भाई कन्हैया आश्रम : जहां दुआएं 'कबूल' होती है!
डबवाली न्यूज़ डेस्क
कौन कहता है कि दुआएं कबूल नहीं होती। किसी के लिए मांगी गई दुआ न जाने कब कबूल हो जाए और कब किसकी जिंदगी बदल दें, इसका शायद किसी को अंदाजा नहीं है।मगर, हिसार रोड स्थित भाई कन्हैया आश्रम एक ऐसा स्थल है, जहां लोगों की दुआओं को फलते-फूलते देखा जा सकता है। वर्ष 2012 से 2020 की महज 8 वर्ष की अवधि में 200 से अधिक ऐसे लोग अपने घर-परिवार में लौट चुके है, जोकि मानसिक रूप से विक्षिप्त होने के कारण सड़कों पर आ गए थे। जिन्हें 'पागल' कहकर दुत्कारा जाता था। ऐसे लोगों द्वारा सड़क पर मिलें कचरे और जूठन से अपना पेट भरा जाता था। जो नग्न अवस्था में ही पशुओं की भांति भटका करते थे। मगर, शहर की एक संस्था ने ऐसे दुत्कारे हुए लोगों को आश्रय दिया। उनके लिए दवा-पानी की व्यवस्था की और दुआएं भी बटोरी। परिणाम सामने है, 210 से अधिक महिला-पुरुष आज अपने परिवार के बीच जीवन बीता रहें है।माल गोदाम रोड निवासी स. गुरविंद्र सिंह की पहल पर भाई कन्हैया आश्रम शुरू हुआ। शहर के धर्मप्रेमियों ने मिलकर ऐसे दीन-दुखियों की मदद का बीड़ा उठाया, जिन्हें दुत्कारा जाता है, जिनकी कोई सुध नहीं लेता। संस्था ने एम्बुलेंस सेवा के साथ ही सड़कों पर नग्र अवस्था में घायल, बीमार मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों के लिए आश्रय प्रदान करने का बीड़ा उठाया। महिला बहुतकनीकी संस्थान के पीछे वर्ष 2012 में आश्रम बनाया गया। लोगों का सहयोग मिला और अब हिसार रोड पर 2016 में आश्रम बनाया गया। संस्था द्वारा पूरे सिरसा जिला में सड़क के किनारे विक्षिप्त हालात में मिलने वाले पुरुष अथवा महिला को आश्रम में लाया जाता है। उसकी देखभाल की जाती है। उसे भोजन-पानी के साथ-साथ दवा भी दिलाई जाती है। मगर, दवा से बढ़कर दुआएं काम करती है। अकेले दवा के बस में ये बात नहीं है। चमत्कारिक रूप से सैकड़ों लोग स्वस्थ होकर अपने-अपने घरों को लौट चुके है। ऐसे अनजान लोगों को उनके घर-परिवार से मिलाकर संस्था व संस्था से जुड़े लोग सचमुच हर रोज 'दीपावलीÓ मना रहे है। अंधेरे घरों में रोशनी
तरंगें' करती है कार्य
विक्षिप्त अवस्था में मिलें लोगों को जब समय पर भोजन-पानी और दवा मिलती है। परिवार जैसी देखभाल मिलती है, तब उनके स्वास्थ्य में सुधार आता है और उनकी मानसिक दशा भी सुधरती है। जब वे कहने-सुनने की स्थिति में आते है, तब उनसे परिवार के बारे में जानकारी जुटाई जाती है। दूसरी भाषा बोलने वालों की बात समझने के लिए उसी भाषा के लोगों की मदद ली जाती है। फिर उनसे मिली जानकारी के आधार पर इंटरनेट की मदद से स्टेट, जिला और गांव का पता लगाया जाता है। फिर संबंधित थाने से संपर्क साधा जाता है। उस गांव से लापता व्यक्ति की जानकारी जुटाई जाती है। परिवार वालों से संवाद कायम किया जाता है। इसके बाद वीडियो काल पर बातचीत करवाई जाती है। भाई कन्हैया आश्रम ने कई-कई वर्षों से लापता हुए लोगों को उनके घर और परिवार से मिलाने का नेक कार्य किया है।
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