कोरोना मरीज को लेकर मानसा व सिरसा प्रशासन की हुई कसरत,पंजाब की रहने वाली गर्भवती अपने मायके रोड़ी आई थी, ससुराल लौटी


डबवाली न्यूज़ डेस्क
(इंदरजीत अधिकारी) कोरोना मरीज को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की दौड़धूप भी जारी है। मरीज का फालोअप किया जाता है।टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर मरीज को आइसोलेशन वार्ड में दाखिल करवाने के लिए मशक्कत की जाती है। ऐसे ही एक मामले में मानसा जिला प्रशासन ने उपायुक्त कार्यालय सिरसा को एक कोरोना मरीज सिरसा जिला के रोड़ी गांव में रहने की सूचना दी। जिस पर प्रशासन की टीम गांव रोड़ी पहुंचीं। तब पता चला कि मरीज सिरसा से अपने गांव पंजाब लौट चुकी है। जानकारी के अनुसार गांव रोड़ी निवासी एक व्यक्ति की पुत्री पंजाब के गांव लहरा मोहब्बत में शादीशुदा है और बठिंडा जिला के गांव भूंदर में अपने मामा ससुर के पास रहती है। इस महिला का ख्यालीकलां में कोरोना टेस्ट किया गया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जब मानसा प्रशासन ने इसकी तलाश की तो यह महिला अपने निवास पर नहीं मिलीं। परिजनों से पूछताछ करने पर पता चला कि महिला सिरसा जिला के गांव रोड़ी में अपने मायके गई है। इस सूचना के बाद उपायुक्त कार्यालय मानसा की ओर से उपायुक्त कार्यालय सिरसा को पत्र द्वारा इस आशय की सूचना दी गई। उपायुक्त ने इस बारे में सिविल सर्जन को निर्देश दिए कि कोरोना मरीज को कोविड-अस्पताल में दाखिल किया जाए। जब पीएचसी रोड़ी के प्रभारी की अगुवाई में टीम बुधवार को उक्त महिला के घर पहुंची तो बताया गया कि वह मंगलवार को ही अपने पति के साथ लहरा मोहब्बत जा चुकी है। मरीज 9 माह की गर्भवती बताई गई है। अब जिला प्रशासन की ओर से इस मरीज बारे मानसा प्रशासन को अवगत करवाया जाएगा।
सुरक्षा में चूक : फिर भेदा गया अस्पताल का सुरक्षा चक्र
स्वास्थ्य विभाग लीपापोती तक सिमटा, किसी की तय नहीं की जाती जिम्मेवारी

एक सप्ताह पूर्व रात्रि में एक वृद्ध के कोविड-19 अस्पताल (नागरिक अस्पताल) से नदारद होने के मामले ने ही अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी थी। मगर, अस्पताल प्रशासन की ओर से इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया। न ही किसी की जिम्मेवारी तय की और न ही सुरक्षा व्यवस्था को चौकस किया। परिणाम स्वरूप कोरोना पॉजिटिव मरीज अस्पताल से फरार हो गया। अस्पताल प्रशासन उस मरीज को तलाशता रहा और आखिरकार उसे कई घंटे के बाद घर में ही पाया। क्या किया अस्पताल प्रशासन ने? आखिर अस्पताल के सुरक्षा कर्मी कहां थे? कैसे एक मरीज अस्पताल से गायब हो गया? क्या कोरोना मरीज को यूं ही जाने देना अन्य को खतरे में डालने के समान नहीं है? इस पर भी स्वास्थ्य विभाग ने उस मरीज को होम क्वारंटिन करके अपनी फजीहत को छिपाने की कोशिश की है। वर्णनीय है कि कुछ दिन पहले गांव दड़बी के कोरोना मरीज को रात्रि में सीटी स्कैन के लिए ले जाया गया। उसे अकेले ही कई देर तक वहां छोड़ दिया गया। वृद्ध मरीज वहां से गायब हो गया। अस्पताल प्रशासन उसे खोजने में नाकाम रहा और परिजनों को इस बारे में सूचित किया। गांव से आए परिजनों ने अपने परिजन को तलाशा, जिसमें स्वास्थ्य विभाग ने कोई मदद नहीं की। आखिर पांच घंटे बाद इस वृद्ध मरीज को तलाशा जा सका। ऐसे में सवाल यह है कि कोविड-19 अस्पताल की कैसी सुरक्षा व्यवस्था है? सामान्य मरीज का भी लापता होना बड़ी लापरवाही है, ऐसे में कोरोना मरीज को गायब हो जाना, दूसरों की जान को जोखिम में डालने वाला कृत्य है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना जरूरी है। अन्यथा कोरोना मरीजों की सुरक्षा को लेकर इसी प्रकार की लापरवाही का खेल यूं ही चलता रहेगा।





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क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई