कहा गए वो दिन;- अर्जुन की सगाई पर साफ झलकी पारिवारिक रिश्तों में खटास

डबवाली न्यूज़
दो साल पहले जब भतीजे दुष्यंत चौटाला की शादी हुई थी, तब चाचा अभय सिंह चौटाला इस महफिल की खास रौनक थे। मारे खुशी के भतीजे दुष्यंत ने चाचा अभय सिंह को अपने कंधों पर उठा लिया। पिता अजय सिंह चौटाला और मां नैना चौटाला शादी में चाचा-भतीजे के इस प्यार को देखकर फूले नहीं समा रहे थे। काली शेरवानी पहने दादा ओमप्रकाश चौटाला की आंखों में भी चश्मे के पीछे अलग ही चमक दिखाई दे रही थी।
इस बार पारिवारिक माहौल से पूरी तरह अलग था। इस बार जश्न का माहौल अभय सिंह चौटाला के घर में बना। मौका था, अभय सिंह चौटाला के छोटे बेटे अर्जुन चौटाला की सगाई का। राजनीतिक गलियारों में ओमप्रकाश चौटाला के पगड़ी बदल भाई पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल और पूर्व उप मुख्यमंत्री स. सुखबीर सिंह बादल सगाई की इस रस्म के मुख्य गवाह बने।

दुष्यंत अपनी शादी में चाचा को कंधे पर उठाए हुए। (फाइल फोटो)
अर्जुन की सगाई में अगर कोई नजर नहीं आया तो ताऊ अजय सिंह, ताई नैना चौटाला और भाई दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला। ताऊ देवीलाल के परिवार में राजनीतिक दुश्मनी की यह इंतहा थी। दोनों भाइयों अजय सिंह और अभय सिंह के बीच राजनीतिक खटास का असर उनके पारिवारिक रिश्तों में साफ नजर आया। आज हालात यह हैं कि दोनों परिवारों ने एक-दूसरे की खुशियों से किनारा कर लिया।

दुष्यंत की शादी में जश्न मनाता परिवार।
दरअसल, ताऊ देवीलाल के इस परिवार में कलह की नींव गोहाना में राज्यस्तरीय जयंती समारोह के दौरान ही पड़ गई थी। दादा ओमप्रकाश चौटाला ने अनुशासनहीनता के आरोप में पहले दुष्यंत चौटाला और फिर अजय सिंह को पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद अजय सिंह व दुष्यंत ने अलग जननायक जनता पार्टी बना ली। इनेलो विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला ने पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने में अपनी पूरी ताकत लगा दी। लोकसभा चुनाव में जब भाजपा ने कांग्रेस, इनेलो और जननायक जनता पार्टी को बुरी तरह से शिकस्त दी तो कार्यकर्ताओं को लगा कि अब देवीलाल और चौटाला परिवार की राजनीतिक एकजुटता बेहद जरूरी हो गई है।
चौटाला परिवार के करीबी लोगों का कहना है कि अभय सिंह ने इस एकजुटता के लिए बड़ी शिद्दत के साथ प्रयास भी किए। अपने चाचा रणजीत सिंह चौटाला को मध्यस्थ बनाया। खुद अभय अपने भाई अजय सिंह से मिलने जेल गए। पार्टी के मजबूत सारथी अशोक अरोड़ा और रामपाल माजरा ने भी परिवार की एकजुटता की तमाम कोशिशें कीं, मगर बात नहीं बनी।

अर्जुन चौटाला के टीका कार्यक्रम में उपस्थित लोग।
ऐसा भी नहीं है कि सारी गलती अजय सिंह के परिवार की है। अजय सिंह के दिल में भी अपने भाई अभय सिंह के प्रति प्यार का समंदर हिलौरे मारता है, लेकिन नई पीढ़ी की राजनीति ने इन रिश्तों की दरार को पाटने में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है। कुछ लोग इस पूरे विवाद को प्रॉपर्टी के मसलों से जोड़कर पेश करते हैं। परिवार को बेहद करीब से जानने वाले लोगों ने अभी एकजुटता के प्रयास खत्म नहीं किए हैं।

