कोविड-19 अस्पताल से पॉजिटिव मरीज हुआ गायब, सोए रहें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, पांच घंटे बाद परिजनों ने तलाशा


डबवाली न्यूज़ डेस्क(इंदरजीत अधिकारी की स्पेशल रिपोर्ट )
कोरोना को लेकर कोविड-19 अस्पताल बनाए गए नागरिक अस्पताल की कार्यप्रणाली पर अनेक बार सवालिया निशान लगे है। कभी मरीजों के सैंपल लेने के बाद उन्हें खुला छोडऩे को लेकर और कभी मरीजों को निम्र दर्जे का भोजन-पानी देने को लेकर। ताजा घटनाक्रम में शुक्रवार रात्रि 9 बजे एक पॉजिटिव मरीज ही लापता हो गया। मरीज के परिजन रातभर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के दरवाजे पीटते रहें, अधिकारी मस्ती में सोते रहें। पांच घंटे बाद लापता हुए वृद्ध मरीज को ढूंढा जा सका। मरीज के लापता होने से कोविड-19 अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था का भी भंडाफोड़ हो गया है। गांव दड़बी निवासी ने बताया कि 23 जुलाई को उसके पिता की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर कोविड-19 अस्पताल में दाखिल करवाया गया था। उनकी उम्र लगभग 65-70 वर्ष है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से 24 जुलाई शुक्रवार रात्रि 9 बजे उन्हें फोन करके सूचना दी गई कि उनका मरीज अस्पताल से भाग गया है। इस आशय की सूचना और आशंका के भय से वे अपने परिजनों के साथ रात्रि साढ़े 9 बजे अस्पताल पहुंचें। उन्होंने बताया कि अस्पताल कर्मियों ने बताया कि रात्रि में मरीज को सिटी स्कैन के लिए ले गए थे, इस दौरान मरीज चकमा देकर फरार हो गया। 

मरीज के पुत्र ने बताया कि इस सूचना के बाद उन्होंने अपने बुजुर्ग को तलाशने की कोशिश की। इस बारे एसएमओ, सीएमओ व अन्य के दरवाजे खटखटाए, मदद के लिए चीखे-चिल्लाए लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने अस्पताल के सीसीटीवी कैमरों में रिकार्डिंग देखने की कोशिश की तो इस बारे डाक्टर की अनुमति मांगी गई। अनुमति मांगने पर आपरेटर ही नहीं मिला, जिसे डाक्टर ड्यूटी पर बता रहे थे, वह एसी रूम में सो रहा था। काफी प्रयास के बाद वह सीट पर आया और ढाई घंटे तक कम्प्यूटर के लिए माऊस ही ढूंढता रहा। सीसीटीवी कैमरे में उनका बुजुर्ग सिटी स्कैन के पास खड़ा दिखाई अवश्य दिया, मगर उसके बाद यह नदारद हो गया। इस बारे में पुलिस को भी सूचित किया गया। परिजनों ने रोष जताते हुए बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से उन्हें किसी प्रकार का कोई सहयोग नहीं मिला। कोरोना मरीज के मामले में ही विभाग की ढिलाई सामने आई है कि किस प्रकार एक मरीज बाहर निकल जाता है? आखिर विभाग का स्टॉफ कहां था? कैसे एक सीनियर सिटीजन की देखरेख की जाती है? पॉजिटिव मरीज के साथ उसका परिजन नहीं रह सकता, ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की ही जिम्मेवारी बनती है। जबकि इस बुजुर्ग के गायब होने के मामले में विभागीय अधिकारी लापरवाह बनें रहें। आखिरकार पांच घंटे की तलाश के बाद बुजुर्ग को रात्रि 2 बजे अस्पताल परिसर में दुबका हुआ पाया गया।

क्या हुआ घटनाक्रम

दरअसल, कोविड-19 अस्पताल में औपचारिकताओं का खेल खेला जा रहा है। बुजुर्ग को रात्रि में सिटी स्कैन के लिए अवश्य ले जाया गया, लेकिन सिटी स्कैन करने वाला पीपीई किट पहनने की बात कहकर आधे घंटे तक नहीं लौटा। ऐसे में व्योवृद्ध मरीज हताश और परेशान होकर उस एरिया से सरक गया। उस व्योवृद्ध मरीज के साथ स्टॉफ का कोई सदस्य नहीं था। जबकि सीनियर सिटीजन को एक सहायक की हर समय आवश्यकता होती है। इसके साथ ही अस्पताल की सिक्योरटी भी प्राइवेट हाथों में सौंपी गई है। किसी को भी उसके आने-जाने से कोई मतलब नहीं था। इसके साथ ही अस्पताल में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों की सच्चाई भी सामने आ गई, जोकि यह तक ज्ञात नहीं कर सकें कि आखिर मरीज गया कहां?


खुलासा करने वाले पर करवाया था मामला दर्ज


कोविड-19 महामारी एक्ट का सहारा लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा दमन करने की भी कोशिश की गई है। आइसोलेशन वार्ड में दाखिल एक ग्रामीण द्वारा अपने मित्र को कोविड अस्पताल की अव्यवस्था की पोल खोली गई थी। जिसका ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसमें उसने खाने-पीने और अन्य व्यवस्थाओं पर चोट की थी। विभाग ने अपनी खामियों को छिपाने के लिए उस युवक के खिलाफ ही मामला दर्ज करवा दिया था।

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