'एक शाम रफी के नाम' कोरोना संक्रमण के चलते सुर सम्राट मोहम्मद रफी को सादगी से किया याद


डबवाली न्यूज़ डेस्क
 कोरोना संक्रमण के चलते सुर सम्राट मोहम्मद रफी की पुण्यातिथि पर मोहम्मद रफी यादगार मंच के तत्वाधान में 'एक शाम रफी के नामÓ कार्यक्रम बिना सांऊड सिस्टम व सादगी के साथ आयोजित किया। इस अवसर पर शहर के प्रमुख समाजसेवी अशोक वधवा (पम्मी ) ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष ज्योति प्रवज्जवलित की तो वहीं पत्रकार फतेह सिंह आजाद, वासदेव मेहता, नरेश अरोड़ा, प्रोपर्टी डीलर अशोक ग्रोवर सहित अन्य ने मोहम्मद रफी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धाजंली देते हुए कार्यक्रम का आगाज किया। मंच संचालन विश्व विख्यात कोरियोग्राफर संजीव शाद ने शानदार ढ़ंग से किया। सर्वप्रथम रेणू गर्ग ने 'सुख के सब साथी, दुख में न कोय, मेरे रामÓ रफी साहब की स्वरलहरियों को गति दी। उसके बाद उभरती हुई गायिका वंदना वाणी 'तुम मुझे यूं भुला न पाओगे, जब भी सुनोगे गीत मेंरे, मेरे संग-संग ही गुण गुणाओगेÓ गीत को स्वर ध्वनियों में गाकर मोहम्मद रफी की याद को और भी अमृतत्व प्रदान कर दिया और श्रोताओं को भी साथ में गुणगुणाने को मजबूर कर दिया। इसके बाद जसजीत ने 'बाहरो फूल बरसाओ की तरंगों से रसभार किया, रघुवीर सिंह किलियांवाली ने 'प्रदेसीयों से न अखिंया मिलानाÓ गीत के सुरों को बिखेरकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुरेन्द्र कुमार (टीटा) ने 'ये दुनियां नहीं जागीर किसी की तो राजकुमार ने 'आया रे खिलौने वालाÓ गाकर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया तो वहीं शहर की प्रमुख गायिका रजनी मोंगा ने 'अपनी आंखों में बसाकर कोई इकरार करूंÓ गीत को तरूणम देकर वातावरण में संगीत लहरियां को उफान पर ला दिया। इसके बाद रफी के चाहने वालों ने एक के बाद एक रफी द्वारा गाये गीतों से माहौल को पूरी तरह रफीमय कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।

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