डबवाली तहसीलदार द्वारा रजिस्ट्री की एवज में घूस मांगने का मामला,सीएम विंडो को बनाया फुटबाल


डबवाली न्यूज़ डेस्क
प्रदेशवासियों को 25 दिसंबर 2014 को मिली सीएम विंडो की सौगात को अधिकारियों ने फुटबाल बना डाला है। जनता ने जो उम्मीद जताई थी, वह उम्मीद अब धाराशाही होने लगी है।
उम्मीद जताई थी कि इस माध्यम से आमजन की सुनवाई होगी और शासन में पारदर्शिता आएगी। लेकिन अधिकारियों ने इस माध्यम को भी भोथरा कर डाला है। सीएम विंडो पर डाली गई शिकायतों का वर्षों तक निपटारा तक नहीं किया जाता। अचरज की बात यह है कि शिकायत को एक कार्यालय से दूसरेकार्यालय की ओर फुटबाल की भांति भेज दिया जाता है। डबवाली के तत्कालीन तहसीलदार राजेंद्र प्रसाद (रिटायर्ड डीआरओ) के खिलाफ जनवरी-2019 यानि 20 माह में दाखिल की गई शिकायत आज तक निपटाई नहीं गई है। अचरज की बात यह है कि सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) द्वारा शिकायत को डीसी सिरसा को प्रेषित कर दिया जाता है। जबकि तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त द्वारा की जानी है।
गांव दिवानखेड़ा के व्हीस्ल ब्लोअर सुरेश कुमार पुत्र भगवानदास द्वारा जनवरी-2019 में सीएम विंडो पर शिकायत की गई थी। पिछले वर्ष 22 जनवरी को गांव देसूजोधा के एक किसान से रजिस्ट्री की एवज में 2500 रुपये की मांग की गई थी। तत्कालीन तहसीलदार राजेंद्र प्रसाद (जिला राजस्व अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद अनुबंध पर कार्यरत) ने कागजों में कमी बताकर रजिस्ट्री से इंकार कर दिया गया था, लेकिन जब रिश्वत का सौदा तय हुआ तो बिना दस्तावेज ही रजिस्ट्री कर दी गई। इस मामले में किसानों ने तहसील कार्यालय का घेराव भी किया था। इस मामले की जांच का जिम्मा डबवाली के एसडीएम को सौंपा गया। एसडीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में तहसीलदार द्वारा रिश्वत मांगे जाने की संभावना से इंकार न करने की रिपोर्ट सौंपी। मामले में तहसीलदार राजेंद्र प्रसाद (रिटायर्ड डीआरओ)को दोषी करार दिया गया और उसके खिलाफ हरियाणा सिविल सेवाएं (दंड एवं अपील) नियम-2016 के तहत अनुशासनिक कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई। लेकिन तहसीलदार राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। बीती 5 अगस्त को डीसी ऑफिस की ओर से मामले की एटीआर सीएम कार्यालय को भेज दी गई। जिसके अनुसार तत्कालीन तहसीलदार राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ कार्रवाई अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त द्वारा की जानी है। मगर, 6 अगस्त को सीएम ऑफिस की ओर से मामला फिर से डीसी ऑफिस सिरसा भेज दिया गया है। यानि पिछले 20 माह से सीएम विंडो पर दाखिल की गई शिकायत फुटबाल बनकर कभी इधर और कभी उधर भेजी जा रही है। ऐसे में जनहित के मुद्दे सामने लाने वालों को निराशा का सामना करना पड़ता है। प्रशासनिक कार्यशैली में पारदर्शिता न होने से सरकार को जनता को अपेक्षित स्पोर्ट भी नहीं मिलता।

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