अर्जुन चौटाला के दादा ओम प्रकाश चौटाला व प्रकाश सिंह बादल के साथ।
देवीलाल परिवार के सबसे बड़े मुखिया ओमप्रकाश चौटाला, उनके अभिन्न मित्र स. प्रकाश सिंह बादल और अभय सिंह के चाचा रणजीत सिंह के जरिये कोशिश की जा रही कि किसी तरह विधानसभा चुनाव से पहले दिलों की दूरियां खत्म करने के साथ-साथ दलों की दूरियां भी खत्म की जाएं। अन्यथा इसका नुकसान पूरे परिवार को उठाना पड़ सकता है। अब देखने वाली बात है कि मौजूदा माहौल में पहल किस तरफ से होती है।
source - Anurag agrwal danik jagran web portal
इस बार पारिवारिक माहौल से पूरी तरह अलग था। इस बार जश्न का माहौल अभय सिंह चौटाला के घर में बना। मौका था, अभय सिंह चौटाला के छोटे बेटे अर्जुन चौटाला की सगाई का। राजनीतिक गलियारों में ओमप्रकाश चौटाला के पगड़ी बदल भाई पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल और पूर्व उप मुख्यमंत्री स. सुखबीर सिंह बादल सगाई की इस रस्म के मुख्य गवाह बने।

दुष्यंत अपनी शादी में चाचा को कंधे पर उठाए हुए। (फाइल फोटो)
अर्जुन की सगाई में अगर कोई नजर नहीं आया तो ताऊ अजय सिंह, ताई नैना चौटाला और भाई दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला। ताऊ देवीलाल के परिवार में राजनीतिक दुश्मनी की यह इंतहा थी। दोनों भाइयों अजय सिंह और अभय सिंह के बीच राजनीतिक खटास का असर उनके पारिवारिक रिश्तों में साफ नजर आया। आज हालात यह हैं कि दोनों परिवारों ने एक-दूसरे की खुशियों से किनारा कर लिया।

दुष्यंत की शादी में जश्न मनाता परिवार।
दरअसल, ताऊ देवीलाल के इस परिवार में कलह की नींव गोहाना में राज्यस्तरीय जयंती समारोह के दौरान ही पड़ गई थी। दादा ओमप्रकाश चौटाला ने अनुशासनहीनता के आरोप में पहले दुष्यंत चौटाला और फिर अजय सिंह को पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद अजय सिंह व दुष्यंत ने अलग जननायक जनता पार्टी बना ली। इनेलो विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला ने पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने में अपनी पूरी ताकत लगा दी। लोकसभा चुनाव में जब भाजपा ने कांग्रेस, इनेलो और जननायक जनता पार्टी को बुरी तरह से शिकस्त दी तो कार्यकर्ताओं को लगा कि अब देवीलाल और चौटाला परिवार की राजनीतिक एकजुटता बेहद जरूरी हो गई है।
चौटाला परिवार के करीबी लोगों का कहना है कि अभय सिंह ने इस एकजुटता के लिए बड़ी शिद्दत के साथ प्रयास भी किए। अपने चाचा रणजीत सिंह चौटाला को मध्यस्थ बनाया। खुद अभय अपने भाई अजय सिंह से मिलने जेल गए। पार्टी के मजबूत सारथी अशोक अरोड़ा और रामपाल माजरा ने भी परिवार की एकजुटता की तमाम कोशिशें कीं, मगर बात नहीं बनी।

अर्जुन चौटाला के टीका कार्यक्रम में उपस्थित लोग।
ऐसा भी नहीं है कि सारी गलती अजय सिंह के परिवार की है। अजय सिंह के दिल में भी अपने भाई अभय सिंह के प्रति प्यार का समंदर हिलौरे मारता है, लेकिन नई पीढ़ी की राजनीति ने इन रिश्तों की दरार को पाटने में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है। कुछ लोग इस पूरे विवाद को प्रॉपर्टी के मसलों से जोड़कर पेश करते हैं। परिवार को बेहद करीब से जानने वाले लोगों ने अभी एकजुटता के प्रयास खत्म नहीं किए हैं।

अर्जुन चौटाला के दादा ओम प्रकाश चौटाला व प्रकाश सिंह बादल के साथ।
देवीलाल परिवार के सबसे बड़े मुखिया ओमप्रकाश चौटाला, उनके अभिन्न मित्र स. प्रकाश सिंह बादल और अभय सिंह के चाचा रणजीत सिंह के जरिये कोशिश की जा रही कि किसी तरह विधानसभा चुनाव से पहले दिलों की दूरियां खत्म करने के साथ-साथ दलों की दूरियां भी खत्म की जाएं। अन्यथा इसका नुकसान पूरे परिवार को उठाना पड़ सकता है। अब देखने वाली बात है कि मौजूदा माहौल में पहल किस तरफ से होती है।
source - Anurag agrwal danik jagran web portal
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