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गुरु नानक कॉलेज में ऑनलाइन कक्षाओं में विद्यार्थियों की शामूलियत : चुनौतियां व अवसर विषय पर हुआ वेबीनार का आयोजन


डबवाली न्यूज़ डेस्क
गुरु तेग बहादुर जी के 400 वर्षीय प्रकाशपर्व को समर्पित वेबीनारों की श्रृंखला में आज गुरु नानक कॉलेज किलियांवाली द्वारा कालेज प्रधानाचार्य डॉ. सुरिन्दर सिंह ठाकुर के कुशल दिशा - निर्देशन में कालेज आई . क्यू.ए .सी . के सहयोग से आठवें राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसका विषय वस्तु था- ऑनलाइन कक्षाओं में विद्यार्थियों की शामूलियत : चुनौतियां व अवसर । इस वेबीनार में डॉ आर .एस . झांजी, प्रिंसिपल ए . एस . कालेज, खन्ना ने मुख्य अतिथि, डॉ.दिनेश शर्मा,प्रिंसिपल आरएसडी कॉलेज,फिरोजपुर ने विशिष्ट अतिथि, डॉ जसपाल सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर जीजीडीएसडी कॉलेज हरियाना, होशियारपुर ने कुंजीवत्त वक्ता के तौर पर शिरकत की । गूगल मीट पर चले इस वेबीनार के रिसोर्स पर्सन थे डॉ पूजा वशिष्ठ, एसोसिएट प्रोफेसर, डीएवी कॉलेज होशियारपुर एवं डॉ. भारती सेठी, एसोसिएट प्रोफेसर, गवर्नमेंट कॉलेज होशियारपुर।वेबीनार का आरंभ करते हुए अंग्रेजी विभाग के मैडम गैलेक्सी गुप्ता ने आज के कार्यक्रम के कुंजीवत वक्ता और रिसोर्स पर्सन का परिचय सभी के सामने प्रस्तुत किया । वेबीनार संयोजक मैडम सुरिन्द्र कपिला ने वेबीनार के टॉपिक पर संक्षिप्त रोशनी डाली। कार्यक्रम के आरंभ में कॉलेज प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मेजर भूपेंद्र सिंह ढिल्लों ने कहा कि कोविड-19 ने हमें शिक्षा की एक नई प्रवृत्ति की तरफ से आवृत्त कर दिया है । कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. सुरिन्दर सिंह ठाकुर ने सभी उपस्थित मेहमानों का स्वागत किया। उन्होंने सरकार द्वारा इस वर्ष मनाए जा रहे गुरु तेग बहादुर जी के 400 वर्षीय प्रकाश पर्व को समर्पित आज के आठवें वेबीनार के बारे में बोलते हुए कहा कि कोविड महामारी हमारी प्रचलित शिक्षा प्रणाली के लिए नई तरह के अवसर और चुनौतियां लेकर आई है।विगत दिवस 14 जुलाई को हमारी एचआरडी मिनिस्ट्री ने भी ऑनलाइन स्टडी के बारे में नई गाइडलाइंस जारी की हैं।मुख्य अतिथि डॉ. झांजी ने अपने वक्तव्य में कहा कि कोविड-19 की स्थिति ने हमें एकदम नई स्थिति में ला खड़ा किया है । ई -एजुकेशन आज नए ट्रेंड के तौर पर हमारे सामने है ।यह नौजवान पीढ़ी को पसंद भी है और इसकी लागत भी कम पड़ती है । हमें वर्तमान समय की नजाकत को देखते हुए अपनी शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए इसे अपनाना ही होगा ।विशिष्ट अतिथि डॉ दिनेश शर्मा नेअपने तर्क देते हुए कहा कि शिक्षा की प्रचलित चॉक और टॉक की पुरातन विधि को इस ऑनलाइन शिक्षा ने एक नई चुनौती पेश कर दी है। क्योंकि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है इसलिए हमें इस उत्पन्न हुई चुनौती को सकारात्मक अवसर के रूप में लेना होगा ।कुंजीवत वक्ता डॉ. जसपाल सिंह ने अपने वक्तव्य के आंकडों पर आधारित प्रस्तुति देते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण क्लासरूम शिक्षा सारी दुनिया में लगभग ठप्प होकर रह गई है ।ऑनलाइन शिक्षा का प्रचलन बहुत बढ़ गया है । हमारी एमएचआरडी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले 4 महीनों में ई - कंटेंट की सर्च इंटरनेट पर 5 गुना बढ़ गई है ।