नगर परिषद व सरकार की खामियों की सजा भुगत रहे शहर के लोग, बंदर गली-गली मचा रहे उत्पात

प्रतिदिन एक दर्जन से अधिक लोगों को बना रहे शिकार
डबवाली। शहर में पिछले कई वर्षों से बंदरों का आतंक पूरे चरम पर है। आए दिन शहर की विभिन्न कॉलोनियों और बाजारों से बंदरों के काटने के मामले सामने आ रहे हैं।
नगर परिषद पर साढ़सती का साया
डबवाली। कई वर्षों से डबवाली की नगर परिषद विवादों से घिरी रही है। जिसके कारण शहर के विकास कार्य तो प्रभावित हुए ही हैं तो वहीं बंदरों को पकडऩे का ठेका देने, आवारा पशुओं को पकडऩे, मृत पशुओं को उठाने का ठेका देने सहित स्ट्रीट लाईट का ठेका तक नहीं दिया गया। अनेक सुविधाओं से वंचित शहर के लोगों को सुविधाएं पाने के लिए अकसर संघर्ष का रास्ता अपनाने  को मजबूर होना पड़ा। इसके बावजूद भी नगर परिषद द्वारा आमजन को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ठीक इसके विपरित अधिकारी और नगर पार्षद आपस में ही उलझे रहे और इसकी सजा शहर के लोगों को भुगतनी पड़ रही है।
इसके चलते इलाके के लोग भयभीत नजर आ रहे हैं। लोगों ने इस क्रम में नगर परिषद व प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। लोगों का आरोप है कि नगर परिषद व  प्रशासन शहर से बंदरों के सफाए को लेकर बिलकुल भी गंभीर नहीं है।  इसके कारण बंदरों के काटने के मामले आए दिन बढ़ते जा रहे हैं।  बता दें, कि शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में इन दिनों बंदरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को सुबह कॉलोनी रोड पर इलैक्ट्रोनिक्स की दुकान चलाने वाले दीपक मेहता पर अचानक हमला कर घायल कर दिया तो वहीं साथ की गली में चल रहे एक निर्माणधीन कार्य पर काम कर रहे राज मिस्त्री को भी काट खाया। बंदर का शिकार हुए उक्त दोनों का उपचार स्थानीय नागरिक अस्पताल में करवाया गया। बंदरों के काटने के अधिकतर मामले बच्चे, बुजुर्ग तथा महिलाओं के साथ सामने आए हैं। बंदर छोटे बच्चों तथा महिलाओं को आसानी से शिकार बनाकर इन्हें जख्मी कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार पिछले डेढ़ माह के भीतर बंदरों ने क्षेत्र के करीब 200 से अधिक लोगों को अपना शिकार बनाया है। यदि इससे पहले के आंकडों पर गौर की जाए तो यह आंकड़े और भी चौंकाने वाले हैं। पिछले एक वर्ष में बंदरों तथा पागल कुत्तों के काटने के करीब 1500 से अधिक मामले सामने आए हैं। राम नगर कॉलोनी निवासी अशोक कुमार, सोनू, शेर सिंह आदि ने बताया कि शहर में बंदरों का आतंक इस कदर लोगों पर छाया हुआ है कि लोगों ने इनके डर के मारे अपनी छतों पर जाना भी छोड़ दिया है। पिछले एक साल से तो बंदरों के काटने के मामले अधिक बढ़े हैं तो वहीं इनकी संख्या में भारी इजाफा होता जा रहा है। सरकारी अस्पताल के आकंडों के अनुसार प्रतिदिन दर्जन से अधिक लोग बंदरों और आवारा कुत्तों के काटने के पीडि़त लोग उपचार के लिए आ रहे हैं और इन्हें चार चरणों में इजेंक्शन लगाया जाता है।

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