग 510 वर्ष पूर्व, जब श्री गुरू नानक देव जी ने सिरसा की पवित्र भूमि पर अपने चरण रखे थे। गुरू नानक देवी जी द्वारा यहां पर बिताए गए दिनों व लोगों का उनके प्रति आदर व सत्कार के क्षणों के गवाह का केन्द्र बिन्दु ऐतिहासिक गुरद्वारा चिल्ला साहिब बना हुआ है। गुरू नानक देवी जी के चरण स्पर्श से पवित्र हुई सिरसा की धरती एक बार फिर गुरू जी के ज्ञान व उपदेशों की गवाह बनेगी, जब 4 अगस्त को पुलिस लाईन मैदान में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी।
Related Posts
गुरू नानक देव जी ने लगभग 510 वर्ष पूर्व अपने चरण स्पर्शों से सिरसा को किया था पवित्र
Reviewed by DabwaliNews
on
9:40:00 PM
Rating: 5
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
IMPORTANT-------ATTENTION -- PLEASE
क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई
fv
Translate
Subscribe Us
social links
[socialcounter]
[facebook][https://www.facebook.com/dabwalinews/][4.2k]
[twitter][https://twitter.com/dabwalinews][1.2k]
[youtube][https://www.youtube.com/c/dabwalinews][23k]
[linkedin][#][230]
Wikipedia
Search results
sponsored
Gurasees Homeopathic Clinic
Popular Posts
-
BREAKING NEWS #dabwalinews.com हरियाणा के डबवाली में एक मसाज सेंटर पर पुलिस छापे का सनसनीखेज खुलासा हुआ है.पुलिस ने देर रात म...
-
दुल्हन के तेवर देख दुल्हे वालों ने बुलाई पुलिस चंडीगढ़ में रहने वाली लडक़ी की डबवाली के युवक से हुआ था विवाह #dabwalinews.com Exclusiv...
-
कुमार मुकेश, भारत में छिपकलियों की कोई भी प्रजाति जहरीली नहीं है, लेकिन उनकी त्वचा में जहर जरूर होता है। यही कारण है कि छिपकलियों के काटन...
-
DabwaliNews.com दोस्तों जैसे सभी को पता है के कैसे डबवाली उपमंडल के कुछ ग्रामीण इलाकों में बल काटने वाले गिरोह की दहशत से लोगो में अ...
-
#dabwalinews.com पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल पर बुधवार को एक युवक द्वारा उनके ही विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान जू...
-
dabwalinews.com डबवाली। डबवाली में गांव जंडवाला बिश्नोई के नजदीक एक ढाणी में पंजाब व हरियाणा पुलिस की 3 गैंगस्टर के बीच मुठभेड़ हो गई। इस...
-
BREAKING NEWS लॉकडाउन 4. 0 डबवाली में कोरोना ने दी दस्तक डबवाली के प्रेम नगर व रवि दास नगर में पंजाब से अपने रिश्तेदार के घर मिलने आई म...
No comments:
Post a Comment