हाईकोर्ट ने खारिज किया स्टे ,पार्षद के निलंबन और चुनाव की तारीख पर 16 नवंबर को होगी सुनवाई

डबवाली न्यूज़ डेस्क 
सिरसा। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा नगर परिषद सिरसा के प्रधान पद के चुनाव पर बीती 7 अगस्त को दिए गए स्टे को अदालत आज तोड़ दिया है।इसके साथ ही प्रधान पद के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। अदालत में आज सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल, कुछ नगर पार्षदों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल व पार्षद बलजीत कौर के वकील वीसी के माध्यम से पेश हुए। कुछ नगर पार्षदों की ओर से गौरव अग्रवाल एडवोकेट की ओर से पार्षद बलजीत कौर की सदस्यता निलंबित किए जाने, प्रधान पद के चुनाव के स्टे को खारिज किए जाने तथा प्रधान पद के चुनाव 72 घंटे में करवाए जाने की मांग की गई थी। अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए प्रधान पद के चुनाव पर दिए गए स्टे को तोड़ दिया। जबकि पार्षद बलजीत कौर के निलंबन और प्रधान पद के चुनाव के लिए नई तारीख तय करने बारे सुनवाई को 16 नवंबर के लिए टाल दिया है। वर्णनीय है कि हाईकोर्ट ने बीती 7 अगस्त को प्रधान पद के चुनाव पर स्टे दिया था। सिरसा में 11 अगस्त को प्रधान पद के चुनाव तय किए गए थे। मगर, 10 अगस्त को अदालत के आदेश देर सायं पहुंचें, जिसमें बताया गया था कि पार्षद बलजीत कौर की ओर से 7 अगस्त को ही स्टे हासिल किया जा चुका है। ऐसे में प्रशासन ने चुनाव स्थगित कर दिए थे। इसके साथ ही सिरसा में जमकर नाटक हुआ। बीती 11 अगस्त को पार्षद बलजीत कौर कई कांग्रेसी नेताओं के साथ नगर परिषद सिरसा कार्यालय में पहुंची और उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने से ही इंकार कर दिया था। चुनाव पर स्टे के लिए हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा, भाजपा और जिला प्रशासन पर आरोप जड़े गए। 



पार्षद बलजीत कौर के स्टे याचिका दाखिल न करने के ऐलानिया बयान की वजह से सिरसा में कौतुहल बन गया था कि आखिर किसने अदालत में बलजीत कौर की ओर से याचिका दाखिल की? आखिर वो कौन है जो सिरसा का विकास नहीं चाहता? वो कौन है जिसने चुनाव को टालने के लिए षड्यंत्र रचा है? बलजीत कौर की इंकारी के कारण यह रहस्य बन गया था। बाद में पार्षद बलजीत कौर द्वारा अपने पति हरदास सिंह रिंकू व बच्चों के साथ धार्मिक स्थल में इस आशय की शपथ भी ली कि उसने उच्च न्यायालय में स्टे याचिका दाखिल नहीं की। इसके कारण मामला अधिक तूल पकड़ गया। मामले में तब मोड़ आया, जब पार्षद बलजीत कौर ने हाईकोर्ट में स्टे याचिका वापस लेने के लिए अर्जी दी। तब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल और कुछ नगर पार्षदों की ओर से गौरव अग्रवाल एडवोकेट पेश हुए और उन्होंने याचिका वापस लेने का विरोध किया। कोर्ट ने याचिका वापस करने से इंकार कर दिया और मामले में सरकार से साक्ष्य रखने के आदेश दिए। इसके साथ ही पार्षद बलजीत कौर को भी शपथ पत्र देने के आदेश दिए। सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल की ओर से पहले सीडी और बाद में पैन ड्राइव में साक्ष्य पेश किए गए कि पार्षद बलजीत कौर की ओर से पहले याचिका दाखिल करने से इंकार किया गया था और अब वह कोर्ट से याचिका वापस लेना चाहती है। उधर, पार्षद बलजीत कौर ने आखिरकार यह स्वीकारोक्ति की कि उसने ही कोर्ट में स्टे याचिका दाखिल की थी। मामले में गौरव अग्रवाल एडवोकेट की ओर से पार्षद बलजीत कौर की सदस्यता निलंबित किए जाने, चुनाव पर दिए स्टे को खारिज करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट के आज के फैसले से प्रधान के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। अब लोगों को 16 नवंबर का इंतजार रहेगा।

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