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आंकड़ों के आधार पर विधायक अमित सिहाग ने सरकार के किसान विरोधी होने के दिए सबूत
डबवाली न्यूज़ डेस्क
मोदी सरकार द्वारा पारित तीनों काले कानूनों के विरोध में आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर, कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ केवी सिंह और विधायक अमित सिहाग ने सरकार की किसान, आढ़ती मजदूर विरोधी नीतियों के चलते सरकार को आड़े हाथों लिया और किसान विरोधी तीनों काले कानूनों को वापिस लेने की मांग की। अपने संबोधन में डॉ केवी सिंह ने कहा कि सरकार ने जो तीन किसान विरोधी कानून पारित किए हैं ये तीनों न केवल किसान विरोधी हैं, बल्कि ये आढ़ती, मजदूर एवम् उपभोक्ताओं के लिए भी खतरनाक हैं। उन्होंने कहा कि सरकार लोकसभा के अंदर और बाहर एमएसपी को भविष्य में भी लागू करने का आश्वासन तो देती है लेकिन लिख कर देने की गारंटी नहीं देती। जिससे पता चलता है, कि सरकार की मंशा एमएसपी को भविष्य में लागु करने की नहीं है। डॉ सिंह ने कहा कि ऐसे ही आश्वासन चुनाव से पहले प्रधानमंत्री जी देते हुए हर किसी के खाते में 15 लाख रुपए डालने, प्रति वर्ष 2 करोड़ नौकरी देने की बात किया करते थे और चुनाव के बाद उनकी पार्टी के प्रधान स्वयं कहने लगे थे कि ये तो चुनावी जुमले थे। ऐसे में सरकार के आश्वासन पर यकीन नहीं किया जा सकता और सरकार को इन काले कानूनों को तुरंत वापिस लेने का काम करना चाहिए।
डॉ केवी सिंह ने सरकार से प्रश्न करते हुए कहा कि सरकार अनुबंधित खेती की बात करती है, सरकार कहती है कि इसमें कोई विवाद होगा तो बनाई गई कमेटी का मुखिया एसडीएम उसका फैसला करेगा। डॉ सिंह ने कहा कि अगर संबंधित एसडीएम तीस दिन के भीतर विवाद होने पर फैसला नहीं करेगा तो इसमें ऐसा कोई कानून कयों नहीं बनाया गया कि, अगर अधिकारी फैसला नहीं करेगा तो उसपर कार्यवाही की जाए? उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वो इस कमेटी को भी संवैधानिक दर्जा दे और उसमे किसानों के नुमाइंदों को भी शामिल करे। उन्होंने कहा कि खुद को स्वर्गीय देवी लाल जी के आदर्शो पर चलने का दम भरने वाली जजपा ने इन कानूनों को लेकर किसानों की पीठ में छूरा घोंपने का काम किया है और अपने निजी स्वार्थों एवम् सत्ता सुख के लिए उन्होंने हरियाणा के किसानों, आढ़तियों, मजदूरों के हितों को बीजेपी के हाथों बेचने का काम किया है।
धरने में उपस्थित हलका डबवाली के विधायक अमित सिहाग ने कहा कि सरकार कहती है कि वो एमएसपी पर फसल की खरीद करेगी लेकिन उसकी जिम्मेदारी लिख कर नहीं दे रही, जिस से पता चलता है कि सरकार भविष्य में एमएसपी को खत्म करने जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर एमएसपी खत्म हो गई तो फसल की खरीद भी सरकार नहीं करेगी और अगर सरकार द्वारा खरीद नहीं होगी तो अनाज का भंडारण नहीं किया जाएगा और भंडारण न होने के कारण गरीब को अनाज कहां से मिलेगा? उन्होंने कहा कि इन कानूनों के तहत सरकार कृषि को बड़े उद्योगपतियों के हाथों में सौंपना चाहती है और जब कृषि पर बड़े उद्योगपतियों का कब्जा हो गया तो जहां वो फसल को ओने पोने दामों में खरीदा करेंगे, वहीं अपनी मर्जी से भारी दामों में अनाज को बेचा करेंगे, जिससे हर वर्ग को नुकसान होगा।
सिहाग ने कहा कि सरकार ने कोविड़ का बहाना बना जबरदस्ती इन कानूनों को मात्र दो घंटों में बिना चर्चा किए, बिना वोटिंग के ध्वनि मत से पारित कर दिया जो कि लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की मंशा सही होती तो इन काले कानूनों पर ससंद में चर्चा जरूर करती और अगर सरकार विपक्ष से इसपर चर्चा नहीं करना चाहती थी तो कम से कम किसान, व्योपारी संगठनों के पदाधिकारियों से ही चर्चा कर लेती। विधायक ने सरकार से कृषि लागत एवम् मूल्य आयोग, जो कि एमएसपी को निर्धारित करता है, उसे भी सवेंधानिक दर्जा दिए जाने और उसमे किसानों के नुमाइंदे एवम् कृषि विशेषज्ञ शामिल किए जाने की मांग की।
विधायक ने देश की बदहाल कानून व्यस्था पर कहा कि मौजूदा सरकार आमजन और खास कर दलित विरोधी है, और जिस प्रकार से हाथरस में जो सामूहिक दुष्कर्म जैसा जघन्य हादसा हुआ, बेबस बेटी की जीभ काट दी गई एवम् रीढ़ की हड्डी तक को तोड दिया गया, पर डॉक्टर एवम पुलिस की रिपोर्ट में ऐसा होने को ख़ारिज कर दिया गया, जिस से पता चलता है कि देश में जंगलराज है। उन्होंने पीड़ित बेटी के रात को, परिवार की गैरहाजरी में किए दाह संस्कार की निन्दा करते हुए इसे देश के माथे पर कलंक बताया और इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की।
धरने के उपरांत कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शहीदी चौंक तक पैदल मार्च किया और काले कानूनों कि कापियों को जला कर अपना विरोध प्रकट किया। धरनारत सभी लोगों के काली पट्टियां बांध कर अपना विरोध दर्ज करवाया।
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9:54:00 PM
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क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई
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