कराधान विभाग के अधिकारियों को बचाने की कौन कर रहा है कोशिश,पुलिस अधीक्षक को चकमा देने का प्रयास!
डबवाली न्यूज़ डेस्क
फर्जी फर्मों के गिरोह का नेस्तनाबूत करने के पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह के प्रयासों को उनके मातहत अधिकारी ही नाकाम करने की कोशिश कर रहे है।
श्री सिंह द्वारा मामले में संज्ञान लेते हुए डेढ़ दर्जन से अधिक फर्मों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। उन्होंने मामले की तह तक जाकर आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए अपने स्तर पर एसआईटी (विशेष जांच टीम) का भी गठन किया। उन्होंने अपने इरादे स्पष्ट भी कर दिए। मगर, कराधान विभाग के आधा दर्जन अधिकारियों के नाम सामने आने के बावजूद सिविल लाइन थाना में महज चार अधिकारियों के खिलाफ ही मामला दर्ज किया गया। जबकि दो अधिकारियों के नाम एफआईआर में शामिल ही नहीं किए गए। यानि जब पुलिस की एफआईआर में अधिकारियों का नाम ही शुमार नहीं होगा, तब एसआईटी क्या करेगी? एसआईटी तो मामले में नामजद अधिकारियों की ही जांच करेगी? बड़ी चतुराई से यह खेल खेला गया है? किन अधिकारियों ने यह खेल खेला, यह तो पुलिस अधीक्षक ही पता लगा सकेंगे? वैसे यह पुलिस अधीक्षक को चकमा देने वाली स्थिति पैदा हुई है।
वर्णनीय है कि कराधान आयुक्त हरियाणा ने 22 नवंबर 2019 को पत्र क्रमांक 3080 के माध्यम से आबकारी एवं कराधान विभाग सिरसा के तत्कालीन ईटीओ डीपी बैनीवाल, अनिल मलिक, मालाराम, अशोक सुखीजा, एईटीओ ओपीएस अहलावत, हनुमान सैनी टीआई के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के आदेश दिए थे। लगभग 11 माह तक मामले की फाइल कराधान विभाग और पुलिस महकमे में कहीं झूलती रहीं। पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह के संज्ञान में मामला आते ही उनकी ओर से कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।
जानकारी के अनुसार कराधान विभाग की ओर से पुलिस में मामला दर्ज करवाने के लिए दो ड्राफ्ट पुलिस को भेजे गए। जिसमें एक ड्राफ्ट में मैसर्ज श्री ट्रेडिंग कंपनी का उल्लेख करते हुए चार अधिकारियों ईटीओ डीपी बैनीवाल, ईटीओ मालाराम, ईटीओ अशोक सुखीजा, एईटीओ ओपीएस अहलावत के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए कहा है। जबकि दूसरे ड्राफ्ट में मैसर्ज विनय ट्रेडर्स का उल्लेख करते हुए छह अधिकारियों ईटीओ डीपी बैनीवाल, ईटीओ अनिल मलिक, ईटीओ मालाराम, अशोक सुखीजा, एईटीओ ओपीएस अहलावत, हनुमान सैनी टीआई के खिलाफ मामला दर्ज करने का आग्रह किया है।
सिविल लाइन सिरसा पुलिस ने 28 अक्टूबर को केवल चार अधिकारियों ईटीओ डीपी बैनीवाल, मालाराम, अशोक सुखीजा, एईटीओ ओपीएस अहलावत के ही खिलाफ मामला दर्ज किया है। जबकि ईटीओ अनिल मलिक और टीआई हनुमान सैनी के नाम का जिक्र तक नहीं किया गया है। अचरज की बात तो यह है कि जिस ड्राफ्ट में चार अधिकारियों का उल्लेख किया गया है, उसमें केवल मैसर्ज श्री ट्रेडिंग कंपनी का जिक्र है। उसमें कहीं भी मैसर्ज विनय ट्रेडर्स का जिक्र नहीं किया गया। मगर, पुलिस ने एफआईआर नंबर 355 में दोनों फर्मों को पार्टी बनाते हुए केवल चार अधिकारियों के ही खिलाफ मामला दर्ज किया है। ईटीओ अनिल मलिक और टीआई हनुमान सैनी को एफआईआर में ही बाहर कर दिया। इस प्रकार पुलिस ने अपने स्तर पर ही ईटीओ अनिल मलिक और टीआई हनुमान सैनी को बचाने की कोशिश कर डाली। जब पुलिस की एफआईआर में इनका नाम ही नहीं होगा, तब पुलिस अधीक्षक द्वारा गठित एसआईटी उनसे कैसे पूछताछ करेगी? यानि एसआईटी को भी चकमा दे दिया गया?
गृह मंत्री से की शिकायत
फर्जी फर्मों का भंडाफोड़ करने वाले कैथल निवासी व्हीस्ल ब्लोअर रघुवीर सिंह ने गृहमंत्री अनिल विज से मामले में शिकायत की है। उन्होंने ईटीओ अनिल मलिक व टीआई हनुमान सैनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज न करने को लेकर रोष जाहिर किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि फर्जी फर्मों के सहयोगी अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। वर्णनीय है कि रघुवीर सिंह ही प्रदेश में सर्वप्रथम फर्जी फर्मों के मामले को लोकायुक्त हरियाणा के पास लेकर गए थे। लोकायुक्त हरियाणा द्वारा ही मामले में तत्कालीन आईजी श्रीकांत जाधव की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया था। इस एसआईटी ने ही प्राथमिक जांच में 10618 करोड़ के टैक्स चोरी के मामले का भंडाफोड़ किया था। श्री सिंह प्रदेशभर में टैक्स चोरी के मामलों को एक्सपोज करने में जुटे है। उनकी ओर से अनेक मामलों को सिरे चढ़ाया जा चुका है। सिरसा में कराधान विभाग द्वारा भेजे गए दो ड्राफ्ट में से एक ड्राफ्ट में शुमार ईटीओ अनिल मलिक और टीआई हनुमान सैनी का नाम शामिल न करने को लेकर उन्होंने गृहमंत्री से कार्यवाही की मांग की है।
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