सरकार ने भी स्वयंप्रभा, नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी, ई -ज्ञान कोर्स, दीक्षा, ज्ञान वाणी, ई - पाठशाला, ई -शोधसिंधु जैसे प्लेटफार्म विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए उपलब्ध कराए हैं और दूसरी तरफ हमारे सामने बाईजूज़,अनअकैडमी, वेदान्तु जैसे प्राइवेट प्लेयर भी ऑनलाइन शिक्षा के प्लेटफार्म के रूप में उभर कर सामने आए हैं। भारत में हमारे लिए मुख्य दिक्कत है डिजिटल डिवाइड । हमारे बहुत सारे विद्यार्थी जो कि ग्रामीण अंचल से हैं और गरीब श्रेणी से संबंध रखते हैं,उनके पास स्मार्टफोन, इंटरनेट एक्सेस नहीं है इसलिए उनको रातों-रात ऑनलाइन कक्षाओं की तरफ आवृत्त करना एक बहुत बड़ी चुनौती है ।शिक्षकों को भी इसके लिए अभी ट्रेनिंग देने की जरूरत है। उन्होंने डाटा प्राइवेसी,अधिकतर मटेरियल का अंग्रेजी में होना,विज्ञान जैसे विषयों की प्रैक्टिकल पार्ट का ऑनलाइन न कराया जा पाना और बच्चों को आ रही मनोवैज्ञानिक समस्याओं आदि पर विस्तृत चर्चा की एवं इनके समाधान के लिए अपने सुझाव भी प्रस्तुत किए ।रिसोर्स पर्सन डॉ.पूजा वशिष्ठ ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि चाहे वर्तमान परिस्थितियां हमें ऑनलाइन शिक्षा की तरफ प्रवृत्त कर रही हैं,परंतु यह उस प्रचलित शिक्षा विधा की जगह नहीं ले सकती जिसमें विद्यार्थी शिक्षक के सामने क्लास में बैठा है,उन दोनों के बीच एक भावनात्मक संबंध है, विद्यार्थी अपनी बातें क्लास में एक दूसरे के साथ शेयर करते हैं, अनुशासन में रहते हैं, उनमें सकारात्मक प्रतियोगिता होती है,अध्यापक भी उन पर पूरी नजर रखता है और उनके हाव -भाव का लगातार विश्लेषण करते हुए अपनी पढ़ाने की विधि बदलता रहता है। इस मानवीय संवेदना की ऑनलाइन शिक्षा में कमी काफी खटकती है। परंतु यदि वर्तमान परिस्थिति ने हमारे सामने चुनौती पेश की ही है तो हमें उसके सामने डट कर खड़े होना होगा और शिक्षक को अपने आपको ऑनलाइन कक्षाओं के लिए अपग्रेड करना होगा।दूसरी रिसोर्स पर्सन डॉ. भारती सेठी ने कहा कि प्रत्येक कठिनाई हमारे सामने नए अवसरों का द्वार खोलती है इसलिए हमें अपने पुरातन विचारों एवं विधाओं की चारदीवारी से बाहर आते हुए नए विचारों और विधाओं को अपनाना होगा ।ऑनलाइन शिक्षा में बच्चे का हॉस्टल का, आने - जाने का, बाहर खाने -पीने का, एजुकेशन लोन का काफी खर्च बच जाता है ।जो बड़ी उम्र के लोग शर्म एवं झिझक के मारे क्लासरूम शिक्षा नहीं लेना चाहते,उनके लिए भी यह सुविधाजनक है। इन ऑनलाइन कक्षाओं में कोई भेदभाव नहीं एवं कक्षा बंक करने वालों के लिए भी इसमें कोई जगह नहीं,हर एक की गुप्तता बनी रहती है परंतु इन सारे लाभों के बावजूद भी विद्यार्थी की लिखने की आदत का कमजोर होते जाना, ग्रामर और प्रैक्टिकल पार्ट की कमी होते जाना,स्कूल और कॉलेज में उपलब्ध लाइब्रेरी लैब्स और रीडिंग रूम के लाभ से वंचित होना,कंप्यूटर, हाईटेक गैजेट और इंटरनेट पर बढ़ता खर्च, और इसके जरिए की गई पढ़ाई की मान्यता आदि इसकी बहुत सारी कमियां भी हैं। इसके पश्चात कॉलेज प्रबंधन समिति के सचिव श्री नीरज जिंदल ने विचार प्रकट करते हुए कहा कि चाहे प्रचलन आनलाईन शिक्षा का बढ़ता जा रहा है परंतु यह क्लासरूम शिक्षा का विकल्प नहीं बन सकती, यह केवल उसके सहायक के तौर पर चल सकती है । समस्त व्याख्यानों के पश्चात कुंजीवत्त वक्ता डॉ जसपाल ने बड़ी संजीदगी से प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं को भी शांत किया । तत्पश्चात आज के वेबीनार के अंत में कालेज आई.क्यू.ए.सी. कार्डिनेटर डॉ. भारत भूषण ने उपस्थित हुए सभी अतिथियों का तहेदिल से धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए आयोजन समिति ने तकनीकी सहयोग के लिए टैक्निकल टीम के सदस्यों का विशेष तौर पर धन्यवाद किया । इस राष्ट्रीय वेबीनार में लगभग 397 प्रतिभागियों ने गूगल मीट व फेसबुक लाईव के जरिए हिस्सा लिया।

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