गुरु नानक कॉलेज में "आधुनिकता के दौर में गुरु शिष्य परंपरा" विषय वस्तु हुआ नौवें राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन

डबवाली न्यूज़ डेस्क
आज गुरु नानक कॉलेज किलियांवाली में गुरु तेग बहादुर जी के 400 वर्षीय प्रकाश पर्व को समर्पित वेबीनारों की श्रृंखला में कालेज प्रधानाचार्य डॉ. सुरिन्दर सिंह ठाकुर के कुशल दिशा - निर्देशन में भारतीय शिक्षण मंडल के सहयोग से कालेज आई . क्यू.ए .सी . द्वारा नौवें राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसका विषय वस्तु था- आधुनिकता के दौर में गुरु शिष्य परंपरा ।इस वेबीनार में डॉ अंगद सिंह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारतीय शिक्षण मंडल ने मुख्य अतिथि के तौर पर, डॉ.ओ पी.सिंह सहसचिव भारतीय शिक्षण मंडल ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर, वरिष्ट शिक्षाविद् डॉ. आर . सी . अग्निहोत्री ने बीज वक्ता के तौर पर शिरकत की । गूगल मीट पर चले इस वेबीनार के रिसोर्स पर्सन थे प्रो दविन्द्र सिंह, संयोजक, बी एस एम पंजाब, डॉ . संजीव दुग्गल, सह-संयोजक बी एस एम पंजाब व श्री दयानिधि जी। वेबीनार का आरंभ करते हुए कालेज आई क्यू ए सी कॉर्डिनेटर व वेबीनार संयोजक डॉ. भारत भूषण ने बी एस एम के ध्येय वाक्य- 'राष्ट्रीय पुनः उत्थान के लिए भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा' को उच्चारित करते हुए वेबीनार के टॉपिक पर संक्षिप्त रोशनी डाली। कार्यक्रम के आरंभ में कॉलेज प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मेजर भूपेंद्र सिंह ढिल्लों ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली में गिरावट के कारण आजकल शिक्षा की प्रासंगिकता व आदर दांव पर लग रहा है। कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. सुरिन्दर सिंह ठाकुर ने सभी उपस्थित मेहमानों का स्वागत किया। उन्होंने सरकार द्वारा इस वर्ष मनाए जा रहे गुरु तेग बहादुर जी के 400 वर्षीय प्रकाश पर्व को समर्पित आज के नौवें वेबीनार के बारे में बोलते हुए कहा कि प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में गुरु शिष्य में आपसी आदर व समर्पण भाव था पर आज गुरु केवल शिक्षक बन कर रह गया है व वह केवल बच्चों को किताबी ज्ञान देने तक सीमित हो गया है, विद्यार्थी भी इससे अपना भौतिक व आर्थिक विकास तो चाहे कर पाता है पर आध्यात्मिक ज्ञान से वंचित रह जाता है। संयोजक बी . एस . एम .प्रो . दविन्द्र सिंह ने उपस्थित महानुभावों का परिचय सभी के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने इस बात पर चिंता प्रकट की कि आज के कॉरपोरेट जगत में हमारी स्थापित भारतीय शिक्षा पद्धति कहीं खो गई है,1969 से स्थापित हमारी बी एस एम पिछले कई दशकों से इसकी विकृतियां दूर करने में लगी है। हमने अपने आपमें खुद को ही ढूंढना है।
कुंजीवत वक्ता डॉ. आर सी अग्निहोत्री ने अपने वक्तव्य का आरंभ करते हुए भारतीय शिक्षा के ऐतिहासिक परिदृश्य, वैदिक कालीन गुरुकुल शिक्षा पद्धति, वर्तमान गुरु शिष्य परंपरा व इसके पुनः स्थापन के पक्षों को विस्तारपूर्वक छुआ। हमारी शिक्षा पद्धति अनादिकाल से एक कल्प - वृक्ष के समान फलदायी, स्थापित व प्रचलित रही जिसके कारण तक्षशिला व नालंदा जैसे हमारे पुरातन शिक्षा संस्थानों में समस्त विश्व से विद्यार्थी पढने के लिए आते थे । वैदिक काल से महाभारत काल तक यह विकसित व प्रचलित रही पर तत्पश्चात इसका खंडन शुरु हो गया । 1835 में लार्ड मैकाले की शिक्षा प्रणाली ने इसे पूरी तरह ध्वस्त कर दिया क्यों कि इसके बिना वे हमारे देश पर दीर्घकालिक शासन स्थापित नहीं कर सकते थे । इसने विद्या को शिक्षा में बदल दिया एवं इससे आध्यात्मिक व मानव निर्माण पक्ष लुप्त होता गया । शिक्षण -प्रशिक्षण तो पशुओं को भी दिया जा सकता है परंतु मानव विद्या के बिना पशु समान ही है ।विद्यार्थी पहले शिष्य हुआ करते थे अब छात्र बनकर रह गए हैं । गुरु शिष्य के बीच जो समर्पण, श्रद्धा और प्रेम संबंध थे उनका लगातार ह्मास हो रहा है ।आज शिक्षा का बाजारीकरण हो चुका है एवं गूगल गुरु बन गया है, इसलिए भारतीय शिक्षा की प्राचीन पद्धति को पुनः जागृत करने की जरूरत है ।
सह महासचिव श्री ओपी सिंह ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि संगीत और नृत्य में तो आज भी भारत की महान व समृद्ध गुरु शिष्य परंपरा की झलक देखने को मिलती है ।
गुरु के सानिध्य में ही शिष्य का सर्वांगीण विकास हो सकता है,इसलिए इस मेरुदंड को पुनः स्थापित करने की जरूरत है । राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ अंगद सिंह ने मैकाले के षड्यंत्र पर रोशनी डालते हुए जोर देकर कहा कि पुराने समय में भी हम अपनी समृद्ध शिक्षा प्रणाली के कारण ही विश्व गुरु थे और भविष्य में भी इसी के कारण जगतगुरु दोबारा बनेंगे । सह संयोजक श्री संजीव दुग्गल ने बताया कि व्यास पूजा के जरिए बीएसएम ने गुरु शिष्य परंपरा को दोबारा स्थापित करने का सफल प्रयास किया है । 40 मुक्तों की धरती श्री मुक्तसर साहिब में स्थापित गुरु नानक के नाम का यह कॉलेज इस प्रयोजन के लिए साधुवाद का पात्र है ।अंग्रेजों को गए अब 7 दशक से अधिक हो गए हैं, हमें अपनी गुरुकुल शिक्षा पद्धति को कारगर बनाने के लिए स्वयं प्रयास करने होंगे ।
इसके पश्चात कॉलेज प्रबंधन समिति के सचिव श्री नीरज जिंदल ने विचार प्रकट करते हुए कहा कि गुरु शिष्य संबंध पर आंकलन करना वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है ।तत्पश्चात आज के वेबीनार के अंत में कालेज आई.क्यू.ए.सी. कार्डिनेटर डॉ. भारत भूषण ने उपस्थित हुए सभी अतिथियों का तहेदिल से धन्यवाद किया। तत्पश्चात डॉ. पायल सिंगला द्वारा शांति पाठ करके कार्यक्रम का विधिवत समापन किया गया। इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए आयोजन समिति ने तकनीकी सहयोग के लिए टैक्निकल टीम सदस्यों का विशेष तौर पर धन्यवाद किया । इस राष्ट्रीय वेबीनार में लगभग 437 प्रतिभागियों ने गूगल मीट व फेसबुक लाईव के जरिए हिस्सा लिया।
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