नगर परिषद की प्रधानगी के चुनाव पर स्टे का मामला, हाई कोर्ट में अब 29 को होगी सुनवाई
डबवाली न्यूज़ डेस्क
नगर परिषद सिरसा के प्रधान पद के चुनाव पर स्टे याचिका के मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में आज सुनवाई हुई।अदालत में दोनों ही पक्ष वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। अदालत ने मामले में सुनवाई की तारीख 29 अक्टूबर तय की है। आज सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल, कुछ नगर पार्षदों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल व याचिकाकत्र्ता बलजीत कौर की ओर से उनके वकील पेश हुए। एडवोकेट जनरल की ओर से साक्ष्य के रूप में पैन ड्राइव पेश की गई, जबकि याचिका कत्र्ता की ओर से शपथपत्र दिया गया। दोनों को अदालत ने फाइल के साथ जोड़ दिया है। वर्णनीय है कि बीती 8 अक्टूबर को अदालत ने नगर पार्षद बलजीत कौर को शपथपत्र देने की हिदायत दी थी कि उसने याचिका दाखिल की है या नहीं? याचिका पर उसके हस्ताक्षर है या नहीं। इसके साथ ही सरकार से पार्षद बलजीत कौर द्वारा याचिका दाखिल करने से इंकार करने बारे साक्ष्य पैनड्राइव में पेश करने के लिए कहा था। मामले में कुछ नगर पार्षदों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाए जाने, याचिका दाखिल करके वापस मांगने वाली पार्षद बलजीत कौर को निलंबित किए जाने और प्रधान के चुनाव पर हुए स्टे को तोडऩे की मांग की थी। अदालत ने उनके आग्रह पर राज्य व स्टे की याचिकाकत्र्ता को नोटिस जारी किया था। अदालत ने आज मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर के लिए मुकर्रर कर दीं।
शपथपत्र से सच आया सामने
नगर परिषद के प्रधान के चुनाव टालने के लिए स्टे याचिका का जो खेल खेला गया, उसकी सच्चाई ज्यादा दिन तक रहस्य नहीं रह पाई। कोर्ट के आदेश पर दिए गए शपथपत्र में पार्षद बलजीत कौर की ओर से यह स्वीकार किया गया कि याचिका पर उसके ही हस्ताक्षर है और उसकी हिदायत पर ही वकील ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। पार्षद बलजीत कौर के इस आशय के शपथपत्र ने यह स्पष्ट कर दिया कि हर जगह राजनीति का खेल नहीं खेला जा सकता। बीती 11 अगस्त को जमकर नौटंकी की गई। चीख-चीख कर कहा गया कि उसने याचिका दाखिल नहीं की। वह वकील को नहीं जानती। उसे नहीं मालूम की किसने उसके नाम से याचिका दाखिल की है। अब, कोर्ट में दिए गए शपथपत्र में कैसे स्वीकार कर लिया? आखिर झूठ कब तक टिकता? पार्षद बलजीत कौर ने अपने हिमायतियों को भी कहीं का नहीं छोड़ा। उसने याचिका दाखिल न करने की बात कहीं और इसमें षड्यंत्र बताकर कांग्रेसियों व सेतिया गुट की सहानुभूति हासिल की। यही वजह रही कि कांग्रेसी व सेतिया गुट के नेताओं ने भी चीख-चीखकर शोर मचाया। आज उन्हें शर्मसार होना पड़ रहा होगा? पार्षद बलजीत कौर पर विश्वास करके उन्होंने हलोपा प्रमुख गोपाल कांडा तथा बीजेपी पर आरोप जड़ें, जिला प्रशासन पर भी सवालिया निशान लगाए। आज कोर्ट में दिए गए शपथपत्र ने उनके मुंह पर तमाचा जडऩे का काम किया है? यह साफ हो गया है कि प्रधान पद के चुनाव पर स्टे याचिका किसने दाखिल की?
पवित्र स्थल गुरुद्वारा साहिब का भी नहीं रखा मान
पार्षद बलजीत कौर ने राजनीति करने के लिए धर्मस्थल का भी मान नहीं रखा। उन्होंने अपने पति हरदास सिंह रिंकू व अपने बच्चों के साथ पवित्र स्थल गुरुद्वारा साहिब में इस आशय की सौगंध खाई कि उसने स्टे याचिका दाखिल नहीं की। न ही उसने या उसके पति ने वकील को स्टे याचिका के लिए अपने दस्तावेज ही मुहैया करवाएं। गुरुद्वारा साहिब में सौगंध खाने की वजह से सिरसावासियों को पूरा विश्वास था कि पार्षद बलजीत कौर सच्ची है और उसके साथ छल हुआ है। उसे षड्यंत्र का शिकार बनाया गया है। मगर, बलजीत कौर की ओर से आज हाईकोर्ट में दिए गए शपथपत्र ने यह साबित कर दिया कि उन्होंने न केवल जनता का विश्वास तोड़ा बल्कि उन्होंने पवित्र स्थल गुरुद्वारा साहिब का मान भी भंग किया।
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