कस्टम मिलिंग की गलत पॉलिसी के कारण हरियाणा के सभी राईस मिलर होंगे लामबंद : सेठी

डबवाली न्यूज़ डेस्क
डबवाली राईस मिलर ऐसोसिएशन के प्रधान जितेन्द्र जीतू सेठी ने सोमवार को जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा कि सरकार की कस्टम मिलिंग की गलत पॉलिसी के कारण हरियाणा के सभी राईस मिलर लामबंद हो गए हैं। वर्ष 2020-21 की धान खरीद व कस्टम मिलिंग की पॉलिसी को लेकर प्रदेश के मिलरो ने हाथ खड़े कर दिए हैं। 10 सितंबर को कस्टम मिलिंग का कार्य करने के लिए रजिस्टे्रशन की अंतिम तिथि थी, परंतु किसी भी मिलर ने रजिस्टे्रशन नहीं करवाया तथा ना ही इस कार्य में अपनी रूचि दिखाई। उन्होंने कहा कि गत वर्ष फिजिकल वेरिफिकेशन के नाम पर मिलरों का जमकर उत्पीडऩ किया गया। उन्होंने कहा कि 4 बार वेरिफिकेशन में भ्रष्टाचार का नंगा नाच हुआ। व्यापारी वर्ग को अपराधी वर्ग को बराबर खड़ा कर दिया गया। राईस मिलों के गेटों पर पुलिस की तैनाती कर दी गई और स्वयं मुख्यमंत्री व उप-मुख्यमंत्री द्वारा 2 प्रतिशत की छूट का वायदा करने के बावजूद 1-1 किलो के पैसे जबरन लिए गए। लगभग 100 करोड़ रुपये की जबरन रिकवरी की गई, जोकि 20 साल के कस्टम मिलिंग के इतिहास में पहली बार हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी के चलते लॉकडाऊन के दौरान सरकार ने चावल की डिलीवरी बंद कर दी, राईस मिलों की लेबर भी भगा दी और बाद में मिलर को ही दोषी मानते हुए होल्ंिडग चार्जेस के नाम पर करोड़ों रुपये काट लिए गए। उन्होंने बताया कि इस बार कस्टम मिलिंग का कार्य करने वालों के लिए नियम इतने कड़े कर दिए गए हैं कि उन्हें पूरा करना किसी भी राईस मिलर के बस की बात नहीं और जो धान मिलिंग के लिए अलॉट किया जाएगा उतनी प्रॉपर्टी गिरवी रखी जाएगी। इतना ही नहीं सिक्योरिटी राशि भी 5 गुणा बढ़ा दी गई है और रजिस्टे्रशन का कार्य जिला मुख्यालय ये प्रदेश मुख्यालय यानि कि चंडीगढ़ में कर दिया गया है। सरकार द्वारा 50 प्रतिशत बारदाना दिया जाता था। अब 100 प्रतिशत बारदान मिलर द्वारा लगाया जाएगा। हर 15 दिनों में फिजिकल वेरिफिकेशन होगी। धान कम पाए जाने पर एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि मिलरों को इस पॉलिसी से भारी भ्रष्टाचार होने का खत्तरा है। ऐसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि हमारे मिलिंग के पिछले साल के बिल जोकि हमें मिलिंग का कार्य समाप्त होने के एक महीने बाद तक भी नहीं मिले हैं और जिसे लेने के लिए मिलर दर-दर भटक रहा है और कार्यालयों के चक्कर काट रहा है परंतु फिर भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। प्रत्येक एजेंसी अपने कानून बनाकर मिलर को परेशान करने पर तुली हुई है पर मिलर को अभी तक मिलिंग के बिल नहीं मिल पाए हैं। सरकार की इन शर्तों पर मिलिंग का कार्य संभव नहीं है। राईस मिलर कोरोना के कारण पहले ही टूट गया है और ऐसे में सरकार सहायता करने की बजाए मिलरों को मारने पर तुल गई है और अधिकारी राईस मिलर के साथ ज्यादती करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
Source-Press Release
No comments:
Post a Comment