डबवाली उपमंडल के खेतों से जयदा फेसबुक व व्हाट्सप्प पर है टिड्डी दल का कोरहम

डबवाली न्यूज़
हर  तरफ टिड्डी दल किसानों के जी का जंजाल बना  हुए हैं।वयस्क टिड्डी का झुंड एक दिन में 150 किलोमीटर तक हवा के साथ उड़ सकता है।एक अनुमान के अनुसार, एक बहुत छोटा झुंड एक दिन में करीब 35,000 लोगों का खाना खा जाता है।

किसानों में इनके खौफ का आलम ये है कि बॉर्डर इलाके में सनसनी मची हुई है। इनके हवाई आक्रमण से किसानों में कोहराम मचा हुआ है। दरअसल सीमा पार से हिंदुस्तान आए ये टिड्डी दल जहां भी जाते हैं, उस इलाके को वीरान बना देते हैं। लहलहाती फसलों को चट्ट कर जाते हैं। सामने जो कुछ भी हरा-भरा दिखता है, उसका नाम-ओ-निशान तक मिटा देते हैं, इसी खौफ के चलते पंजाब से सटे हरियाणा के खेतों में टिड्डी मिलने से किसान दहशत में हैं। इसकी वजह है राजस्थान में टिड्डी दल की चपेट में आने वाली फसल के हालात देखकर किसान डरा हुआ आलम  यह है कि टिड्डी दिखाई देते ही किसान बनछंटियां लेकर पीछे दौड़ पड़ता है। जब तक वह न मरे, तब तक रुकता नहीं। अब तो हालात यह हैं कि कहीं एक टिड्डी दिखाई दे तो उसे मारकर सोशल मीडिया पर फोटो या वीडियो वायरल कर दी जाती है। जिससे किसानों में भय पैदा हो जाता है।
इसलिए विभाग भी सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रख रहा है। कहीं कोई ऐसी सूचना जारी होती है तो वहां मौका पर पहुंचकर वास्तुस्थिति जानी जाती है। जिला बठिडा से सटे डबवाली के गांव चट्ठा के किसानों का दावा है कि उन्होंने बनछंटियों से टिड्डी दल को मार दिया है। वहीं कृषि विभाग के अनुसार गांव चट्ठा, फुल्लो, देसूजोधा के अतिरिक्त तारुआना, तख्तमल, तिलोकेवाला, खतरावां, पिपली, असीर, जगमालवाली तथा खोखर आदि गांवों में खेतों का निरीक्षण किया गया था। कहीं भी टिड्डी दिखाई नहीं दी है। हरियाणा कृषि विभाग के अधिकारी राजस्थान से इनपुट जुटा रहे हैं। एसडीओ डा. अजय कुमार यादव के अनुसार पड़ोसी सूबे में लगभग टिड्डी दल का सफाया हो चुका है। कहीं इक्का-दुक्का हैं, तो वे हवा के झोंको के साथ रास्ता भटककर हरियाणा या पंजाब के खेतों में चले गए थे, अब तो वे भी खत्म हो गए हैं। निकटवर्ती पंजाब के सेखू गांव के खेतों का दौरा किया गया है, वहां भी टिड्डी नहीं है। एसडीओ अजय कुमार यादव, कृषि विभाग डबवाली का कहना है कि इलाके में कहीं भी टिड्डी दल का प्रकोप नहीं। रिपोर्ट बिल्कुल निल है। मैं चौटाला-भारुखेड़ा इलाके से पांच-छह टिड्डी ले आया था। उनमें से दो मर गई हैं। जबकि तीन-चार जिदा हैं। उन पर परीक्षण चल रहा है। मेरे परीक्षण का केंद्र बिदु यही है कि टिड्डी हमारे मौसम में अनुकूल हैं या नहीं। क्योंकि 1993 के बाद टिड्डी हमारे इलाके में आई है।
आज टिड्डी दिखाई नहीं दी गांव चट्ठा में सबसे पहले टिड्डी दल देखने वाले किसान सुखवीर सिंह उर्फ सुक्खी ने बताया कि आज टिड्डी दिखाई नहीं दी। दूसरे किसान बलकार सिंह ने बताया कि कल टिड्डी दिखी थी, जिसे बनछंटियों से मार दिया था। आज कहीं नजर नहीं आई। कुछ को बगुले खा गए। हो सकता है कि बारिश की बूंदों के कारण टिड्डी आसमान में न उड़ पाई हो। टिड्डी के बारे में अधिक ज्ञान नहीं हैं, राजस्थान के किसानों से ही पता चलता है कि पीले रंग की टिड्डी जमीन के भीतर अंडे देती है। हालांकि अभी पीले रंग की टिड्डी नहीं दिखी है। दरअसल ये टिड्डी दल खाड़ी देशों से चल कर पाकिस्तान पहुंचते हैं और फिर पाकिस्तान के रास्ते भारत पहुंच कर भारी तबाही मचाते हैं।

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