सिरसा जिला में जलघर ठेके पर देने की न सोचें अधिकारी, कहा, टकरा जाएंगे सरकार से : गोबिंद कांडा

डबवाली न्यूज़ डेस्क
जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा जलघरों को ठेके पर दिए जाने के मामले में हलोपा सुप्रीमो एवं विधायक गोपाल कांडा के अनुज गोबिंद कांडा ने गहरा रोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह सरासर गलत कदम है, जिसकी वजह से कर्मचारियों के हितों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारी किन लोगों के दबाव में कार्य कर रहे है, यह पता लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि चहेते लोगों को लाभ पहुंचाने की कोशिश करने वालों के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।कांडा ने कहा कि बिजली व पानी जनता की मूलभूत जरूरत है। लोगों तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाना सरकार की जिम्मेवारी है। लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ सिद्धी के लिए जलघरों को ठेके पर देना चाहते है ताकि अपने लोगों को लाभ पहुंचा सकें। प्रशासन भी ऐसे लोगों के दबाव मे कार्य कर रहा है, जोकि बर्दाश्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सिरसा हलके में जलघरों को ठेके पर देना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि सरकार से इस बारे में लडऩा भी पड़ा तो वे जनता के हितों के लिए टकराएंगे। उन्होंने जिला प्रशाासन को चेतावनी दी कि वे सिरसा हलके में जलघरों को ठेके पर देने की सोच भी न पालें। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपने निजी हितों के लिए जलघरों को ठेके पर देने की सोच पालें हुए है, जिसे कभी भी पूरा नहीं होने दिया जाएगा। हर हाल में जलघरों को ठेके पर देने का विरोध किया जाएगा।
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- कर्मचारी संगठन बजा चुके बिगुल
जलघरों को ठेके पर देने का कर्मचारी संगठन विरोध जता चुके है। कर्मचारी संगठनों ने जलघरों को ठेके पर दिए जाने के रोष स्वरूप धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी, जिसके बाद जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को बैकफुट पर आना पड़ा था। विभागीय अधिकारियों की ओर से जलघरों को ठेके पर न देने का भरोसा दिलाया था, जिसके बाद कर्मचारियों ने प्रदर्शन टाल दिया था। कर्मचारी संगठनों ने जलघरों को ठेके पर देने को कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात बताया था।
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ठेके के लिए शुरू हुआ था सिफारिशों का दौर
जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा जलघरों को ठेके पर देने का कदम उठाते ही सिफारिशों के दौर शुरू हो गए थे। राजनीतिक दखलअंदाजी तेज हो गई। राजनीतिक दलों के कार्यकत्र्ताओं ने अपने आकाओं के माध्यम से जलघरों के ठेके लेने के लिए लॉबिंग शुरू कर दी। जिसकी वजह से मामला उजागर हो गया। प्रदेश में एक बार फिर पर्ची का दौर शुरू हो गया था। लेकिन कर्मचारी संगठनों के विरोध की वजह से इस पर रोक लग गई।
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कांडा के तेवर के मतलब
जलघरों को ठेके पर देने का विरोध जताकर विधायक गोपाल कांडा के अनुज गोबिंद कांडा क्या जताने जा रहे है? यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर किन लोगों की सिफारिश से जलघरों के ठेके दिए जा रहे थे? जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारी किनके दवाब में काम कर रहे थे? किस पार्टी के कार्यकत्र्ताओं अथवा समर्थकों को जलघरों के ठेके दिए गए? गोबिंद कांडा जलघरों को ठेके पर देने का विरोध किसके खिलाफ जता रहे है? क्या वे मनोहर सरकार के खिलाफ विरोध जता रहे है या पब्लिक हेल्थ विभाग के अधिकारियों के खिलाफ? या फिर वे सरकार के इशारे पर सिफारिश करने वालों को चेता रहे है। गोबिंद कांडा की चेतावनी का कोई न कोई गहरा मतलब है? यूं ही गोबिंद कांडा इसे इशु नहीं बनातें। संभवत: 'सरकारÓ के इशारे पर ही उन्होंने मोर्चा खोला है? यानि सरकार से बेहतर तालमेल नजर आने लगे है। यानि सरकार से कांडा की घनिष्ठता सिद्ध होने लगी है।
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